स्वतंत्र आवाज़
word map

राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को लिखा कड़ा पत्र

लोकायुक्त के प्रतिवेदनों पर की गई कार्रवाई बताएं!

लोकसेवकों के विरुद्ध भ्रष्टाचार आदि के मामले

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 24 December 2016 04:13:55 AM

governor ram naik

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को लोकायुक्त एवं उपलोकायुक्त के विशेष प्रतिवेदनों पर पुनः पत्र लिखकर राज्य सरकार से कृत अथवा प्रस्तावित कार्रवाई के साथ अपना और मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन का स्पष्टीकरण शीघ्र उपलब्ध कराने को कहा है। राज्यपाल ने पत्र में कहा है कि उत्तर प्रदेश लोकायुक्त तथा उपलोकायुक्त अधिनियम की धारा-12 (7) के अंतर्गत अब तक प्रेषित 53 विशेष प्रतिवेदनों, जिसमें वर्तमान लोकायुक्त न्यायमूर्ति संजय मिश्रा का प्रस्तुत एक विशेष प्रतिवेदन भी सम्मिलित है पर अभी तक केवल 2 विशेष प्रतिवेदनों पर राज्य सरकार ने स्पष्टीकरण उपलब्ध कराए हैं तथा शेष 51 के संबंध में न तो स्पष्टीकरण प्राप्त हुआ है और न ही राज्य विधानमंडल के समक्ष प्रस्तुत किए जाने की सूचना प्राप्त हुई है।
राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को प्रेषित पत्र के साथ संलग्न सूची में लोकायुक्त एवं उपलोकायुक्त से प्राप्त विशेष प्रतिवेदनों में 9 पूर्व मंत्रियों, 1 विधायक, 3 अध्यक्ष नगर पालिका एवं नगर पंचायत तथा 40 अधिकारियों का उल्लेख किया है। लोकायुक्त के विशेष प्रतिवेदन में पूववर्ती सरकार के मंत्रियों में अवधपाल सिंह यादव, रामवीर उपाध्याय, बादशाह सिंह, रामअचल राजभर, राजेश त्रिपाठी, अयोध्या प्रसाद पाल, रतनलाल अहिरवार, नसीमुद्दीन सिद्दीकी एवं स्वामीप्रसाद मौर्य तथा विधायक में जौनपुर के मडियाहूं विधानसभा सीट से तत्कालीन विधायक कृष्ण कुमार का नाम शामिल है। राज्यपाल ने इससे पूर्व 12 अगस्त 2016 को मुख्यमंत्री को पत्र प्रेषित कर लोकायुक्त एवं उपलोकायुक्त के विशेष प्रतिवेदनों पर राज्य सरकार से कृत अथवा प्रस्तावित कार्रवाई के साथ अपना और मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन का स्पष्टीकरण उपलब्ध कराने की अपेक्षा की थी।
राम नाईक ने कहा है कि राज्य विधानमंडल ने उत्तर प्रदेश लोकायुक्त तथा उपलोकायुक्त अधिनियम 1975 के अंतर्गत लोकायुक्त तथा उपलोकायुक्त संगठन मंत्रियों, जनप्रतिनिधियों तथा लोकसेवकों के अपने पद व शक्ति के दुरूपयोग कर भ्रष्टाचार करने, अवैध संपत्ति अर्जित करने, लोक संपत्ति को निजी हित में उपयोग में लाने की शिकायतों की जांच करने तथा कुशासन समाप्त कर लोक जीवन में शुचिता व सुशासन को सबल बनाने के उद्देश्य से गठित किया है। उन्होंने कहा कि मंत्रियों, जनप्रतिनिधियों तथा लोकसेवकों के विरुद्ध भ्रष्टाचार से संबंधित प्राप्त शिकायतों की जांच के उपरांत लोकायुक्त संस्था की राज्य सरकार को प्रेषित जांच रिपोर्ट पर लंबे समय तक कार्रवाई न किए जाने से तथा लोकायुक्त के राज्यपाल को प्रेषित विशेष प्रतिवेदन पर भी कार्रवाई न किए जाने से उत्तर प्रदेश लोकायुक्त तथा उपलोकायुक्त अधिनियम 1975 एवं इसके अंतर्गत गठित लोकायुक्त संगठन का उद्देश्य ही विफल हो जाता है। प्रदेश के नागरिकों को सुशासन का लाभ तब मिलेगा, जब भ्रष्टाचारियों के विरोध में कार्रवाई होगी।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]