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Friday 12 August 2016 04:10:05 AM
नई दिल्ली। हिंदी के वरिष्ठ कथाकार और नाटककार स्वयं प्रकाश ने हिंदू कालेज की हिंदी नाट्य संस्था 'अभिरंग' के उद्घाटन समारोह में कहा है कि कहानी लिखना एक व्यक्ति की निजी गतिविधि हो सकती है, लेकिन नाटक और रंगमंच के साथ ऐसा नहीं है। उन्होंने कहा कि रंगमंच पर आकर नाटक अपना वास्तविक आकार ग्रहण करता है, जिसमें निर्देशक और नाटक से जुड़े तमाम लोग अर्थ भरते हैं। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी नाटक के क्षेत्र में रुचि लेकर आगे आ रही है, यह सचमुच उल्लेखनीय बात है, जिसका स्वागत भी किया जाना चाहिए।
स्वयं प्रकाश ने इस अवसर पर अपनी चर्चित कहानी 'गौरी का गुस्सा' का पाठ किया, जिसमें उपभोगवादी नई जीवन व्यवस्था पर गहरा व्यंग्य किया गया है। कहानी पाठ के बाद पूछे गए एक सवाल के जवाब में स्वयं प्रकाश ने कहा कि वह पिछले पैंतालीस साल से कहानियां लिख रहे हैं और एक दिन अचानक लिखते-लिखते ख्याल आया कि वह क्या चीज़ है, जो लोक कथाओं को बरसों बरस जिंदा रखती है? उन्होंने कहा कि मैं इस नतीजे पर पहुंचा कि एक तो लोक कथाओं का कथ्य सर्वकालिक होता है अर्थात किसी भी समय का आदमी उसके साथ जुड़ाव महसूस कर सकता है, दूसरे कहने का ढंग इतना रोचक होता है कि सुनने वाले का ध्यान इधर-उधर न भटके।
स्वयं प्रकाश ने कहा कि कथा एक सीध में चलती है, उसमें फालतू के भटकाव या पेंच नहीं होते और उसका प्रवाह निरंतर बना रहता है, उसमें कुछ कौतूहल का तत्व भी होता है तो मुझे लगा कि ये गुण तो हमारी कहानी में भी हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि इनमें ऐसा क्या है जिसे हम साध नहीं सकते? उन्होंने कहा कि जिस देश में अट्ठारह पुराण उपलब्ध हों वहां जादुई यथार्थवाद की बात करना कहां तक संगत है? कहानी को सभागार में उपस्थित श्रोताओं की भरपूर सराहना मिली। अभिरंग से जुड़े एक विद्यार्थी त्रिलेख आनंद के असामयिक निधन पर कार्यक्रम में श्रद्धांजलि दी गई। उनकी कुछ कविताओं का पाठ अभिरंग के युवा अभिनेताओं चंचल सचान, शिवानी शर्मा, शशि उज्ज्वल गुप्ता और आशुतोष कुमार शुक्ल ने किया। साथ ही त्रिलेख आनंद की कविताओं पर पोस्टर भी सभागार में प्रदर्शित किए गए थे।
स्वयं प्रकाश ने अभिरंग के सूचना पट्ट का अनावरण किया। अभिरंग के परामर्शदाता डॉ पल्लव ने अभिरंग के इतिहास तथा अभिरंग की गतिविधियों के बार में बताया। आयोजन की अध्यक्षता कर रहे विभाग के वरिष्ठ आचार्य डॉ अभय रंजन ने फूलों से कथाकार स्वयं प्रकाश का स्वागत किया। आयोजन में हिंदी विभाग के डॉ हरींद्र कुमार, डॉ रचना सिंह, बड़ी संख्या में विद्यार्थी और शोधार्थी उपस्थित थे। अभिरंग की तरफ से पूजा पांचाल ने सभी का आभार माना।