स्वतंत्र आवाज़
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'दलितों पर अत्‍याचार से सख्‍ती से निपटें'

'केंद्रशासित प्रदेश कानून का कड़ाई से पालन करें'

पीओए में कठोर सजा की व्‍यवस्‍था-गहलोत

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 3 June 2016 07:18:27 AM

thawar chand gehlot, meeting of principal secretaries of social justice department

नई दिल्ली। केंद्रीय सामाजिक न्‍याय और अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने आज राज्‍यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों के सामाजिक न्‍याय विभाग के प्रधान सचिवों की बैठक में कहा है कि राज्‍यों और केंद्रशासित प्रदेशों को अनुसूचित जातियों पर अत्‍याचार की घटनाओं के मामले में सख्‍ती से निपटने के साथ-साथ यह सुनिश्चित करना चहिए कि अपराधी कानून के हवाले हो और पीड़ित को उचित मुआवजा मिले। थावरचंद गहलोत ने कहा कि सरकार ने पीओए अधिनियम में संशोधन किया है, इस संशोधन से कठोर सजा की व्‍यवस्‍था हुई है और पीड़ितों को दी जाने वाली राहत राशि भी बढ़ाई गई है। उन्‍होंने बताया कि हमने हाल ही में पीओए नियमों में संशोधन को अधिसूचित किया है। उन्होंने राज्‍यों से इस अधिनियम को पूरी तरह लागू करने का आग्रह किया है, ताकि अनुसूचित जाति के लोगों पर होने वाले अत्‍याचार रोके जा सकें।
थावरचंद गहलोत ने कहा कि राज्‍यों को पीओए अधिनियम के संशोधित प्रावधानों को तेजी से लागू करना चाहिए और इन प्रावधानों के बारे में पुलिस तथा अन्‍य अधिकारियों को संवेदी बनाया जाना चाहिए। सिर पर मैला ढोने की प्रथा पर चिंता व्‍यक्‍त करते हुए थावरचंद गहलोत ने कहा कि युद्ध स्‍तर पर इसका उन्‍मूलन करना होगा। उन्‍होंने राज्‍यों से इस अमानवीय प्रथा को प्राथमिकता देकर समाप्‍त करने की दिशा में काम करने का आग्रह किया। सामाजिक न्‍याय मंत्री ने कहा कि भारत सरकार अनुसूचित जातियों, पिछड़े वर्गों तथा वरिष्‍ठ नागरिकों की शैक्षिक, आर्थिक तथा सामाजिक अधिकारिता के लिए विभिन्‍न योजनाएं चला रही है, इन योजनाओं में छात्रवृत्ति की योजनाएं भी शामिल हैं और योजनाओं का कवरेज व्‍यापक है। उन्‍होंने योजनाओं को कारगर ढंग से लागू करने के लिए केंद्र और राज्‍यों को एक साथ मिलकर काम करने को कहा। अनुसूचित जातियों तथा पिछड़े वर्गों के युवाओं की शिक्षा और उनके सशक्तिकरण पर बल देते हुए थावरचंद गहलोत ने कहा कि अनुसूचित जातियों, अन्‍य पिछड़े वर्गों तथा डीएनटी के युवाओं को छात्रवृत्ति उनके मंत्रालय का अग्रणी कार्यक्रम है।
प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना की चर्चा करते हुए थावरचंद गहलोत ने कहा कि इसे उन गांवों के एकीकृत विकास के लिए लागू किया जा रहा है, जिन गांवों में 50 प्रतिशत से अधिक आबादी अनुसूचित जाति के लोगों की है। थावरचंद गहलोत ने इस अवसर पर गैर अधिसूचित, खानाबदोश और अर्द्धघुमंतू जनजाति आयोग (डीएनटी) द्वारा तैयार रिपोर्ट भी जारी की। सम्मेलन में डीएनटी के अध्‍यक्ष बीकू रामजी इदाते भी उपस्थित थे। एक दिन के इस सम्‍मेलन में अनुसूचित जातियों तथा अन्‍य पिछड़े वर्गों के विकास से संबंधित विषयों पर चर्चा की गई। सम्मेलन में वक्ताओें का कहना था कि अनुसूचित जातियों की सुरक्षा के लिए बनाए गए कानून तो अपने में पर्याप्त हैं, मगर इन्हें समय से और ईमानदारी से लागू करने की आवश्यकता है। उन्होंने यह स्वीकार किया कि कानून के दुरूपयोग होने के कारण भी दलितों को न्याय मिलने में मुश्किल होती है, क्योंकि कुछ लोग बदले की भावना से इस कानून का सहारा लेते हैं, यह काम राज्यों की कानून लागू करने वाली एजेंसियों का है कि वह इस पक्ष को भी गंभीरता और सावधानी से देखें।

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