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पूर्वोत्तर के गोरखाओं की हो रही घोर उपेक्षा

गोरखा प्रतिनिधिमंडल केंद्रीय राज्यमंत्री से मिला

देश में कहीं-कहीं पराए समझे जाते हैं गोरखा

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 13 June 2016 05:41:47 AM

gorkha delegation met minister of state

नई दिल्ली। केंद्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय में स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री, युवा मामलों और खेल, पीएमओ, कार्मिक, सार्वजनिक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा है कि गोरखा समुदाय ने हर अच्‍छे और बुरे समय में तथा कठिन सर्वाधिक परिस्थितियों में राष्‍ट्र की सेवा की है और उनकी बहादुरी, पराक्रम एवं देशभक्ति की कहानियां दूसरों के लिए एक अनुकरणीय है। डॉ जितेंद्र सिंह भारत के गोरखाओं के एक राष्‍ट्रीय संगठन ‘भारतीय गोरखा परिसंघ’ के एक शिष्‍टमंडल से बात कर रहे थे, जो एक लंबे समय से अपने विचाराधीन मुद्दों के निवारण के लिए उनसे मिलने आया था। भारतीय गोरखा परिसंघ के सदस्यों ने डॉ जितेंद्र सिंह से विशेष रूप से इस तथ्‍य पर गंभीरतापूर्वक ध्यान देने का अनुरोध किया कि आज पूरे भारत में एक करोड़ से अधिक की गोरखा आबादी में से 35 लाख से भी अधिक गोरखा देश के पूर्वोत्‍तर क्षेत्र में रहते हैं, जिनकी अपनी भी गंभीर समस्याएं हैं और उनके विकास के लिए प्राथमिकता से कार्य किया जाए।
भारतीय गोरखा परिसंघ के शिष्‍टमंडल का नेतृत्‍व परिसंघ के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष एसएम मोक्‍टम ने किया। एसएम मोक्‍टम ने जितेंद्र सिंह के साथ एक विस्‍तृत बैठक की, जिसमें यह प्रमाणित करने के लिए कि वे इस क्षेत्र के स्‍थाई निवासी हैं, समुदाय के सदस्‍यों को समुचित दस्तावेज मुहैया कराए जाने के मुद्दे पर चर्चा की गई। शिष्‍टमंडल ने शिकायत की कि ऐसे दस्‍तावेज के अभाव में उन्‍हें कभी कभार विदेशी या अवैध नागरिक या गैर स्‍थानीय मान लिया जाता है। उन्‍होंने शिकायत की कि ऐसे दस्‍तावेजीकरण के अभाव में कई राज्‍यों में उन्‍हें मतदाता सूची में सूचीबद्ध करने से भी वंचित किया गया है। शिष्‍टमंडल के सदस्‍यों ने गोरखा समुदायों के लिए ओबीसी दर्जा दिए जाने की मांग की तथा आग्रह किया कि विभिन्‍न प्रोत्‍साहनों एवं अवसरों में उन्‍हें उचित हिस्‍सा दिया जाए।
केंद्रीय राज्यमंत्री से उन्होंने आग्रह किया कि उत्‍तर पूर्व राज्‍यों में रह रहे गोरखाओं को क्षेत्र के विकास एवं आर्थिक गतिविधियों में शामिल किया जाए। शिष्टमंडल की अन्‍य मांगों में गोरखा भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने तथा नेपाली भाषा को विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में एक स्‍वदेशी भाषा के रूप में लागू करना शामिल है। डॉ जितेंद्र सिंह ने शिष्‍टमंडल की बातें ध्‍यानपूर्वक सुनीं। उन्‍होंने कहा कि पूर्वोत्‍तर क्षेत्र विकास मंत्रालय उनकी परेशानियों, भावनाओं और उनके महत्व को समझता है। उन्‍होंने कहा कि शिष्‍टमंडल की कई मांगे प्रत्‍यक्ष रूप से उनके मंत्रालय से जुड़ी हुई नहीं हैं, इसलिए वह उन्‍हें संबंधित विभागों एवं मंत्रालयों को अग्रसारित कर देंगे। शिष्‍टमंडल में प्रमुख रूप से उत्‍तर प्रदेश के वीबी थुपू, पश्चिम बंगाल के डीसी पौडियाल एवं पीपी प्रधान, नई दिल्‍ली के गुमान भोज लिम्‍बो, मेघालय के जगन्‍नाथ कोइराला एवं उत्‍तराखंड के भूपेंद्र अधिकारी शामिल थे।

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