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आप आयकर नोटिस की अनदेखी न करें!

आयकर विभाग ने चिन्हित किए हैं संदिग्‍ध लेनदेन

आई‌टीओ से संपर्क न करें, हेल्पलाइन का सहारा लें

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 21 July 2016 07:19:01 AM

income tax department

नई दिल्ली। भारत सरकार के आयकर विभाग ने ऐसे लोगों को चिन्हित किया है, जिन्होंने आयकर की परिधि से बाहर जाकर बिना पैनकार्ड के धनराशि का लेनदेन या खरीद-फरोख्त की है। आयकर विभाग ने इनसे जवाब मांगा है और अनुरोध किया है कि जिन लोगों को ऐसे पत्र मिलें वे इस मामले में पूरा सहयोग करें। आयकर विभाग ने कहा है कि जहां तक संभव हो ऐसे लोग प्रश्न पूछने के लिए विभागीय हेल्पलाइन का उपयोग करें और आयकर विभाग के अधिकारियों से सीधे संपर्क न करें। लोगों को सलाह दी गई है कि ऐसे मामलों में अपने आप को आयकर विभाग का झूठा प्रतिनिधि बताकर मामले में सहायता का प्रस्ताव करने का दावा करने वाले असामाजिक तत्वों के झांसे में न आएं।
आयकर वार्षिक सूचना रिटर्न के तहत उच्च राशि के विभिन्न प्रकार के लेन-देन होने की जानकारी आयकर विभाग को प्राप्त हुई हैं। इनमें बचत बैंक खाते में 10,00,000 रुपये या अधिक की नकदी राशि जमा करने और 30,00,000 रुपये या अधिक मूल्य की अचल संपत्ति की खरीददारी या बिक्री की सूचनाएं शामिल हैं। इनमें से अधिकांश लेनदेनों में पैन संख्या का उल्लेख नहीं है। आयकर विभाग के पास वित्त वर्ष 2009-10 से 2016-17 की अवधि को दौरान ऐसा लगभग 90 लाख लेनदेन का ब्यौरा मौजूद है। आयकर विभाग ने इन हाउस कम्प्यूटर तकनीकियों की सहायता से ऐसे गैर-पैन लेनदेन को वर्गीकृत किया है और लगभग 14 लाख गैर-पैन लेनदेन वाले 7 लाख उच्च जोखिम समूहों की पहचान की है। इनकी आयकर विभाग गहराई से छानबीन कर रहा है।
आयकर विभाग ऐसे लेनदेन वाली पार्टियों को पत्र जारी करके उनसे इन लेनदेनों के संबंध में पैन संख्या उपलब्ध कराए जाने का अनुरोध करेगा। जिन पार्टियों को ऐसे पत्र भेजे जाएंगे, उनकी सुविधा के लिए ई-फाइलिंग पोर्टल पर एक नई कार्यक्षमता विकसित की गयी है, जिसमें वे ऐसे लेनदेन को स्वीकार करके इलेक्ट्रॉनिक रूप से संरचित जवाब उपलब्ध करा सकते हैं। पार्टियां अपनी ई-फाइलिंग वेबसाइट पर लॉगइन कर सकती हैं और उन्हें भेजे गए पत्र में उपलब्ध विशिष्ट लेनदेन संख्या का उल्लेख करके अपने लेनदेन को आसानी से अपने पैन के साथ लिंक कर सकती हैं। वे इस पत्र का इलेक्ट्रॉनिक रूप से भी जवाब दे सकती हैं, जिसमें वे स्वयं ऐसे लेनदेन को स्वीकार करने या ऐसे लेनदेन से इंकार करने के विकल्प का चयन कर सकती हैं। ऐसी पार्टियों से ऑनलाइन प्राप्त प्रतिक्रियाओं की आयकर विभाग जांच करेगा। जिन मामलों में कोई उत्तर प्राप्त नहीं होगा, उनमें विभाग फिर आवश्यक कार्रवाई शुरू करेगा।

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