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Tuesday 26 July 2016 01:43:59 PM
बिजनौर। 'मेरा देश बढ़ रहा है...ऐसे जैसे-कोई सर्वोच्च सुरक्षा से संरक्षित देश के संसद भवन के सभी संवेदनशील स्थानों की मोबाइल से पिक्चर बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर रहा है तो कोई एशिया के अति संवेदनशील और सुरक्षा की दृष्टि से निषिद्ध क्षेत्र घोषित कालागढ़ रामगंगा बांध पर 'तफरीह' की फोटो खींचकर और उसे फेसबुक पर लोडकर बांध को खतरे में डाल रही है। ऐसा करने वाले ये कोई मामूली लोग नहीं, बल्कि इनमें एक जनसेवक है और एक लोकसेवक। यानी आम आदमी पार्टी के सांसद भगवंत सिंह मान का मोबाइल से पिक्चर बनाकर संसद भवन की सुरक्षा तार-तार करने का मामला चल ही रहा था कि हमेशा सुर्खियों और विवादों में रहने वाली बिजनौर की जिलाधिकारी बी चंद्रकला ने कालागढ़ रामगंगा बांध के पूर्णतः वर्जित क्षेत्र की फोटो अपने निजी फेसबुक अकाउंट पर वायरल कर दीं और जब उनके इस कृत्य ने तूल पकड़ा तो चुपके से वे फोटो हटा भी लीं, लेकिन तबतक सोशल मीडिया पर कालागढ़ बांध की सुरक्षा का जुलूस निकल चुका था। सबसे बड़ा सवाल कि एक गंभीर अपराध हुआ और बिना एफआईआर के कैसे रफा-दफा हो रहा है? फेसबुक से फोटो हटा लेने से क्या यह मामला खत्म हो गया?
कालागढ़ रामगंगा बांध के प्रतिबंधित क्षेत्र में अपने व्यक्तिगत भ्रमण के फोटो खींचकर उन्हें फेसबुक पेज पर सार्वजनिक करने का यह मामला बांध प्रशासन के लिए मुसीबत बन गया है। कई को इस क्षेत्र में बिना अनुमति के प्रवेश कर लेने पर जेल भिजवाने वाला सिंचाई विभाग विवशता के साथ उस समय केवल देखता रहा। जिलाधिकारी बिजनौर ने शनिवार को कुछ पुलिसवालों और स्थानीय प्रशासन के अधिकारियों के साथ यहां के सभी प्रोटोकॉल तोड़ते हुए इस उच्च सुरक्षा जोन में कालागढ़ रामगंगा बांध के प्रतिबंधित क्षेत्र में प्रवेश किया और संवेदनशील स्थानों पर अपने फोटो खिंचवाकर उन्हें बी चंद्रकला आईएएस के नाम से फेसबुक पर बने अपने निजी पेज पर अपलोड कर दिया, जिसके बाद ये फोटो वायरल हो गए और उन पर गंभीर प्रतिक्रियाएं भी शुरू हो गईं। उनके इस कृत्य के तूल पकड़ने पर उन्होंने फेसबुक से वह फोटो हटा लिए, लेकिन तब तक वह फोटो हजारों लोगों तक जा चुका था। फेसबुक पेज पर इस फोटो को सोमवार की दोपहर तक 81 हजार आठ सौ 38 लाइक और पांच हजार 33 कमेंट मिल चुके थे। अंदाजा लगाया जा सकता है कि एशिया के इस संवेदनशील बांध की सुरक्षा को इस लोकसेवक बी चंद्रकला ने कितना और कहां तक खतरा पहुंचाया होगा। बी चंद्रकला आईएएस नाम का ट्वीटर पर भी अकाउंट है, जिसके फालोवर्स की संख्या अलग है।
जिलाधिकारी बिजनौर बी चंद्रकला बिना आधिकारिक दौरे के एक काफिले के साथ 23 जुलाई शनिवार को कालागढ़ रामगंगा बांध पहुंची थीं। उस दिन वहां उनकी कोई सरकारी बैठक भी नहीं थी। उनके इस दौरे की कोई भी जानकारी बांध प्रशासन के रिकार्ड में नहीं है। यह उनका बिल्कुल निजी दौरा था, जिसमें क्षेत्रीय पुलिस और उनके कुछ अधिकारी भी थे। सबको जानकारी थी कि इस बांध पर आने के संबंध में कुछ गंभीर हिदायतें हैं, जिनमें घूमने से लेकर फोटोग्राफी तक पर कड़ा प्रतिबंध है, मगर बांध के पूरे प्रतिबंधित क्षेत्र में जिलाधिकारी बी चंद्रकला निर्बाधरूप से घूमती