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भारत में भेदभाव को कोई जगह नहीं-नायडू

सिरी फोर्ट सभागार में स्वतंत्रता दिवस फिल्म महोत्सव

स्वतंत्रता आंदोलन में सिनेमा का भी बड़ा योगदान

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 13 August 2016 01:49:04 AM

m. venkaiah naidu

नई दिल्ली। सूचना और प्रसारण मंत्री वैंकेया नायडू ने सिरी फोर्ट सभागार में एक सप्ताह तक चलने वाले 'स्वतंत्रता दिवस फिल्म महोत्सव' का उद्घाटन करते हुए कहा है कि भारतीय सिनेमा ने न केवल स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, बल्कि इसने स्वतंत्रता आंदोलन से संबंधित जाने-माने नेताओं और व्यक्तियों की वीरता और महान कार्यों के संबंध में संदेशों के व्यापक प्रचार में भी मदद की है। उन्होंने कहा कि जनता के मन और सामाजिक व्यवहार पर गहरा प्रभाव डालने के लिए यह जरूरी था कि फिल्मों के माध्यम से सामाजिक संदेश दिए जाएं। सूचना एवं प्रसारण राज्यमंत्री कर्नल राज्यवर्धन राठौड़, सूचना एवं प्रसारण सचिव अजय मित्तल, जानी-मानी फिल्मी हस्तियां चितरथ और एके बीर भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
वैंकेया नायडू ने कहा कि स्वतंत्रता के 70वें वर्ष ने देश को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व में स्वराज से सुराज की ओर ले जाने का अवसर प्रदान किया है, इससे देश लंबे समय से चल रही भ्रष्टता के खिलाफ लड़ने और देश को नई ऊंचाई पर ले जाने में सक्षम होगा। उन्होंने कहा कि हर भारतीय बराबर है और किसी भी व्यक्ति को किसी अन्य के खिलाफ भेदभाव बरतने के लिए कोई जगह नहीं है। उन्होंने कहा कि सभी क्षेत्रों में तेजी से विकास अर्जित करने के लिए राष्ट्र को समाज के हर वर्ग को विकास की कहानी का हिस्सा बनाना चाहिए, चाहे उसकी कोई भी जाति, पंथ, धर्म, क्षेत्र और भाषा हो, सभी भारतीयों को केवल देश की एकता में विश्वास करना चाहिए और भारत की प्रगति में बाधा डालने की किसी को भी कतई अनुमति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने सिविल सोसाइटी और लोगों से अनुरोध किया कि सद्भाव कायम रखने और सभी समुदायों में ताल-मेल बनाए रखने के लिए प्रयास किए जाएं।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दर्शन के बारे में श्रोताओं को संबोधित करते हुए वैंकेया नायडू ने कहा कि अनेक देशों ने अपनी स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ी और वे स्वतंत्र भी हुए, लेकिन भारत का स्वतंत्रता आंदोलन इस रूप में विशिष्ट था कि इसने दुनिया को अहिंसा और लोकतांत्रिक सिद्धांतों की ताकत दिखाई। उन्होंने कहा कि देश के सभी भागों के और सभी वर्गों के लोगों ने स्वतंत्रता आंदोलन में अपना आंदोलन दिया है, जिनमें शिक्षाविद्, वकील, नेता, किसान, कलाकार, साधारण आदमी और महिलाएं सभी शामिल थे। भारतीय सिनेमा के समृद्ध इतिहास और फिल्में किस संदर्भ में बनाई जाती थी का जिक्र करते हुए उन्होंने उल्लेख किया कि 1965 के युद्ध में भारत की जीत ने युवा फिल्म कलाकार मनोज कुमार की कल्पना को हवा दी और उन्होंने 1967 में उपकार फिल्म का निर्माण किया।
स्वतंत्रता आंदोलन के गुमनाम हीरों को याद करते हुए उन्होंने कहा कि बीआर पंथुलु के निर्देशन में 1959 में बनी तमिल फिल्म वीरापांड्या कट्टाबोम्मन तमिलनाडु के तिरुनेलवेली के 18वीं सदी के स्थानीय नेता कट्टाबोम्मन के वीरता और साहस की कहानी थी। स्वतंत्रता आंदोलन की महान हस्तियों और भारत गणराज्य के संस्थापकों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि सरदार वल्लभभाई पटेल ने हमारे देश को एकता के सूत्र में पिरोने और स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में इसकी एकता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सरदार नामक फिल्म में सरदार पटेल के जीवन का चित्रण है, जिसे फिल्म समारोह में दिखाया जाएगा। उन्होंने बताया कि स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान वीर सावरकर के बलिदान का कोई मुकाबला नहीं है। वैंकेया नायडू ने कहा कि इस महोत्सव में शामिल होने वाले स्कूली बच्चों, विशेषरूप से पब्लिक स्कूल के बच्चों को इन महान नेताओं और स्वतंत्रता सेनानियों के इतिहास से प्रेरणा मिलेगी। उद्घाटन समारोह के बाद सर रिचर्ड एटनबरो की निर्देशित गांधी फिल्म दिखाई गई। यह महोत्सव 18 अगस्त तक चलेगा और इसमें 20 फिल्में दिखाई जाएंगी।

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