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Friday 23 December 2016 05:25:30 AM
नई दिल्ली। भारत में वित्तीय लेनदेन के ब्यौरे प्रस्तुत करने के लिए आयकर नियम 1962 का नियम 114ई 1 अप्रैल 2016 से प्रभाव में आ चुका है। आयकर नियम 1962 के नियम 114ई के तहत नकद लेनदेन की सूचना इस प्रकार है-आयकर नियम 1961 के खंड 44एबी के अंतर्गत कोई भी व्यक्ति, जो लेखापरीक्षा के लिए उत्तरदायी है, उसे उत्पाद एवं सेवाओं की बिक्री के संबंध में 2,00,000 रुपए से अधिक के नकद लेनदेन के पावती संबंधी तमाम ब्यौरों की घोषणा नियम 114ई (2) के क्रम संख्या 11 के अतंर्गत करनी होगी। आयकर विभाग ने बताया है कि यदि कोई संदेह उठता है तो ऐसे लेनदेन को सूचना के लिए एकत्रित करने की ज़रूरत होगी।
भारतीय आयकर की इस सूचना के अनुसार सीबीडीटी की 6 अक्टूबर 2016 की अधिसूचना संख्या 91/2016 के तहत नियम 114ई के उप-नियम 3 में निहित एकत्रिकरण के मानदंडों को संशोधित किया गया है, जोकि यह दर्शाता था कि उत्पाद एवं सेवाओं की बिक्री के लिए 2,00,000 रुपए से अधिक के नकद भुगतान की पावती पर एसएफटी के अंतर्गत एकत्रिकरण एवं सूचित करने की ज़रूरत नहीं थी। आयकर विभाग समय-समय पर आयकरदाताओं के लिए उन सूचनाओं का आदान-प्रदान करता है, जो आयकर प्रदान करने में उनकी सहायता करती हैं और जो सजग करती हैं कि आयकरदाताओं की सीमाएं क्या हैं। आयकर विभाग का कहना है कि आयकरदाता देश का सबसे सम्मानित व्यक्ति माना जाता है, जिसका देश के राजस्व में वृहद योगदान होता है।