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Friday 17 June 2016 04:51:12 AM
नई दिल्ली। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड और केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड ने पहली बार मिलकर एक साथ राजस्व ज्ञान संगम सम्मेलन आयोजित किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्व ज्ञान संगम पर कर प्रशासकों को संबोधित करते हुए कहा है कि यह पहला मौका है, जब इन दोनों ने मिलकर कोई सम्मेलन आयोजित किया है। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन का शुभारंभ अधिकारियों से सुझाव आमंत्रित करने से किया, जिसमें कुछ अधिकारियों ने डिजिटलीकरण, स्वैच्छिक कर अनुपालन, करदाताओं के लिए सुविधा, कराधार में वृद्धि, कर प्रशासकों के लिए डिजिटल और भौतिक बुनियादी ढांचे का उन्नयन आदि जैसे विभिन्न विषयों पर अपने विचार व्यक्त किए।
प्रधानमंत्री ने राजस्व ज्ञान संगम के दौरान अधिकारियों को अपने विचारों को स्वतंत्र और स्वछंद रूप से आदान-प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित किया। नरेंद्र मोदी ने जोर देते हुए कहा कि सभी नागरिकों के बीच कानून के प्रति सम्मान, कर से बचने वालों के मन में कानून का भय होना चाहिए और लोगों को कर प्रशासकों से डर नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत आज अपने इतिहास में एक विशिष्ट स्तर पर है और इसके लोगों की उच्च आकांक्षाओं को सरकार के द्वारा पूरा किए जाने की आवश्यकता है, ताकि वे इसे राष्ट्र के विकास में परिवर्तित कर सकें।
नरेंद्र मोदी ने कर प्रणाली में विश्वास पैदा करने के लिए कर प्रशासकों की आवश्यकता पर भी बल दिया है। स्वेच्छा से गैस सब्सिडी को छोड़ने की ‘इसे छोड़ दो’ पहल का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि कराधार में भी सारगर्भित ढंग से वृद्धि की जा सकती है, ताकि कर प्रशासक एक परिवर्तन लाने की दिशा में अपने नेतृत्व का प्रदर्शन कर सकें। प्रधानमंत्री ने कर प्रशासकों के लिए एक पांच सूत्रीय चार्टर-रेपिड: अर्थात राजस्व के लिए आर, जवाबदेही के लिए ए, सत्यनिष्ठा के लिए पी, सूचना के लिए आई और डिजिटलीकरण के लिए डी को रेखांकित किया। इस अवसर पर वित्तमंत्री अरुण जेटली, वित्त राज्यमंत्री जयंत सिन्हा, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्र, राजस्व सचिव हसमुख अधिया और सीबीडीटी एवं सीबीईसी के अध्यक्ष भी उपस्थित थे।