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Tuesday 27 September 2016 03:34:19 AM
नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन को पीएसएलवी-सी 35 के सफल परीक्षण पर बधाई दी है, जिसमें उन्नत उपग्रह एससीएटीएसएटी-1 के साथ-साथ अन्य सात सह-यात्री उपग्रहों को भी ले जाया गया है। इसरो के अध्यक्ष एएस किरण कुमार को भेजे अपने संदेश में राष्ट्रपति ने कहा कि आपको और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की पूरी टीम को पीएसएलवी-सी 35 के सफल परीक्षण पर हार्दिक बधाई। उन्नत उपग्रह एससीएटीएसएटी-1 के साथ अन्य सात सह-यात्री उपग्रह अल्जीरिया, कनाडा, यूएसए और दो भारत से ले जाए गए हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि मैं यह समझता हूं कि एससीएटीएसएटी-1 का उपयोग विंड वेक्टर डाटा उत्पादों के लिए मौसम की भविष्यवाणी, चक्रवात का पता लगाने और उपयोगकर्ताओं के लिए सेवाओं पर नज़र रखने में किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हमारे देश को इस सफलता पर गर्व है, जो हमारी अंतरिक्ष क्षमताओं की प्रगति में एक महत्वपूर्ण कदम है। प्रणब मुखर्जी ने इसरो टीम के वैज्ञानिकों, इंजीनियरों, प्रौद्योगिकीविदों तथा अन्य सभी को जो इस महान मिशन के साथ जुड़े रहे हैं, बधाई देते हुए कहा कि मैं आशा करता हूं कि आने वाले वर्ष में भी इसरो इसी तरह नए आयाम छूता रहेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीएसएलबी सी-35/स्कैटसैट-1 उन्न मौसम सैटेलाइट और 7 अन्य सैटेलाइटों के सफल प्रक्षेपण पर इसरो तथा उसके वैज्ञानिकों को बधाई दी है। प्रधानमंत्री ने बधाई संदेश में कहा है कि भारत के लिए यह अति उत्साह एवं गौरव का क्षण है, पीएसएलबी सी-35/ स्कैटसैट-I तथा 7 अन्य सैटेलाइटों के सफल प्रक्षेपण पर इसरों को बधाई। उन्होंने कहा कि हमारे अंतरिक्ष वैज्ञानिक इतिहास रचते रहे हैं, उनके नवोन्मेषी उत्साह से 125 करोड़ भारतीयों एवं राष्ट्र को विश्वव्यापी गौरव प्राप्त हुआ है।
उल्लेखनीय है कि अपनी सैतीसवीं उड़ान में पीएसएलवी-सी35 इसरो के पोलर उपग्रह प्रक्षेपण यान ने सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र एसएचएआर श्रीहरिकोटा से कल प्रात: सात सहयात्री उपग्रहों के साथ 371 किलो के स्काटसेट-1 उपग्रह का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया। यह पीएसएलवी का लगातार 36वां सफल मिशन है। पीएसएलवी-सी35 से ले जाए गए सभी आठ उपग्रहों का कुल वजन 675 किलोग्राम था। पीएसएलवी-सी35 दो अलग-अलग कक्षाओं में ऑन बोर्ड ले जाए गए उपग्रहों का प्रक्षेपण करने वाला पहला पीएसएलवी मिशन है। यह मिशन आज तक आयोजित सभी पीएसएलवी मिशनों में सबसे लंबा था और लिफ्ट ऑफ के बाद इसे पूरा करने में 2 घंटे 15 मिनट और 33 सेकंड का समय लगा।
पीएसएलवी-सी35 भारतीय समय के अनुसार 9:12बजे प्रात: लिफ्ट ऑफ के बाद पहले चरण के दहन के बाद तद्वर्ती महत्वपूर्ण उड़ान घटनाओं में स्ट्रेप ऑन दहन ऑल विलगन, पहले चरण का विलगन, दूसरे चरण का दहन, पेलोड फेयरिंग विलगन, दूसरे चरण का विलगन, तीसरे चरण का दहन और विलगन, चौथे चरण का दहन और कटऑफ शामिल है, जो योजना के अनुसार हुए हैं। करीब 16 मिनट 56 सेकंड की उड़ान के बाद वाहन ने 724 किलोमीटर पोलरसन सिनक्रोनस कक्ष को प्राप्त किया और भूमध्य रेखा की ओर 98.1 डिग्री के कोण पर झुका, इसके 37 सैकिंड के बाद प्राथमिक उपग्रह स्केटसेट-1 पीएसएलवी चौथे चरण से अलग हो गया। स्केटसेट-1 उपग्रह से भेजे गए डेटा हवा वेक्टर उत्पादों के सृजन के माध्यम के साथ-साथ चक्रवात का पता लगाने और ट्रैकिंग के साथ-साथ उपभोक्ता समुदायों को मौसम की भविष्यवाणी सेवाएं उपलब्ध कराने में मदद करेंगे।
