स्वतंत्र आवाज़
word map

नाबार्ड अधिनियम में संशोधन

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 07 February 2013 08:18:03 AM

नई दिल्‍ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुरूवार को राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) अधिनियम 1981 में संशोधन को अपनी मंजूरी प्रदान कर दी। नाबार्ड अधिनियम 1981 में संशोधन इस प्रकार प्रस्तावित हैं-
नाबार्ड की अधिकृत पूंजी को 5,000 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 20,000 करोड़ रुपए करना। सहकारी संस्थाओं के अर्थ को विस्तृत करने का प्रस्ताव है, ताकि किसी भी केंद्रीय कानून के तहत पंजीकृत सहकारी संस्थाओं अथवा केंद्र या राज्य के किसी अन्य कानून से संबंधित सहकारी संस्थाओं को इसमें शामिल किया जा सके। स्वामित्व में बदलाव, ताकि नाबार्ड की बकाया शेयर पूंजी को रिज़र्व बैंक से केंद्रीय सरकार के पास स्थानांतरित किया जा सके। लघु अवधि निधियन तथा अन्य बदलावों के तहत नाबार्ड के संचालन अवसर में वृद्धि करना।
इन संशोधनों से ये लाभ संभावित हैं-नाबार्ड की अधिकृत पूंजी को 5,000 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 20,000 करोड़ रुपए करने पर बाजार के संसाधनों को क्रियाशील करने की नाबार्ड की क्षमता में वृद्धि होगी जिससे नवीन ऋण उत्पाद, नवीन ऋण श्रृंखला का विकास होगा और नए ग्राहक बनेंगे। संशोधनों के तहत नाबार्ड नए संस्थानों खासतौर पर बहुराज्यीय सहकारी संस्था अधिनियम और अन्य केंद्रीय कानूनों के तहत आने वाली संस्थाओं, उत्पादक संगठनों तथा केंद्र सरकार से मंजूर वित्तीय संस्थानों के वर्ग को ऋण दे सकेगा। इससे देश के किसानों को लाभ पहुंचने की संभावना है। संशोधनों में ऋण, लघु अवधि संचालन निधि का निर्माण तथा किसानों के ऋण के विनियमन के सामंजस्य को मंजूरी दी गई है। नाबार्ड के बकाया एक प्रतिशत शेयर को रिज़र्व बैंक के भारत सरकार के पास स्थानांतरित करने के निर्णय से सरकार के आरबीआई धारित इक्विटी के अधिग्रहण से सार्वजनिक उत्तरदायित्व में वृद्धि होगी। नाबार्ड अध्यक्ष तथा प्रबंध निदेशक के पदों को मिलाकर एक किया जाएगा। इससे नेतृत्व संबंधी अधिकारों का विभाजन नहीं हो सकेगा।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]