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Tuesday 27 September 2016 05:26:58 AM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीएसआईआर की प्लैटिनम जुबली के उद्घाटन पर कहा है कि सीएसआईआर भारत और उसकी विविधता का प्रतीक है, सीएसआईआर ने अपने समग्र अनुसंधान और विकास दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए राष्ट्र की सारी गतिविधियों पर अपनी अमिट छाप छोड़ी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें आशा है कि सीएसआईआर 2022 तक, जब देश की आजादी के 75 वर्ष होंगे, देश के किसानों की आय दोगुना करने के सरकारी कदम में महत्वपूर्ण योगदान करेगी। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद के अध्यक्ष भी हैं।
प्रधानमंत्री ने देश के वैज्ञानिकों से कहा कि किसान जिन समस्याओं का सामना कर रहे हैं, उनका तकनीकी समाधान निकाला जाना चाहिए, यह काम उत्पादन बढ़ाने की दृष्टि से ही नहीं, बल्कि ‘प्रति बूंद और फसल’ जैसे कार्यक्रम के जरिए बंजर भूमि में फसल उगाने की दृष्टि से भी किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य ‘एक इंच भूमि और गांठ भर फसल’ होना चाहिए। नरेंद्र मोदी ने कहा कि पिछले 75 वर्ष के सीएसआईआर के योगदान के अनुरूप देश को संस्थान से समयबद्ध सेवा की अपेक्षा है, परिषद यह केवल अपनी गतिविधियों और परिणामों की सहक्रियता से सरकार, उद्योग, समाज सहित जन-जन तक टेक्नोलॉजी ले जाकर ही कर सकती है। उन्होंने वैज्ञानिक समुदाय का आह्वान किया कि वे व्यक्तिगत रूप से विज्ञान के विद्यार्थियों का मार्ग निर्देशन करें, ताकि विद्यार्थियों के विचारों तथा ऊर्जा को दिशा मिल सके और भारत भविष्य में ‘अनुसंधान उद्यमियों’ का हो।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सीएसआईआर ने स्वास्थ्य क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान किया है, लेकिन आज जब देश टीबी, चिकनगुनिया, डेंगू जैसी बीमारियों से जूझ रहा है, सीएसआईआर को किफायती नैदानिक उपाय खोजने पर बल देना चाहिए, ताकि इन महामारी जैसी घातक बीमारियों को रोका जा सके। विज्ञान और टेक्नोलॉजी तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ हर्षवर्द्धन ने संस्थान को समर्थन और निर्देशन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देते हुए कहा कि विश्व की शीर्ष 100 अनुसंधान संस्थानों में शामिल सीएसआईआर समयबद्ध रूप से देश के लोगों की सेवा करेगी। प्रधानमंत्री ने सीएसआईआर की प्रयोगशालाओं में विकसित सात पौधों की नई किस्मों को जारी किया।