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Saturday 20 August 2016 07:26:48 AM
नई दिल्ली। हिंदी के संस्मरणकार और बनस्थली विद्यापीठ के पूर्व आचार्य प्रोफेसर सुमंत पंड्या ने हिंदू कालेज की हिंदी नाट्य संस्था 'अभिरंग' की भारतीय स्वतंत्रता की 70वीं वर्षगांठ पर आयोजित भाषण प्रतियोगिता में कहा है कि आजादी संवाद का ही पर्याय है, अपनी ही बात हमेशा सही मानते रहना और संवाद न करना आजादी के विरुद्ध है, अर्थात विषमता के रहते आजादी अर्थहीन है, तथापि हमें यह मानना होगा कि आजादी बेलगाम नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि सामुदायिक सामाजिक मर्यादाओं के भीतर ही आजादी का अर्थ खोजना चाहिए। प्रोफेसर पंड्या ने कहा कि यह संकट का समय है और इस समय मर्यादाओं का उल्लंघन खतरनाक भी हो सकता है। उन्होंने इस अवसर पर अपने अध्यापन के दिनों के कुछ रोचक संस्मरण भी सुनाए।
भाषण प्रतियोगिता में प्रसिद्ध कथाकार और निबंधकार प्रेमपाल शर्मा ने प्रतियोगियों के 'सच्ची आजादी का अर्थ' विषय पर व्यक्त किए गए विचारों की गंभीर विवेचना की। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी में मौलिक चिंतन को बढ़ावा देने वाले ऐसे आयोजनों का स्वागत किया जाना चाहिए। उन्होंने प्रतियोगिता में प्रथम, द्वितीय, तृतीय स्थान पर रहे विद्यार्थियों प्रतिभा सिंह, विनीत कांडपाल और उत्कर्ष पांडे के नामों की घोषणा की। अभिरंग के परामर्शदाता डॉ पल्लव ने अभिरंग के इतिहास तथा अभिरंग की गतिविधियों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि हिंदू कॉलेज में भारतीय स्वतंत्रता की 70वीं वर्षगांठ पर प्रतियोगिताओं की शृंखला का यह दूसरा आयोजन है। कार्यक्रम के संयोजक आशुतोष कुमार शुक्ल ने अतिथियों और प्रतिभागियों का आभार प्रदर्शित किया।