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अनुसूचित जनजातियों की सूची में नई जातियां

केंद्रीय जनजातीय मंत्री जुएल ओराम ने उपलब्धियां बताईं

'वन अधिकार अधिनियम पर दिया विशेष ध्‍यान'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 28 December 2016 11:20:29 PM

jual oram addressing a press conference on the achievement of his ministry

नई दिल्ली। केंद्रीय जनजातीय कार्यमंत्री जुएल ओराम ने नई दिल्‍ली में जनजातीय मंत्रालय की इस वर्ष की उपलब्‍धियों का उल्‍लेख करते हुए बताया है कि उनके मंत्रालय ने वन अधिकार अधिनियम के समुचित कार्यांवयन पर विशेष ध्‍यान दिया है। उन्‍होंने मीडिया से कहा कि अक्तूबर 2016 तक राज्य सरकारों से प्राप्त सूचना के अनुसार लगभग 16.78 लाख व्यक्तिगत वन अधिकार अधिकार पत्र 55.43 लाख एकड़ की वन भूमि क्षेत्र के लिए दिए जा चुके हैं, इसके अतिरिक्‍त 48,192 सामुदायिक वन अधिकार अधिकार पत्र लगभग 47 लाख एकड़ वन भूमि क्षेत्र के लिए वितरित किए जा चुके हैं। उन्होंने बताया कि उनके मंत्रालय के वर्ष 2016-17 के बजट आवंटन का 70 प्रतिशत हिस्‍सा खर्च किया जा चुका है।
जनजातीय कार्यमंत्री ने अनुसूचित जनजातियों की सूची में संशोधन का उल्‍लेख किया और बताया कि हाल ही में पुद्दुचेरी की इरूलर यानी विल्‍ली और वेट्टईकरण जैसी जनजातियों को अनुसूचित जनजातियों की सूची में शामिल किया गया है। उन्‍होंने कहा कि असम, छत्तीसगढ़, झारखंड, तमिलनाडु और त्रिपुरा में अनुसूचित जनजातियों की सूची संशोधित करने के लिए संविधान अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति आदेश संशोधन विधेयक 2016 संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा में पेश किया गया था। जुएल ओराम ने कहा कि उनका मंत्रालय जनजातीय लोगों की आवश्यकता तथा जरूरतों के अनुसार ढांचे के निर्माण के लिए कौशल विकास तथा उद्यमिता मंत्रालय के साथ सहयोग कर रहा है। उन्होंने कहा कि 163 प्राथमिकता वाले जनजातीय बहुल जिलों में से प्रत्येक में एक बहुकौशल संस्थान स्थापित करने की योजना है, अवसंरचनात्मक ढांचे के निर्माण पर खर्च, जनजातीय कार्य मंत्रालय तथा राज्य सरकारों के बीच आधा-आधा बांटा जाएगा, इसकी आवर्ती लागत प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत कौशल विकास तथा उद्यमिता मंत्रालय वहन करेगा, इस बारे में कार्य किया जा रहा है।
जुएल ओराम ने इस महीने की 22 तारीख को भुवनेश्‍वर में जनजातीय आजीविका पर राष्ट्रीय संसाधन केंद्र ‘वनजीवन’ की स्‍थापना का भी उल्‍लेख किया। उन्‍होंने कहा कि ‘वनजीवन’ जनजाति समुदायों के सामाजिक, आर्थिक विकास के लिए शोध एवं तकनीकी केंद्र के रूप में कार्य करने हेतु जनजातीय कार्य मंत्रालय के भीतर शीर्ष केंद्रीय संस्थान के रूप में कार्य करेगा। उन्होंने कहा कि संसाधन केंद्र, उद्यमशीलता तथा कौशल उन्नयन के माध्यम से जनजातीय क्षेत्रों में सतत आजीविका केंद्रों के विकास एवं प्रसार का पोषण करेगा। उन्होंने कहा कि ‘वनजीवन’ कौशल विकास तथा उद्यमिता मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय, सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्रालय आदि जैसे अन्य केंद्रीय मंत्रालयों या विभागों के साथ कौशल निर्माण के प्रयास करेगा।
लघु वन उत्पाद के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य का उल्‍लेख करते हुए जुएल ओराम ने कहा कि पिछले महीने इस योजना के कार्यक्षेत्र का विस्‍तार अनुसचूी-5 वाले राज्‍यों से बढ़ाकर देश के सभी राज्‍यों में लागू कर दिया गया है। उन्‍होंने कहा कि एमएफपी की मौजूदा 12 वस्‍तुओं की सूची में 14 अन्‍य वस्‍तुएं भी शामिल की गई हैं, इसके अलावा जनजातीय कार्य मंत्रालय ने निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य की दर से 10% अधिक या कम न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करने के लिए भी राज्यों को छूट दी है। सिकल सेल एनीमिया का उल्‍लेख करते हुए जनजातीय कार्यमंत्री ने कहा कि उनके मंत्रालय ने इसका प्रसार रोकने के लिए कई पहल की हैं, ताकि सिकल सेल वाहक मरीज की देखभाल की जा सके तथा आगे की पीढ़ियां इस बीमारी से बच सकें। उन्होंने बताया कि इस बीमारी के प्रसार पर नियंत्रण के उद्देश्य से सिकल सेल प्रबंधन के लिए एक प्रोटोकॉल मार्च 2015 में जारी किया गया था, इस संबंध में राज्य सरकारों के माध्यम से पूरे देश के जनजातीय लोगों के बीच सिकल सेल के लक्षण तथा बीमारी की घटनाओं को चिह्नित करने के लिए जैव प्रौद्योगिकी विभाग के साथ समन्वय में राज्यों में कार्यशालाएं आयोजित की गईं, जिनमें अब तक लगभग एक करोड़ बच्चों तथा युवाओं की जांच की जा चुकी है।
जुएल ओराम ने कहा कि स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के साथ परामर्श के बाद नवंबर 2016 में राज्यों को एक संशोधित प्रोटोकॉल जारी किया गया है, इसके अनुसार बच्चों तथा युवाओं की जांच के अलावा, गर्भवती महिलाओं की भी जांच की जानी है तथा परिवार में किसी के रोगग्रस्त पाए जाने के मामले में परिवार के अन्य सदस्यों की भी जांच की जाएगी। कार्यक्रम में सिकल सेल वाहकों को परामर्श तथा सिकल सेल के मरीज के उपचार का भी प्रावधान है।

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