स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Sunday 14 August 2016 07:19:08 AM
लखनऊ। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय क्षेत्रीय केंद्र लखनऊ ने 28वां समन्वयक सम्मेलन नेशनल पीजी कॉलेज लखनऊ में आयोजित किया, जिसमें इग्नू अध्ययन केंद्रों के 35 से भी अधिक समन्वयकों एवं कार्यक्रम प्रभारियों ने भाग लिया। यह समन्वयक सम्मेलन इग्नू अध्ययन केंद्रों के सुव्यवस्थित संचालन एवं सुदृढ़ विद्यार्थी सहायता के मुद्दों पर विस्तार से चर्चा करने के लिए आयोजित किया गया था। कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि नेशनल पीजी कॉलेज के प्राचार्य डॉ एसपी सिंह थे।
इग्नू की क्षेत्रीय निदेशक डॉ मनोरमा सिंह ने समन्वयकों का स्वागत करते हुए दूरस्थ शिक्षा प्रणाली में अध्ययन केंद्रों के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यह अध्ययन केंद्र एक लघु विश्वविद्यालय है, जहां दूरस्थ विद्यार्थी अपनी अकादमिक एवं व्यक्तिगत समस्याओं का समाधान करते हुए उच्च शिक्षा को ग्रहण करता है। उन्होंने कहा कि इस पूरी प्रक्रिया में अध्ययन केंद्र के समन्वयक एक धुरी होते हैं, जिनके माध्यम से विश्वविद्यालय दूरस्थ शिक्षा के विद्यार्थियों को विद्यार्थी सहायता सेवा प्रदान करता है। मनोरमा सिंह ने कहा कि दूरस्थ शिक्षा के विद्यार्थी की अपेक्षाएं, पारंपरिक विद्यार्थियों से भिन्न होती हैं, अत: समन्वयकों एवं अकादमिक परामर्शदाताओं को एक नए अवतार में दूरस्थ शिक्षा के विद्यार्थियों की समस्याओं को सुनकर संवेदनशीलता पूर्वक समाधान करना होगा।
नेशनल पीजी कॉलेज के प्राचार्य डॉ एसपी सिंह ने कहा कि यदि व्यक्ति में दृढ़ इच्छाशक्ति है तो उसके लिए कोई भी कार्य दुष्कर नहीं है। उन्होंने इस प्रकार की इच्छाशक्ति का विकास विद्यार्थियों में करने की बात कही। उन्होंने इग्नू क्षेत्रीय केंद्र लखनऊ में उच्च शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए किए जा रहे प्रयासों की सरहना की और नेशनल पीजी कॉलेज लखनऊ में स्थित इग्नू अध्ययन केंद्र को हर सम्भव सहायता देने का अश्वासन दिया। उप निदेशक इग्नू के डॉ अश्विनी कुमार ने इग्नू में प्रदत्त अकादमिक परामर्श सत्र संबंधित नियमों की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि परामर्श सत्र, विद्यार्थी सहायता सेवा का मुख्य हिस्सा है तथा इन सत्रों का आयोजन छात्रों की अकादमिक अपेक्षाओं एवं जरूरतों को ध्यान में रखकर होना चाहिए। डॉ अश्विनी कुमार ने परामर्शदाताओं के उन गुणों पर भी चर्चा की, जिनसे दूरस्थ शिक्षा प्रणाली में शैक्षणिक प्रक्रियाओं का निष्पादन किया जाता है।
सहायक क्षेत्रीय निदेशक इग्नू के डॉ अमित कुमार श्रीवास्तव ने इग्नू की मूल्यांकन पद्धति पर विस्तृत चर्चा की एवं सत्रीय कार्य मूल्यांकन के दौरान प्रयोग में आने वाली टिप्पणी पद्धति के बारे में बताया, जिससे छात्रों को अपनी त्रुटियों का एहसास हो सके तथा वे सत्रांत परीक्षाओं के लिए तैयार हो सकें। उन्होंने ऑनलाइन एडमिशन के बारे में विस्तार से चर्चा की। सहायक क्षेत्रीय निदेशक डॉ कीर्ति विक्रम सिंह ने समन्वयकों से इग्नू की शिक्षा के प्रसार की योजनाओं पर चर्चा की, जिससे इग्नू से संचालित कार्यक्रमों की जानकारी उन केंद्रों तक पहुंचे, जहां इग्नू अध्ययन केंद्रों का संचालन हो रहा है। सहायक क्षेत्रीय निदेशक डॉ रीना कुमारी ने इग्नू प्रणाली में परीक्षाएं एवं पुर्नमूल्यांकन जैसी सुविधाओं के बारे में समन्वयकों को बताया एवं उनसे अनुरोध किया कि छात्रों को सही दिशा-निर्देश प्रदान किए जाएं, जिससे छात्र इन सुविधाओं का लाभ उठा सके।
डॉ अनामिका सिन्हा सहायक क्षेत्रीय निदेशक ने बीसीए, एमसीए व अन्य प्रोजेक्ट के संबंध में समन्वयकों को विस्तार से बताया एवं उनसे अनुरोध किया कि छात्रों को सही दिशा-निर्देश प्रदान किए जाएं। एमआर सिद्दीकी सहायक कुल सचिव एवं अनुभाग अधिकारी अरुण कुमार बरूआ ने अध्ययन केंद्रों की वित्त व्यवस्था एवं इग्नू नियमों की विस्तार से जानकारी प्रदान की। समन्वयकों ने अपने-अपने अध्ययन केंद्र की गतिविधियों, विस्तार एवं भविष्य के प्रसार योजना का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया और अध्ययन केंद्र संचालन में आ रही व्यावहारिक समस्याओं को भी इग्नू अधिकारियों के समक्ष रखा, जिसका नियमानुसार निस्तारण करने के लिए इग्नू के अधिकारियों ने सुझाव दिए। कार्यक्रम का संचालन डॉ कीर्ति विक्रम सिंह ने किया एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ रीना कुमारी सहायक क्षेत्रीय निदेशक ने किया।