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Friday 08 February 2013 10:15:06 AM
नई दिल्ली। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार का आयुषविभाग डब्ल्यूएचओ-एसईएआरओ के सहयोग से नई दिल्ली में 12-14 फरवरी, 2013 तक परंपरागत औषधियों पर एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन करेगा। सम्मेलन में एसईएआरओ क्षेत्र के स्वास्थ्य मंत्री, डब्ल्यूएचओ एसईएआर (दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र), डब्ल्यूपीआर (पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र) तथा अन्य देशों के विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं।
सम्मेलन का उद्देश्य विशेषकर सामान्य और प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा में स्वास्थ्य रक्षा प्रावधान में परंपरागत और पूरक औषधियों (टीएम तथा सीएम) की भूमिका को बढ़ावा देना, राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली में टीएम तथा सीएम के एकीकरण का मूल्यांकन करना तथा प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा में इनके प्रयोग को बढ़ावा देना, सुरक्षा पर अध्ययन के लिए अनुसंधान कार्य पद्धति को साझा करना, सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु उत्कृष्ट स्तर की कार्यप्रणाली की पहचान करने के लिए पीएचसी में टीएम तथा सीएम की क्षमता और गुणवत्ता सुनिश्चित करना, राष्ट्रीय नीतियों का आदान-प्रदान करना, एसईआरओ क्षेत्र में टीएम तथा सीएम पर कार्यक्रम और अनुभवों का संवर्धन और उन्हें बढ़ावा देने के साथ-साथ राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली के एक भाग के रूप में परंपरागत औषधियों के विकास के सुदृढ़ीकरण और उचित एकीकरण के लिए प्राथमिक मुद्दों और चुनौतियों की पहचान करना है।
बताया जाता है कि लोगों के स्वास्थ्य की देखभाल के लिए परंपरागत औषधियों का प्रयोग दक्षिण पूर्व एशियाई देशों सहित पूरे विश्व में किया जाता है। हाल के वर्षों में परंपरागत औषधियों के प्रयोग में विश्वभर में वृद्धि हुई है। ऐसा परंपरागत दवाइयों की उपलब्धता, सुलभता और सस्ती दर के कारण हुआ है, क्योंकि आधुनिक स्वास्थ्य रक्षा सेवाएं आम आदमी की पहुंच से बाहर हो रही हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन सभी सदस्य देशों में परंपरागत और पूरक औषधियों टीएम और सीएम की विकास को बढ़ावा दे रहा है। दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में परंपरागत औषधियों (टीएम) की विभिन्न प्रणालियों की समृद्ध विरासत मौजूद है। इनके पास औषधीय पौधों के विशाल भंडार के साथ-साथ ज्ञान का भी बहुत बड़ा भंडार है।
भारत के पास स्वास्थ्य रक्षा के लिए परंपरागत औघधियों का उपयोग करने का पांच हजार वर्ष से भी लंबा इतिहास और संस्कृति है। औषधियों के संदर्भ में भारतीय परंपरागत प्रणाली जिसमें आर्युवेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, सिद्ध तथा सोवा रिग्पा शामिल हैं। ये भारत में विकसित की गई औषधियों की व्यापक वैज्ञानिक प्रणालियां हैं। समय के साथ-साथ भारत ने परंपरागत औषधियों और होम्योपेथी के लिए संरचना का बहुत बड़ा नेटवर्क विकसित किया है। सम्मेलन के जरिए टीएम और सीएम में एकीकरण, विनियमन और अनुसंधान प्राथमिकताओं के बारे में जानकारी का विस्तार तथा उसे अद्यतन किए जाने की उम्मीद है। इसके अलावा इस सम्मेलन से पारंपरिक औषधि के क्षेत्र में एसईएआरओ देशों के मध्य सहयोग को भी बढ़ावा मिलेगा।