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Thursday 07 February 2013 08:11:01 AM
नई दिल्ली। केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के एक दिवसीय सम्मेलन में चार कार्यसूचियों से संबंधित कई संस्तुतियां की गईं। यह सम्मेलन राष्ट्रपति भवन में आयोजित किया गया था, जिसमें राष्ट्रपति भी शामिल थे। कुछ प्रमुख संस्तुतियां हैं-शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने और विश्व के शीर्ष विश्वविद्यालयों के अनुरूप केंद्रीय विश्वविद्यालयों के संकाय को कायम करने के लिए आवश्यक कदम उठाना। दुर्गम क्षेत्रों में विस्तार कार्य के माध्यम से शिक्षा की पहुंच बढ़ाने के लिए आवश्यक कदम उठाना। केंद्रीय विश्वविद्यालयों में राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क का प्रभावकारी इस्तेमाल करना। प्रत्येक केंद्रीय विश्वविद्यालय के मौजूदा वैधानिक कार्यक्रम में विजिटर-विश्वविद्यालय संपर्क में सुधार लाने के लिए सुझाव देना।
अपने समापन भाषण में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इस सम्मेलन के निष्कर्ष पर संतोष जाहिर करते हुए कहा कि पहली बार ऐसा एक पूर्ण दिवसीय सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें केंद्रीय विश्वविद्यालयों के 40 कुलपतियों ने न केवल आपस में बल्कि प्रधानमंत्री, केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रियों और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष के साथ भी अपने विचारों का आदान-प्रदान किया। उन्होंने सम्मेलन में की गई सिफारिशों के लिए कुलपतियों को धन्यवाद देते हुए कहा कि इन सिफारिशों को तेजी से लागू करने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय में विस्तार से जांच की जाएगी। उन्होंने यह सिफारिश स्वीकार की कि कुलपतियों का सम्मेलन हर वर्ष आयोजित किया जाए। उन्होंने यह सुझाव भी दिया कि सिफारिशों पर अनुवर्ती कार्रवाई के लिए कुलपतियों की एक समिति भी बनाई जाए।
राष्ट्रपति ने कहा कि कुलपतियों को आपस में एक दूसरे के साथ-साथ छात्रों से भी बातचीत करने के लिए समर्पित अध्यापकों की पहचान करनी चाहिए। प्रत्येक विश्वविद्यालय में नवीकरण क्लबों की स्थापना की जाए और नवीकरणों की प्रदर्शनी भी आयोजित की जाए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों में भविष्य में होने वाले उनके मुआयने के दौरान वह इन समर्पित अध्यापकों और प्रवर्तकों से बातचीत करेंगे। उन्होंने विश्वविद्यालयों में कम से कम एक उत्कृष्ट केंद्र खोलने और भारत तथा विदेशों से विशेषज्ञों के साथ सहयोग बढ़ाने का आह्वान भी किया। उन्होंने मानव संसाधन विकास मंत्रालय की सूचना प्रौद्योगिकी का अधिक से अधिक प्रयोग करने के लिए कहा, तथा यह वायदा भी किया कि वह स्वयं वीडियों कॉंफ्रेंसिंग के माध्यम से छात्रों और अध्यापकों के साथ बातचीत करने के लिए उपलब्ध रहेंगे। राष्ट्रपति ने कुलपतियों और मानव संसाधन विकास मंत्रालय से अध्यापकों के खाली पदों को 6 महीने के अंदर भरने के लिए कहा और यह आश्वासन भी दिया कि विजिटर के नामांकितों के खाली पदों को भी 3 से 6 महीनों में भर लिया जाएगा।