स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Thursday 11 August 2016 03:34:52 AM
नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने नेशनल नॉलेज नेटवर्क का उपयोग करते हुए 'नवाचार-एक जीवन पद्धति' विषय पर उच्च शिक्षा और अनुसंधान संस्थानों के शिक्षकों और विद्यार्थियों तथा सिविल सेवा अकादमियों के प्रशिक्षु अधिकारियों को संबोधित किया। राष्ट्रपति ने भारत के समावेशी, विविध, सतत और नवाचारी समाज की दिशा में बढ़ने के लिए नौ सूत्रों का प्रस्ताव किया। ये सूत्र हैं-बच्चों को उस समय फटकार नहीं लगानी चाहिए जब वे हमसे वैसे सवाल करते हैं, जिनका उत्तर हम नहीं जानते, हमें अवैज्ञानिक मान्यताओं पर प्रश्न उठाकर वैज्ञानिक तरीके से सोचने को प्रोत्साहित करना चाहिए और इसका पालन किया जाना चाहिए। स्कूलों, कॉलेजों और अनुसंधान संस्थानों में नवाचार क्लब और परिवर्तनशील प्रयोगशालाएं स्थापित की जानी चाहिएं।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमें औपचारिक और अनौपचारिक ज्ञान पद्धति के बीच टिकाऊ और सतत सेतु बनाना होगा, इसके साथ ही अपनी रोज़गार गारंटी योजनाओं तथा कौशल विकास कार्यक्रमों को लागू करते समय सांस्कृतिक, प्रौद्योगिकी तथा पारंपरिक कौशलों को भी मान्यता देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारी शिक्षा प्रणाली समकालीन सामाजिक आकांक्षाओं के अनुरूप होनी चाहिए, हमें अपने मन की जकड़न खत्म करनी होगी और अपने आप से निरंतर पूछना होगा कि हम इस समस्या को कैसे हल कर सकते हैं? प्रणब मुखर्जी ने कहा कि कई बार विफल होने के बावजूद क्या हमें फिर प्रयास नहीं करना चाहिए? हमें समयबद्ध होना पड़ेगा, क्योंकि समय और तूफान किसी का इंतजार नहीं करते, हमें कतई अक्षमता और कम गुणवत्ता का सहन नहीं करना चाहिए।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि भारत में युवकों की आबादी अधिक है, भारत की 1.28 बिलियन की आबादी में 600 मिलियन से अधिक युवा हैं, 25 वर्ष के कम आयु के हैं, भारत के पास सृजनात्मकता है, जानने को लालायित मस्तिष्क है। उन्होंने कहा कि आज के नेटवर्क के माहौल में भारत की पूर्ण क्षमता का उपयोग करने के लिए युवा शक्ति की आवश्यकता है, इसके लिए सृजन संपन्न सोच और नवाचारी इच्छा होनी चाहिए, जो दैनिक जीवन में शामिल हो। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत भले ही कुछ उच्च तकनीकी नवाचारों में पीछे रहा हो, लेकिन जब रोज़ की समस्याओं को हल करने की बात आती है तो हम अंतर पैदा करते हैं। उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति भवन पिछले तीन वर्ष से अपने ‘इन-रेडीजेंस’ कार्यक्रम के तहत नवाचार विद्वानों को अतिथि के तौर पर आमंत्रित कर रहा है, ताकि वे एक साथ मिल बैठकर अपनी सृजनता की बैटरी को रिचार्ज कर सकें। उन्होंने शिक्षाविदों, कारपोरेट नेतृत्व और सामुदायिक नेताओं से देश के नवाचारी लोगों के बारे में सोचने और उन्हें मान्यता देने की दिशा में काम करने का आग्रह किया।