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Monday 27 June 2016 05:55:47 AM
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच समाजवादी पार्टी ने पिछले पांच दिन से चल रही उठा-पटक और अफरा-तफरी में अखिलेश यादव मंत्रिमंडल में फेरबदल कराया है, मगर अखिलेश यादव मंत्रिमंडल का विस्तार सपा का बिगड़ा काम बना पाएगा, इसमें शक है। सपा में जोड़ने और तोड़ने की रणनीतियों से सपा को नुकसान तो पहुंचा है। लोगों का सवाल है कि कौएद के पास तो वोट है और आज़म खां के पास क्या है? माना जा रहा है कि समाजवादी पार्टी इस समय भारी गतिरोध का सामना कर रही है और अपने फैसलों पर नहीं टिक पा रही है। सपा के राजनीतिक फैसले हड़बड़ाहट और जल्दबाजी में लिए जा रहे हैं। बलराम सिंह यादव की बर्खास्तगी और उसके बाद फिर शपथ ग्रहण, कौमी एकता दल का सपा में विलय और फिर विघटन एवं कुछ और फैसले सपा पर भारी पड़े हैं। कौमी एकता दल का सपा में विलय पूर्वी उत्तर प्रदेश में मुसलमानों को सपा के पक्ष में खड़ा रख सकता था, मगर बाहुबलि नेता मुख्तार अंसारी में माफिया दोष की बिना पर समाजवादी पार्टी संसदीय दल की बैठक में यह विलय रद्द कर दिया गया।
सपा में कौएद के विलय के समाचार ने बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती को बहुत विचलित कर दिया था, किंतु समाजवादी पार्टी में इस विलय को रद्द कर देने से मायावती ने राहत की सांस ली है। ध्यान रहे कि स्वामी प्रसाद मौर्य के बसपा छोड़ने से भी मायावती भारी दबाव में हैं। कोई माने या न माने, मगर इसमें सच्चाई है कि कौमी एकता दल, समाजवादी पार्टी के फायर ब्रांड नेता और सरकार में वरिष्ठ मंत्री आज़म खां और उनकी मंडली से कहीं ज्यादा ताकतवर माना जाता है। उत्तर प्रदेश में मुसलमानों की राजनीति में कौमी एकता दल के पास मुसलमान वोट हैं, जबकि आज़म खां रामपुर में अपनी ही सीट जीतने में पसीना-पसीना हो जाते हैं। आज़म खां अपनी गतिविधियों और विवादास्पद बयानों से हमेशा समाजवादी पार्टी को संकट में डाले रखते हैं। पूरा देश-प्रदेश जानता है कि मुजफ्फरनगर का दंगा आज़म खां की फर्जी हेकड़ी के कारण होता गया और समाजवादी पार्टी नेतृत्व और सरकार ने अपने को संकट में डालकर आज़म खां का हर तरह से बचाव किया, तब भी आज़म खां समाजवादी पार्टी को विवादों में उलझाए ही रहते हैं।
कहने वाले कहते हैं कि आज़म खां के पीछे कोई मुसलमान नहीं है, वे केवल अपनी शेखी बघार कर समाजवादी पार्टी के लिए मुसीबत बने रहते हैं। कहने वाले तो यहां तक कहते हैं कि यदि बलराम सिंह यादव की जगह आज़म खां को मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया जाता तो सपा का यूपी में रातों रात बोलबाला हो गया होता। कहा जाता है कि कुछ को छोड़कर मुख्तार अंसारी और अफजाल अंसारी परिवार से किसी को शिकायत नहीं है। समाजवादी पार्टी ने हाल ही में जो राज्यसभा और विधानपरिषद चुनाव के फैसले लिए हैं, उनसे भी सपा को कोई खास लाभ होने वाला नहीं है, क्योंकि इनमें कुछ ही हैं, जिनके पास वोट हैं, अधिकांश तो सपा पर बोझ माने जाते हैं। कांग्रेस छोड़कर फिर से समाजवादी पार्टी में दाखिल हुए कुर्मियों के कथित नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री बेनीप्रसाद वर्मा की राजनीतिक हताशा किसे मालूम नहीं है? बेनीप्रसाद वर्मा का बाराबंकी और कुर्मियों की राजनीति में इकबाल लगभग खत्म हो चुका है। सपा के राजनीतिक परिदृश्य से देखें तो सपा सरकार में मंत्री अरविंद सिंह गोप आज उनके क्षेत्र की ताकत हैं।
अरविंद सिंह गोप छात्र राजनीति से आए हैं और उन्होंने बाराबंकी और उसके आसपास की राजनीति में तगड़ी पैंठ बना ली है, जबकि बेनीप्रसाद वर्मा अब यहां सपा की नई समस्या ही कहलाए जा रहे हैं, जो कभी सांसद पीएल पुनिया से झगड़ते हैं और कभी अरविंद सिंह गोप को कुछ नहीं समझते हैं। अरविंद सिंह गोप पिछले विधानसभा चुनाव में बेनीप्रसाद वर्मा को बाराबंकी की राजनीति से बाहर करके उन्हें सबक सिखा चुके हैं। बेनीप्रसाद वर्मा यही जानकर मुलायम सिंह यादव की शरण में गए हैं कि सपा में उनको फिर से राजनीतिक जीवनदान मिल सकता है, जो मुलायम सिंह यादव की क्षमाशीलता और राजनीतिक उदारता के कारण उन्हें मिला। सब जानते हैं कि बेनीप्रसाद वर्मा आज अपने पुत्र राकेश वर्मा को भी चुनाव जिताने की क्षमता नहीं रखते। बेनीप्रसाद वर्मा को विधानसभा चुनाव के मौके पर फिर से सपा में लेकर राज्यसभा में भेजना सपा का बड़ा कमजोर फैसला माना जाता है।
बहरहाल उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने आज राजभवन में एक समारोह में बलराम यादव एवं नारद राय को मंत्री पद तथा रविदास मेहरोत्रा एवं शारदा प्रताप शुक्ला को स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री पद की शपथ दिलाई। एक और विधायक जियाउद्दीन रिज़वी को मंत्रिपद की शपथ लेनी थी, परंतु उमरा पर जाने के कारण वे शपथ नहीं ले सके। राज्यपाल राम नाईक ने मुख्यमंत्री की संस्तुति पर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री मनोज कुमार पांडेय को उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल की सदस्यता से पदमुक्त कर दिया। शपथ ग्रहण कार्यक्रम में विधानसभा अध्यक्ष माताप्रसाद पांडेय, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव, राज्यसभा सदस्य एवं महासचिव समाजवादी पार्टी प्रोफेसर रामगोपाल यादव, राज्यसभा सदस्य अमर सिंह, मंत्री अहमद हसन, राजेंद्र चौधरी, गायत्री प्रसाद प्रजापति, रघुराज प्रताप सिंह, अभिषेक मिश्रा, अरविंद सिंह गोप, सैय्यदा शादाब फातिमा, रामगोविंद चौधरी, महबूब अली, पुलिस महानिदेशक जावीद अहमद, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री अनीता सिंह, प्रमुख सचिव सूचना नवनीत सहगल, सचिव राज्यपाल चंद्रप्रकाश, वरिष्ठ प्रशासनिक तथा पुलिस अधिकारी उपस्थित थे। शपथ ग्रहण समारोह का संचालन मुख्य सचिव आलोक रंजन ने किया।