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Monday 7 November 2016 04:27:49 AM
नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह सुरेश भैय्याजी जोशी और तमाम गौभक्तों, सामाजिक और राजनीतिक लोगों ने 7 नवंबर 1966 को संसद के बाहर गौरक्षार्थ प्रदर्शन करते हुए शहीद हुए गौभक्तों को दिल्ली के जवाहरलाल नेहरु स्टेडियम में भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की। कार्यक्रम में केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह भी उपस्थित थे। इस अवसर पर सुरेश भैय्याजी जोशी ने कहा कि गौसेवा, गौरक्षा तथा गौसंवर्धन एक तपस्या है, जिसके साधकों का मार्ग निष्कंटक रहे और इस हेतु सभी गौभक्तों, समाजशास्त्रियों, राजनेताओं के साथ धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक संगठनों को कार्य करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि कानून से अधिक महत्वपूर्ण गौरक्षा हित संकल्पबद्ध होना है। उन्होंने कहा कि कृषि को रसायन से मुक्त कर भूमि को सुजलाम् सुफलाम् बनाने का विश्वास गौमाता ही दिलाकर सब प्रकार के जीवों की रक्षा करती है।
सुरेश भैय्याजी जोशी ने कहा कि गौपालन लाभ-हानि के हिसाब से नहीं, बल्कि कामधेनु के पालन भाव से किया जाता है। उन्होंने कहा कि इस बात पर कोई संघर्ष करता है तो निश्चित रूप से पीड़ा होती है। उन्होंने कहा कि भारत के किसान और असंख्य गौभक्त गौमाता की रक्षा मानव कल्याण हेतु करते हैं। इस अवसर पर विश्व हिंदू परिषद के महामंत्री चंपत राय ने मन, वचन और कर्म से गौरक्षा, गौसंवर्धन और गौसेवा का संकल्प भी दिलाया। कार्यक्रम में मौजूद अनेक संतों ने अपने उद्बोधन में प्रश्न किया कि सवा सौ करोड़ नागरिकों के देश भारत में प्रतिवर्ष लगभग सवा लाख गायों का वध क्या इसलिए किया जाता है कि वह केवल हिंदुओं की माँ है? वेदों में तो गौहत्यारे को शीशे की गोली से मारने की आज्ञा है, गौहत्यारे और उनके समर्थक-पोषक हिंदू समाज के धैर्य की परीक्षा न लें।
भारत के गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि गौरक्षा का मामला आस्था, संस्कृति और आध्यात्मिक भावना से जुड़े होने के साथ-साथ उसके आर्थिक, सामाजिक व वैज्ञानिक पहलू से अधिक महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि जहां वैदिक काल से गौह्त्या प्रतिबंधित थी, वहीं मुग़ल शासकों ने भी गौहत्या निषेध का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक तथ्यों ने पुष्टि की है कि गाय में पाए जाने वाले 80% जीन्स वही हैं, जो मनुष्य में पाए जाते हैं, एक पौंड बीफ में 1800 गैलन पानी लगता है, जो पर्यावरण संतुलन के लिए बहुत ही घातक है। उन्होंने कहा कि संविधान के नीति निदेशक तत्वों की मूल भावना को समझकर अनेक राज्यों ने कानून बनाए हैं तथा हमने भी बंग्लादेश सीमा पर बड़े पैमाने पर होने वाली गौतस्करी को रोका है, किंतु अभी भी बहुत कुछ करने की आवश्यकता है। इस कार्यक्रम की एक विशेषता यह थी कि इसमें सैकड़ों की संख्या में मुस्लिम गौरक्षकों ने भी भाग लिया, मगर कार्यक्रम का एक निराशाजनक पक्ष यह रहा कि इस कार्यक्रम को टीवी चैनलों और समाचार पत्रों में कवरेज़ नहीं मिला। स्टेडियम के विराट सभागार में खचाखच भीड़ थी और बड़ी संख्या में लोग ज़मीन पर भी बैठे थे।
वाल्मीकि संत रवि शाह महाराज ने अपने संबोधन में कहा कि दलित समाज ने गौरक्षा हेतु सदैव बलिदान दिए हैं, किंतु कुछ लोग आज साजिश के तहत समाज तोड़ने का कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि गाय जोड़ती है, तोड़ती नहीं। युवा गौभक्त मुहम्मद फैज़ खान ने कहा कि क़ुरान से लेकर मुहम्मद साहब तक सभी ने गाय के दूध को अमृत और गाय के मांस को ज़हर की संज्ञा दी है। उन्होंने कहा कि आज इस सभा में बड़ी संख्या में मौजूद मुस्लिम महिला व पुरुष गौरक्षक इस बात को भली-भांति जानकर गौरक्षार्थ जुटे हैं। बलिदानी गौभक्तों को मुंबई से पधारे और श्रद्धांजलि कार्यक्रम के अध्यक्ष स्वामी विश्वेश्वरानंद, स्वामी गोविंद देव गिरी, मंच संचालक एवं वृंदावन के संत स्वामी ज्ञानानंद, अखिल भारतीय धर्माचार्य सभा के महामंत्री स्वामी परमात्मानंद, जैन मुनि लोकेश मुनि, राजेंद्र मुनि, विवेक मुनि, सिख संत भूपेंद्र सिंह, मलूक पीठ वृंदावन के राजेंद्रदास अग्रदेवाचार्य स्वामी राघवाचार्य (सीकर राजस्थान), वृंदावन के रामप्रवेशदास, आर्ट ऑफ लिविंग के श्रीश्री रविशंकर के शिष्य स्वामी परमतेज एवं गौडीय मठ के महायोगी, सुधांशु महाराज सहित अनेक श्रेष्ठ संतों ने संबोधित किया।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सह-सरकार्यवाह कृष्ण गोपाल, प्रांत कार्यवाह भारत, विहिप के अंतर्राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओमप्रकाश सिंहल, संगठन महामंत्री दिनेश चंद्र, संयुक्त महामंत्री डॉ सुरेंद्र जैन, प्रवक्ता विनोद बंसल, भाजपा के संगठन महामंत्री रामलाल, प्रदेश अध्यक्ष सतीश उपाध्याय, दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता, राष्ट्रवादी शिवसेना के अध्यक्ष जय भगवान गोयल, राष्ट्रीय गोधन महासंघ के विजय खुराना, कामधेनु ट्रस्ट के डॉ नरेश शर्मा, स्वदेशी जागरण मंच के दिल्ली और हरियाणा के प्रांत संगठक कमलजीत, धार्मिक, सामाजिक व सांस्कृतिक संगठनों के पदाधिकारी, गौशालाओं के प्रतिनिधि तथा बड़ी संख्या में गौभक्त उपस्थित थे। विश्वविख्यात भगवत गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने डॉ अशोक कुमार शर्मा की पुस्तक 'गौधन दर्शन' का भी विमोचन किया। डॉ अशोक कुमार शर्मा उत्तर प्रदेश सरकार के सूचना निदेशालय में विभिन्न महत्वपूर्ण दायित्व निभाते हुए कुछ समय पहले संयुक्त निदेशक पद से सेवानिवृत हो चुके हैं। डॉ शर्मा एक प्रसिद्ध लेखक हैं। अनुकरणीय लेखन और जनसंपर्क के क्षेत्र में उन्हें अनेक प्रतिष्ठित राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मान मिले हैं। महत्वपूर्ण विषयों पर विभिन्न भाषाओं में उनकी अनेक लोकप्रिय किताबें हैं।