रहीं, फोटोग्राफी कराती रहीं। उन्होंने बांध सारे नियम कानून ताक पर रखे हुए थे, उन्हें किसी का कोई भय नहीं था। इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि उनकी टीम ने भी अपने मोबाइल से सेल्फी बनाई होंगी। क्या गारंटी है कि बाकी लोग वर्जित क्षेत्र के उन चित्रों का दुरुपयोग नहीं करेंगे? जिलाधिकारी इस मामले पर कोई बात नहीं कर रही हैं, उनसे संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन वे उपलब्ध ही नहीं हुईं। कालागढ़ रामगंगा बांध के अति निषिद्ध क्षेत्र का फोटो फेसबुक पर होने के बाद बांध के कुछ कर्मचारी दबी ज़ुबान कह रहे हैं कि पुलिस और अधिकारियों के साथ यहां डीएम बिजनौर आई थीं और उन्होंने यहां की फोटोग्राफी की, जिलाधिकारी होने के नाते उन्हें ऐसा करने से कोई नहीं रोक सका।
कालागढ़ रामगंगा बांध की सुरक्षा पर यह गंभीर प्रश्न खड़ा हो गया है कि एक जिलाधिकारी को उच्च सुरक्षा जोन में क्या यह आज़ादी है कि वह वहां की पूर्णतः प्रतिबंधित व्यवस्था की खुलेआम अवहेलना करे और यही नहीं उससे भी आगे बढ़कर उसके चित्र सोशल मीडिया पर डाले? उन्होंने ऐसे स्थल की सुरक्षा को खतरे में डाला है, जिसकी सुरक्षा की हर स्तर पर सतत निगरानी और समीक्षा होती है। एक जिलाधिकारी जो किसी न किसी रूप में उस सुरक्षा व्यवस्था का भी हिस्सा हैं, वह स्वयं ही उस स्थल की संवेदनशीलता को सार्वजनिक कर रही हैं? जिलाधिकारी बी चंद्रकला को ऐसे स्थलों के कायदे कानून क्या कोई और बताएगा? उन्होंने ऐसा करके एक गंभीर दंडनीय अपराध नहीं किया है? क्योंकि कालागढ़ रामगंगा बांध का परिक्षेत्र शुरू होते ही वहां आम आदमी से खास आदमी तक के लिए खास दिशा-निर्देश लागू हो जाते हैं, जिनमें वर्जित क्षेत्र में बिना आज्ञा के प्रवेश करना, वहां के चित्र उतारना सख्त मना और दंडनीय अपराध है। बांध पर चित्र लेने की तो किसी को भी आज्ञा नहीं है। जिलाधिकारी बी चंद्रकला ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए न केवल वहां पर कई लोगों के साथ प्रवेश किया, अपितु वर्जित क्षेत्र के फोटो भी फेसबुक पर डाल दिए।
कालागढ़ रामगंगा बांध को देश विरोधी आतंकवादियों से गंभीररूप से खतरा माना जाता है, इसलिए जिलाधिकारी की यह जिम्मेदारी बनती थी कि यदि कोई भी वर्जित क्षेत्र में फोटोग्राफी करता पाया जाता है तो उसके खिलाफ तत्काल कार्रवाई करें और कराएं, मगर यहां तो जिलाधिकारी ही इस अपराध में सबसे आगे थीं और नहीं कहा जा सकता कि उनकी मौजूदगी में कितने और लोगों ने ऐसा किया होगा। यह जांच का विषय है कि उनके साथ उस समय कौन-कौन अधिकारी थे। सवाल है कि ऐसा करते हुए यदि कोई सामान्य व्यक्ति पकड़ा जाता तो उसे हवालात में डाल दिया गया होता। जिलाधिकारी के मामले में अब तक कोई भी कार्रवाई नहीं की गई है, क्योंकि उनके द्वारा एक गंभीर अपराध हुआ है, उन्होंने तो बांध के मॉडल को ही खतरे में डाल दिया है। गौरतलब है कि कालागढ़ रामगंगा बांध के सुरक्षा अधिकारी पहले भी सामान्य आदमी को इस क्षेत्र में फोटो खींचने पर जेल भेज चुके हैं। वहां मोबाइल और कैमरे जब्तकर लिए जाते हैं। बांध के प्रतिबंधित क्षेत्र में मोबाइल, कैमरा यहां तक कि घड़ी तक ले जाना मना है। डीएम के काफिले में गए लोगों के मोबाइल और कैमरे क्यों नहीं जमा कराए गए?
