स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Saturday 17 September 2016 06:21:06 AM
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने आज नेशनल एसोसिएशन फार ब्लाइंड (इंडिया) के कार्यक्रम में कहा है कि शारीरिक रूप से अशक्त लोगों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिव्यांग शब्द देकर उनमें न केवल हीनभावना का शमन किया है, अपितु उनके योग्य कौशल विकास के अवसरों को विकसित किया है। इस परिवर्तित शब्द की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि दिव्यांगों ने पैरा ओलंपिक में भारत को दो स्वर्ण, एक रजत और एक कांस्य पदक दिलाकर यह साबित कर दिया है कि दिव्यांगजन सक्षम लोगों से भी आगे हैं, उन्होंने देश का मान बढ़ाया है। राज्यपाल ने कहा कि उनकी इस जीत ने यह विश्वास पैदा किया है कि दिव्यांगता मनुष्य की प्रगति के आडे़ नहीं आ सकती, उनमें विश्वास जगाकर, उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि दूसरी तरफ रियो ओलंपिक में हम केवल रजत और कांस्य पदक ही प्राप्त कर पाए, जो एक निराशाजनक स्थिति है।
राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि यदि दृष्टिहीन स्वयं नेत्रदान की मुहिम चलाएंगे तो उसका समाज पर ज्यादा असर होगा। उन्होंने कहा कि अभियान चलाकर नेत्रदान के लिए समाज में जागरुकता लाने की जरूरत है, नेत्रदान से कोई दूसरा इस शानदार संसार को देख सकता है, इसलिए इस विचार से काम करें तो दिव्यांग भी हमारी ताकत बन जाएंगे। उन्होंने कहा कि मन में विश्वास हो तो आगे बढ़ सकते हैं, दृष्टिहीनों को नेत्रदान अवश्य करें। राज्यपाल ने उल्लेख किया कि 2020 तक विश्व में भारत सबसे युवा देश होगा, हमारे देश में बाल मृत्यु दर भी कम हुई है और औसत आयु में भी वृद्धि हुई है। राम नाईक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके जन्म दिवस पर बधाई देते हुए कहा कि यह सुखद संयोग है कि आज उनके जन्म दिवस के साथ-साथ विश्व का निर्माण करने वाले विश्वकर्मा की भी जयंती है। उन्होंने कहा कि वे अपनी और प्रदेश की जनता की ओर से प्रधानमंत्री को जन्मदिन की बधाई देते हैं।
लखनऊ के सांसद रहे और वरिष्ठ भाजपा नेता लालजी टंडन ने कहा कि शारीरिक दिव्यांगता के कारण व्यक्ति किसी से कम है, यह सोचना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत के इतिहास में दिव्यांगजनों का महत्वपूर्ण योगदान है और दिव्यांगजनों ने अपने जीवन में उल्लेखनीय सफलताएं अर्जित की हैं। उन्होंने सूरदास का उदाहरण दिया, जिन्होंने साहित्य और काव्य की ऐसी रचना की, जिसकी तुलना नहीं की जा सकती, इसी प्रकार आज के ही युग में विख्यात संगीतकार रवींद्र जैन पैदा हुए जो नेत्रहीन थे, जिन्होंने रामायण सीरियल में न केवल जीवंत संगीत दिया, उसमें चौपाईयों को अपनी कर्णप्रिय आवाज़ दी, उनका हिंदी और अंग्रेजी तक पर ग़जब का नियंत्रण था। उन्होंने कहा कि ऐसे बहुत से लोग हैं, जो दिव्यांग हैं, परंतु वे समाज की भी बढ़चढ़कर सेवा कर रहे हैं। कार्यक्रम में संस्था के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ अरुण शर्मा और राष्ट्रीय महासचिव सत्यकुमार सिंह ने भी अपने विचार रखे।