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Monday 5 September 2016 07:18:50 AM
नई दिल्ली। आयकर घोषणा योजना 2016 ऐसे लोगों को अघोषित आय और परिसंपत्तियों को घोषित करने का अवसर देती है, जिन्होंने अतीत में पूरे टैक्स का भुगतान नहीं किया है। इस योजना की शुरूआत 1 जून 2016 को हुई थी और यह 30 सितंबर 2016 तक खुली है। आयकर घोषणा योजना 2016 के नियमों की अधिसूचना 19 मई 2016 को जारी की गई थी। इस योजना के तहत देय राशि का भुगतान किस्तों में, यानि कुल राशि के 25 प्रतिशत का भुगतान 30 नवंबर 2016 तक, अगले 25 प्रतिशत का भुगतान 31 मार्च 2017 तक तथा शेष 50 प्रतिशत का भुगतान 30 सितंबर 2017 तक किया जाएगा।
हितधारकों की चिंताओं को दूर करने और इस योजना के प्रावधानों से संबंधित प्रश्नों को स्पष्ट करने के लिए समय-समय पर नियमों में संशोधन किए जाते रहे हैं और इसी आलोक में छठे सेट का परिपत्र जारी किया गया है। नियमों के तहत कुछ प्रमुख मुद्दों को संबोधित किया गया है और प्राय: पूछे जाने वाले प्रश्नों में वैध घोषणा की जानकारी पूर्णत: गोपनीय रहेगी। इसे न तो किसी भी कानून प्रवर्तन एजेंसी के साथ साझा किया जाएगा और न ही आयकर विभाग जांच करेगा। योजना के तहत घोषित आय 1 जून 2016 के अनुसार अधिग्रहण की लागत या उचित बाजार मूल्य, दोनों में जो भी अधिक होगा, के आधार पर निर्धारित की जाएगी। हालांकि समायोजित अधिग्रहण के स्टांप शुल्क मूल्य के आधार पर दर्ज अचल संपत्ति के मूल्यांकन के लिए लागत मुद्रास्फीति सूचकांक के रूप में भी एक विकल्प मौजूद है।
घोषित आय पर बिना दावे के किए गए टीडीएस के क्रेडिट की अनुमति दी जाएगी। बेनामी संपत्ति को बेनामीदार से घोषित करने वाले व्यक्ति के नाम हस्तांतरण में न ही कोई कैपिटल टैक्स देना होगा और न ही टीडीएस लगेगा। इसके तहत घोषित संपत्तियां न तो फर्जी देनदारियों ऑडिटेड बैलेंस शीट में दर्ज की जाएंगी और न परिसंपत्ति के अधिग्रहण से जुड़ी राशि के रूप में इस तरह की स्कीम के तहत खुलासा हो सकता है। घोषित पंजीकृत अचल संपत्ति के आयोजन की अवधि पंजीकरण की वास्तविक तिथि के आधार पर तय की जाएगी। मूल्यांकन के लिए पंजीकृत मूल्यांक से घोषक से प्राप्त रिपोर्ट पर आयकर विभाग कोई सवाल नहीं करेगा। मूल्य निर्धारकों की जवाबदेही बनी रहेगी। आयकर घोषणा योजना के तहत प्राप्त की गई किसी भी नकद जमा पर एफआईयू या आयकर विभाग कोई भी कारवाई नहीं करेगा, भले ही सर्वेक्षण कार्रवाई के दौरान या बाद में भी कोई सबूत पाया जाता है, अघोषित आय योजना के तहत घोषित संपत्ति के संबंध में कोई भी पूछताछ या जांच नहीं की जाएगी।
आय घोषित करने वाले व्यक्ति को यह विकल्प प्रदान किया गया है कि वह इलेक्ट्रॉनिक तरीके से आयकर आयुक्त, केंद्रीकृत प्रोसेसिंग सेंटर, बेंगलुरू (सीआईटी, सीपीसी) के साथ डिजिटल हस्ताक्षर के तहत आय विवरण दाखिल कर सकता है। तथ्यों के आलोक में सभी प्रमुख प्रश्नों और हितधारकों की चिंताओं को पहले से ही परिपत्रों के माध्यम से संबोधित किया गया है और यह योजना को स्थिरता और निश्चितता प्रदान करने के उद्देश्य से किया गया है। इस योजना पर अब आगे कोई स्पष्टीकरण जारी नहीं किया जाएगा। इस बात को दोहराया गया है कि 30 सितंबर 2016 को यह योजना बंद हो रही है। इस योजना के विस्तार का कोई सवाल ही नहीं है।