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Saturday 17 September 2016 02:53:23 PM
जोधपुर। देश के जाने-माने युवा हिंदी साहित्यकारों में एक और पश्चिमी क्षेत्र जोधपुर के निदेशक डाक सेवाएं कृष्ण कुमार यादव ने 14 सितंबर को हिंदी दिवस पर पोस्टमास्टर जनरल कार्यालय में डाक विभाग के हिंदी पखवाड़े का शुभारंभ करते हुए कहा है कि सृजन एवं अभिव्यक्ति की दृष्टि से हिंदी दुनिया की अग्रणी भाषाओं में से एक है, हिंदी सिर्फ एक भाषा ही नहीं, बल्कि हमारी सबकी पहचान है और यह हर हिंदुस्तानी का हृदय है। हिंदी की प्रतिष्ठा में कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि हिंदी को राष्ट्रभाषा किसी सत्ता ने नहीं बनाया, बल्कि जनता ने भारतीय भाषाओं और बोलियों के बीच इसे संपर्क भाषाओं की सिरमौर चुना। गौरतलब है कि भारतीय डाक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी कृष्ण कुमार यादव ने हिंदी साहित्य पर उल्लेखनीय कार्य करते हुए न केवल कई नामी पुस्तकें लिखी हैं, बल्कि हिंदी की अनुकरणीय सेवा के लिए अनेक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मान भी प्राप्त किए हैं।
साहित्यकार कृष्ण कुमार यादव ने हिंदी प्रेमियों और हिंदी के अनेक हस्ताक्षरों के बीच कहा कि हिंदी में विश्व भाषा बनने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे विश्व में भारत के प्रति दिलचस्पी बढ़ रही है, वैसे-वैसे हिंदी के प्रति भी रुझान बढ़ रहा है, दूसरे प्रमुख गैरहिंदी भाषी देशों में हिंदी सीखने की ललक है, अपितु ने हिंदी बोल भी रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज परिवर्तन और विकास की भाषा के रूप में हिंदी के महत्व को नए सिरे से रेखांकित किया जा रहा है, हिंदी आज सिर्फ साहित्य और बोलचाल की ही भाषा नहीं, बल्कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी से लेकर संचार क्रांति, सूचना प्रौद्योगिकी से लेकर व्यापार की भाषा भी बनने की ओर अग्रसर है। कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि जहां एक लंबे समय तक हिंदी के अख़बारों, पत्रिकाओं, रेडियो, टीवी और सिनेमा ने हिंदी के प्रसार में अहम भूमिका निभाई है, वहीं इण्टरनेट के विस्तार और वर्ष 2007 में कंप्यूटर के लिए यूनिकोड फॉण्ट आने के बाद हिंदी को पंख लग गए और अब वह समृद्धशाली बनती जा रही है।
कृष्ण कुमार यादव ने हिंदी के सतत विकास के अपने अनुभवों से कहा कि डिजिटल क्रांति के इस युग में वेबसाइट्स, ब्लॉग, फेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया ने तो हिंदी का दायरा और भी विकसित कर दिया है। उन्होंने हिंदी के और भी बढ़ते महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि विश्व की सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में हिंदी की गणना हो रही है, दुनिया में चीन की मंदारिन भाषा के बाद हिन्दी बोलने वालों की संख्या सर्वाधिक है, विश्व भर में हिंदी बोलने वाले 50 करोड़ हैं तो इसे समझने वालों की संख्या 80 करोड़ है। उन्होंने कहा कि विश्व के लगभग 150 विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जाती है, जो कि हिंदी की बढ़ती लोकप्रियता का परिचायक है। उन्होंने कहा कि वैश्वीकरण और आर्थिक उदारीकरण ने हिंदी को और ज्यादा बढ़ावा दिया है, क्योंकि बाजार को लोगों तक पहुंच स्थापित करने के लिए उनकी भाषा में ही संवाद करना होता है और जैसा कि सभी जानते हैं कि भारत विश्व का बड़ा बाज़ार बन चुका है।
हिंदी दिवस पर सहायक निदेशक राजभाषा इशरा राम ने भी अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने हिंदी पखवाड़े के दौरान डाक विभाग के विभिन्न कार्यक्रमों की विस्तार से जानकारी देते हुए लोगों से ज्यादा से ज्यादा भागीदारी की अपील की। सहायक निदेशक कानसिंह राजपुरोहित ने कहा कि 14 सितंबर 1949 को ही संवैधानिक रूप से हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया गया था,संविधान के अनुच्छेद 343 में यह प्रावधान है कि देवनागरी लिपि के साथ हिंदी भारत की राजभाषा होगी। वरिष्ठ लेखाधिकारी एमजे व्यास नेकहा कि हिंदी पूरे देश को जोड़ने वाली भाषा है और सरकारी कामकाज में भी इसे बहुतायत अपनाया जाना चाहिए। हिंदी दिवस कार्यक्रम मेंसहायक अधीक्षक बीआर राठौड़, पुखराज राठौड़, अनिल कौशिक, जमुना देवी, रमेश गुर्जर, ओपी चांदोरा सहित तमाम विभागीय अधिकारी कर्मचारी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डाक निरीक्षक सुदर्शन सामरिया ने किया और सहायक डाक अधीक्षक राजेंद्र सिंह भाटीने आभार व्यक्त किया।