स्केटसेट-1 के सफल विलगन के बाद पीएसएलवी-सी35 मिशन जारी है। सात सह-यात्री उपग्रहों को ले जाते हुए पीएसएलवी का चौथा चरण दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र के ऊपर हुआ और इसके बाद यह उत्तरी गोलार्द्ध की तरफ बढ़ता हुआ चला गया। स्केटसेट-1 और पीएसएलवी-सी35 की कक्षाओं के मध्य चौथे चरण के दौरान सुरक्षित दूरी बनाई रखी गई। लिफ्ट ऑफ के एक घंटे 22 मिनट 38 सैकिंड बाद जैसे ही उत्तरी ध्रुवीय क्षेत्र में चौथा चरण हुआ तो पीएसएलवी चौथे चरण के दो इंजन फिर से प्रज्जवलित हुए, इसके कारण यह पृथ्वी के एक ओर 725 किलोमीटर और दूसरी ओर 670 किलोमीटर दीर्घवृत्ताकार कक्षा में प्रविष्ट हुआ। पीएसएलवी का चौथा चरण 50 मिनट बाद जैसे ही दक्षिण ध्रुव के पास पहुंचा, इसके इंजन पर 20 सेकंड के लिए फायर किया गया। इस दूसरी फायरिंग ने चौथे चरण भूमध्य रेखा की ओर 98.2 डिग्री के कोण पर झुके 669 किलोमीटर ऊंचाई के वृताकार कक्ष में प्रवेश करने में मदद की।
पीएसएलवी-सी35 चौथे चरण से करीब 37 सेकंड बाद सफलतापूर्वक अलग हो गया। इसके 30 सेकंड के बाद एलसेट-1 सफलतापूर्वक अलग होने वाला पहला सहयात्री उपग्रह था। उसके बाद एनएलएस-19, प्रथम, पीसेट, एलसेट-1 बी, एलसेट-2 बी और पाथ फाइंडर-1 पीएसएलवी चौथे चरण से सफलतापूर्वक अलग हुए। पीएसएलवी-सी35 मिशन से ले जाए गए सात सहयात्री उपग्रहों में दो प्रथम का वजन दस किलो प्रतिसेट का वजन 5.25 किलोग्राम का वजन था, शेष पांच सहयात्री उपग्रह में अलजीरिया के तीन, कनाडा का एक और अमेरिका का एक अंतरराष्ट्रीय उपभोक्ता उपग्रह थे। इस प्रक्षेपण से पीएसएलवी की दो विभिन्न कक्षाओं में सफलतापूर्वक उपग्रह प्रक्षेपण की क्षमता का प्रदर्शन हुआ है। भारतीय वर्कहार्स प्रक्षेपण वाहन पीएसएलवी द्वारा प्रक्षेपित उपग्रहों की कुल संख्या बढ़कर 121 हो गई है, जिसमें से 42 भारतीय और शेष 79 विदेशी हैं।
प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने भी ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान पीएसएलवी-सी35 के सफल प्रक्षेपण पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन को बधाई दी है। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि कक्षा में सफलतापूर्वक सभी 8 उपग्रह के स्थापित होने से इसरो के इतिहास में एक और स्वर्णिम पृष्ठ जुड़ गया। पीएसएलवी की 37वीं उड़ान में पीएसएलवी-सी35 को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र श्रीहरिकोटा से फर्स्ट लांच पैड से लांच किया गया था। इसके साथ मौसम संबंधी अध्ययन के लिए 371 किलोग्राम का स्कैटसैट-1 उपग्रह और सात सहयात्री उहग्रहों को भेजा गया। सहयात्री उपग्रह अल्जीरिया, कनाडा तथा अमेरिका के हैं और दो उपग्रह भारतीय विश्वविद्यालय अकादमिक संस्थान के हैं। यह पीएसएलवी मिशन में पहला मौका है, जब दो अलग-अलग कक्षाओं में पेलोड लांच किया गया।