कालागढ़ बांध लंबे समय से आतंकियों के निशाने पर है। बांध को कई बार आतंकवादी उड़ाने की धमकी दे चुके हैं, इसलिए कई स्थानों पर बांध पर सुरक्षा बैरियर लगे हैं। पिछले दिनों सर्विलांस टीम को बांध क्षेत्र में कुछ संदिग्धों के मोबाइल ट्रेस करने का भी मामला सामने आया था, तब बांध के सुरक्षा बैरियर पर लगे अधिकारियों की अदला बदली भी कर दी गई थी। लोकसेवकों और जनसेवकों से समाज और जनता के सामने केवल अपना महत्व प्रकट करने की नहीं, बल्कि उनके सामने कानून सम्मत प्रशासन और सार्वजनिक व्यवहार के अनुकरणीय और उच्च मानदंड स्थापित करने की आशा की जाती है, जिनका आज सर्वथा अभाव और अवहेलना ही देखने को मिल रही है। भारतीय प्रशासनिक सेवा में चयन होने का मतलब यह कदापि नहीं हो सकता कि लोकसेवक को कुछ भी और मनमर्जी से करने की शक्ति प्राप्त हो गई है। भगवंत मान या बी चंद्रकला के ये अवांछित हौसले इसलिए बढ़ रहे हैं कि उनकी ऐसी निरंकुश प्रवृर्तियों और गैरजिम्मेदाराना गतिविधियों की सरकार अनदेखी कर रही है। जिला प्रशासन के प्रमुख पर बड़ी जिम्मेदारी होती है, ऐसी स्थिति में सरकार को सख्त से सख्त कार्रवाई करनी ही चाहिए।
नारायण दत्त तिवारी सरकार में तीन दशक पुरानी कुछ ऐसी ही इसी क्षेत्र की एक घटना यहां बड़ी प्रासंगिक है, जिसमें कालागढ़ रामगंगा बांध के वर्जित क्षेत्र में बिना अनुमति के घुसने, बांध पर बोटिंग करने, वर्जित क्षेत्र में फोटोग्राफी और एक चीतल पर फायर करने की, बिजनौर जिले के तत्कालीन जिलाधिकारी, तत्कालीन पुलिस अधीक्षक एके सिंह, एसडीएम नजीबाबाद, कमिश्नर मुरादाबाद अरविंद वर्मा को तत्काल तबादले, निलंबन और विभागीय कार्रवाई का सामना करने के रूप में बड़ी कीमत चुकानी पड़ी थी। प्रशासनिक सेवाओं ये अधिकारी न केवल राज्य सरकार में हमेशा लज्जित और उपेक्षित रहे, अपितु प्रतिकूल प्रविष्टि के कारण भारत सरकार में भी कभी नहीं लिए जा सके। किसी प्रशासनिक अधिकारी के जीवन में इससे बड़ा त्रास और क्या होगा? बिजनौर की जिलाधिकारी बी चंद्रकला का कृत्य भी ऐसा ही माना जा रहा है, जिन्होंने कालागढ़ रामगंगा बांध की सुरक्षा को तार-तार करते हुए जिलाधिकारी के रूप में अपनी पात्रता को खोया है। देखना है कि सरकार इस मामले में क्या कार्रवाई करती है।