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आध्यात्मिक शक्ति सर्किट की आवश्यकता

लखनऊ में हुआ 51 शक्तिपीठों का अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार

देश और विदेश के विद्वानों का हुआ बड़ा समागम

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 18 October 2016 11:53:11 PM

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लखनऊ। देश-विदेश की 51 आध्यात्मिक शक्तिपीठों पर लखनऊ में हुए तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार में आध्यात्मिक शक्ति सर्किट की स्थापना पर जोर दिया गया। दक्षिण एशियाई देशों से पधारे विद्वानों एवं शोधकर्ताओं ने इस अवसर पर सांस्कृतिक तीर्थ यात्रा की संभावनाओं पर गहन विचार-विमर्श किया। विद्वानों ने अपने शोध पत्रों के निष्कर्षों में शक्तिपीठों के धार्मिक, आर्थिक, सामाजिक एवं वैज्ञानिक महत्व को दर्शाते हुए शक्ति सर्किट स्थापना की पुरजोर वकालत की। समापन सत्र की अध्यक्षता प्रोफेसर मक्खन लाल ने की, जबकि मुख्य अतिथि के रूप में आशीष सेवा यज्ञ न्यास के प्रकाशन प्रकोष्ठ के अध्यक्ष और भदोही जनपद के जिलाधिकारी एसके सिंह उपस्थित थे। उल्लेखनीय है कि एसके सिंह ने शक्तिपीठों पर अनुकरणीय काम किया है और वे इनके उन्नयन के लिए सतत प्रयत्नशील माने जाते हैं।
लखनऊ विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट ऑफ टूरिज्म स्टडीज़ एवं आशीष सेवा यज्ञ न्यास के तत्वावधान में पिलग्रिमेज एंड सस्टनेबल कल्चरल टूरिज्म इन साउथ एशिया: द शक्तिपीठ प्रेस्पेक्टिव विषय पर इस अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार में वक्ताओं ने अपनी-अपनी बारी पर शक्तिपीठों पर प्रकाश डाला। समापन सत्र में विद्वानों ने शक्ति के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत चर्चा के साथ-साथ प्रस्तुत शोधपत्रों का विश्लेषण किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि भदोही के जिलाधिकारी एसके सिंह ने कहा कि संगोष्ठी अपने उद्देश्यों में सार्थक रही, संगोष्ठी के निष्कर्षों से शक्तिपीठ परिपथ की परिकल्पना को साकार करने में काफी मदद मिल सकेगी। एसके सिंह ने प्रस्तुत शोध निष्कर्षों को दृष्टिगत रखते हुए कहा कि शक्ति सर्किट की रणनीति को और अधिक मुखर एवं प्रभावी बनाने के उद्देश्य से अगला सेमिनार पश्चिम बंगाल के शांति निकेतन में किया जाएगा, क्योंकि वहां पर इस संबंध में आधारभूत कार्य किए जा चुके हैं, बस उन्हें नियोजित कर एक सही दिशा देने की जरूरत है।
अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में विद्वानों एवं शोधकर्ताओं ने कुल 51 शोधपत्र प्रस्तुत किए। समापन सत्र में इन सभी शोधपत्रों का गहन विश्लेषण किया। कार्यक्रम के आयोजक सचिव प्रोफेसर मनोज दीक्षित ने बताया कि सभी शोधपत्र विषय की गहनता के साथ-साथ सम्यक अनुशीलनपरक है। इन सभी शोधपत्रों का प्रकाशन एक जर्नल के रूप में शीघ्रातिशीघ्र किया जाएगा। प्रोफेसर डीपी तिवारी ने शक्ति के संदर्भ में महिला सशक्तिकरण पर प्रकाश डाला। सत्र में शक्ति और राजनीति, शक्तिपीठ परिपथ के विकास से जुड़े मुद्दों पर व्यापक विचार-विमर्श हुआ। इस अवसर पर आशीष सेवा यज्ञ न्यास के अध्यक्ष पंडित रघुराज दीक्षित, डॉ जीजी सक्सेना, वरद तिवारी, पुष्पा दीक्षित, अजय अरोड़ा एवं तृप्ति तिवारी और बड़ी संख्या में शोधकर्ता एवं विद्यार्थी उपस्थित थे। सेमिनार का समापन कार्यक्रम लखनऊ विश्वविद्यालय के न्यू कैम्पस के टूरिज्म स्टडीज़ विभाग में हुआ।

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