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Sunday 18 December 2016 01:34:11 AM
नई दिल्ली। भारत सरकार के आयकर विभाग ने कहा है कि कुछ समाचार पत्रों में छपी रिपोर्ट से इस तरह के गलत संकेत जा रहे हैं कि पुराने करेंसी नोटों को जमा करने के परिप्रेक्ष्य में चुनाव आयोग में पंजीकृत राजनीतिक दलों के आयकर रिटर्न की कोई जांच नहीं हो सकती। आयकर विभाग का कहना है कि ऐसा लगता है कि इस तरह के निष्कर्ष इस तथ्य की वजह से निकाले गए हैं कि राजनीतिक दलों की आय को खंड-13ए के तहत आयकर से छूट प्राप्त है, जबकि आयकर छूट कुछ खास शर्तों के तहत केवल पंजीकृत राजनीतिक दलों को ही दी जाती है। देश में नोटबंदी के बाद भ्रांतियों और तथ्यहीन समाचारों की बाढ़ सी आई हुई है, जिस कारण जनसामान्य में गलत संकेत गए हैं।
आयकर विभाग ने स्पष्ट किया है कि आयकर छूट के परिप्रेक्ष्य में कुछ स्पष्टीकरणों को ध्यान में रखे जाने की जरूरत है, जिनपर समाचार रिपोर्ट्स में ध्यान नहीं दिया गया है और राजनीतिक दलों को आयकर छूट के संबंध में गलत तथ्य पेश किए गए हैं। दरअसल आयकर से छूट कुछ खास शर्तों के तहत केवल पंजीकृत राजनीतिक दलों को ही दी जाती है, जिनका जिक्र खंड-13ए में स्पष्ट है, इसलिए केवल पंजीकृत राजनीतिक दलों को ही और वह भी केवल कुछ खास शर्तों के तहत ही छूट है और इसमें भी बहीखातों का रखरखाव तथा अन्य दस्तावेज अनिवार्य हैं, ताकि निर्धारण अधिकारी उनकी आय को घटाने में समर्थ हो सकें।
आयकर विभाग के अनुसार बीस हज़ार रुपये से अधिक के प्रत्येक स्वैच्छिक योगदान के संबंध में राजनीतिक दल को ऐसा योगदान देने वाले व्यक्ति के नाम एवं पते समेत ऐसे योगदानों के रिकॉर्ड का रखरखाव करना होगा। ऐसे प्रत्येक राजनीतिक दल के खातों का एक चार्टर्ड एकाउंटेंड लेखा परीक्षण करेगा। राजनीतिक दल को एक अनुशंसित समय सीमा के भीतर ऐसे प्राप्त अनुदानों के बारे में चुनाव आयोग को एक रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी। आयकर अधिनियम में राजनीतिक दलों के खातों की जांच करने के लिए पर्याप्त प्रावधान हैं तथा ऐसे राजनीतिक दल रिटर्न भरने समेत आयकर के अन्य प्रावधानों के भी विषय हैं।