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Monday 11 February 2013 08:25:16 AM
नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने राज्यपालों से कहा है कि वे देश की एकता और अखंडता को कमजोर करने वाली किसी भी कोशिश को विफल करने के प्रयासों में अटल रहें। सोमवार को राष्ट्रपति भवन में राज्यपालों के 44वें सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए उन्होंने दिल्ली रेपकांड के संदर्भ में कहा कि राज्यपाल महिलाओं की सुरक्षा और कल्याण में सुधार की दिशा में कार्य करें, सरकार ने भी वर्मा समिति की सिफारिशों पर तत्काल कार्रवाई की है और आपराधिक कानून (संशोधन) अध्यादेश 2013 संसद के बजट सत्र में रखे जाने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि समाज में लोगों की सोच बदलने की जरूरत है, ताकि महिलाओं के साथ सम्मानजनक तरीके से व्यवहार किया जाए।
राष्ट्रपति ने कहा कि देश की आंतरिक सुरक्षा में 2012 में सुधार हुआ, लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि हमें देश की एकता और अखंडता को कमजोर करने वाली राष्ट्र विरोधी ताकतों की किसी भी साजिश को विफल करने के अपने प्रयासों में अटल रहना होगा, आतंकवाद से निपटने की हमारी प्रतिबद्धता मजबूत रहनी चाहिए। उन्होंने सीमावर्ती राज्यों को सलाह दी कि वे अतिरिक्त सतर्कता बरतें। सीमावर्ती इलाकों में बुनियादी सुविधाओं के विकास से संबंधित विभिन्न कार्यक्रमों में तेजी लाने की जरूरत है, ताकि बढ़ती चुनौतियों से मुकाबला किया जा सके। राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार के कार्यक्रमों को लोगों तक पहुंचाने की व्यवस्था को तत्काल मजबूत बनाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने पंजाब और हरियाणा में फसलों की विविधता की तैयारी करते हुए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पूर्वी क्षेत्र में उत्पादन बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया है। असम, बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत पूर्वी भारत में हरित क्रांति लाने के लिए 2010-11 में एक कृषि विकास कार्यक्रम को लागू करने का फैसला किया गया। वर्ष 2010-11 और 2011-12 के दौरान कार्यक्रम के लिए 400 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई, जिसे 2012-13 के दौरान बढ़ाकर एक हजार करोड़ रुपये कर दिया गया। पूर्वी भारत में दूसरी हरित क्रांति पर लगातार ध्यान केंद्रित करने और केंद्र और राज्यों की सभी एजेंसियों के प्रयास की जरूरत है।
राष्ट्रपति ने कहा कि पहली हरित क्रांति और उसके पर्यावरण पर प्रभाव से सबक लेकर हमें दूसरी हरित क्रांति करनी चाहिए, जिसमें मिट्टी और जल प्रबंधन के मुद्दों पर शुरू से ही विशेष ध्यान दिया जाए। उन्होंने जोर देकर कहा कि खरीद नीति क्षेत्र के किसानों के हित में होनी चाहिए और क्षेत्र में पर्याप्त भंडारण सुविधाएं बनाई जानी चाहिएं। राष्ट्रपति ने कहा कि पानी, स्वच्छता और स्वास्थ्य के बीच सीधा संबंध है। सुरक्षित पेयजल का इस्तेमाल, खुले में शौच, स्वच्छ भोजन के अभाव से उच्च शिशु मृत्यु दर और अनेक बीमारियों को जन्म देती हैं। उन्होंने कहा कि हमें ग्रामीण और शहरी भारत में उपलब्ध जल संसाधनों का इस्तेमाल तरीके से करना चाहिए, बेकार पानी को फिर से इस्तेमाल योग्य बनाना चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि 2005 से लागू जेएनएनयूआरएम शहरी बुनियादी सुविधाएं सृजित करने के लिए एक प्रमुख निवेश कार्यक्रम है। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत युवाओं का देश है और हम इन्हें उचित शिक्षा और हुनर देकर बेहतर भविष्य की आशा कर सकते हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि चूंकि राज्य विश्वविद्यालयों के पास वित्तीय संसाधनों की कमी है, 12वीं योजना में एक नए कार्यक्रम राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान के माध्यम से उच्च शिक्षा के लिए केंद्रीय धनराशि को स्थानांतरित करने की सिफारिश की गई है। उन्होंने कहा कि 14वें वित्त आयोग की स्थापना जनवरी 2013 में की गई। उन्होंने राज्यपालों से कहा कि वे राज्य वित्त आयोगों के गठन पर ध्यान दें, जिसमें पर्याप्त कर्मचारी हों, राज्य वित्त आयोग की रिपोर्ट समय पर राज्यपाल को मिले और उस रिपोर्ट पर सरकार समय पर कार्रवाई करे।
इस दो दिवसीय सम्मेलन की कार्यसूची में आंतरिक और बाहरी सुरक्षा, सरकार के कार्यक्रमों को लोगों तक पहुंचाने की व्यवस्था को मजबूत करने, पूर्वी क्षेत्र में दूसरी हरित क्रांति के विस्तार, जल प्रबंध और स्वच्छता, जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीनीकरण मिशन (जेएनएनयूआरएम) और उच्च शिक्षा में गुणवत्ता और सुशासन के संदर्भ में राज्यपालों की भूमिका शामिल है। सम्मेलन में उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, नौ केंद्रीय मंत्री, योजना आयोग के उपाध्यक्ष और युआईडीएआई के अध्यक्ष भाग ले रहे हैं।