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'पंडित दीनदयाल उपाध्याय संपूर्ण वाङ्मय'

राज्यपाल और भाजपा अध्यक्ष कार्यक्रम में शामिल

वाङ्मय और उनके डाक टिकट का हुआ लोकार्पण

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 31 December 2016 01:58:35 AM

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लखनऊ। एकात्म मानवदर्शन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान गोमतीनगर लखनऊ में हुए कार्यक्रम में ‘दीनदयाल उपाध्याय संपूर्ण वाङ्मय’ तथा पंडित दीनदयाल उपाध्याय पर एक डाक टिकट का लोकार्पण किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने की और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह मुख्य अतिथि थे। कार्यक्रम में लखनऊ के महापौर डॉ दिनेश शर्मा, संपूर्ण वाङ्मय के संपादक डॉ महेशचंद्र शर्मा, संपादक मंडल के सदस्य अच्युतानंद मिश्र, राष्ट्रधर्म के संपादक ओमप्रकाश पांडेय, वरिष्ठ स्तंभकार एवं विधानपरिषद के सदस्य हृदय नारायण दीक्षित एवं विशिष्टजन उपस्थित थे। राज्यपाल राम नाईक ने 15 खंडों के दीनदयाल उपाध्याय संपूर्ण वाङ्मय के 13वें खंड की भूमिका लिखी है।
राज्यपाल ने लोकार्पण समारोह में कहा है कि यह सुखद संयोग है कि 1916 में 29 दिसंबर को लखनऊ में राष्ट्रीय कांग्रेस का ऐतिहासिक अधिवेशन हुआ था, जिसमें अंग्रेज़ी साम्राज्य के खिलाफ भारतीय असंतोष के जनक लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने अपने भाषण में कहा था कि ‘स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं उसे प्राप्त करूंगा’ और इसी दिन लखनऊ में ‘दीनदयाल उपाध्याय संपूर्ण वाङ्मय’ और उनपर डाक टिकट का भी लोकार्पण हुआ। राम नाईक ने कहा कि गौरवशाली भारतीय परंपरा के प्रतीक एवं राष्ट्रवादी भावना जगाने वाली 20वीं सदी के महान मनीषियों में पंडित दीनदयाल उपाध्याय का नाम बडे़ ही सम्मान के साथ लिया जाता है, वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी और एकात्म मानववाद के प्रणेता थे, जिन्होंने अपना सारा जीवन राष्ट्रहित के लिए समर्पित कर दिया था। उन्होंने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय एक सामान्य व्यक्ति, कुशल संगठक और मौलिक विचारक होने के साथ-साथ समाजशास्त्री, अर्थशास्त्री, राजनीति विज्ञानी एवं दार्शनिक भी थे। राज्यपाल ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय के उस भाषण के कुछ अंश भी पढ़कर सुनाए, जिसमें उन्होंने कहा था कि हमारा लक्ष्य अंत्योदय है और हमारा मार्ग परिवर्तन है।
राम नाईक ने कहा कि पंडित दीनदयाल ने अपने विचारों से लोगों को जोड़ा। उन्होंने कहा कि एक राजनेता देश के लिए कैसे विचार करता है, यह समझने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय में प्रेरणा देने की अद्भुत शक्ति थी, वे लगन और संपूर्ण के साथ काम करने की मिसाल हैं, संगठन बनाने और उसे चलाने की उनमें अद्वितीय क्षमता थी। उन्होंने कहा कि श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने उनके इस गुण को देखते हुए कहा था कि ‘मुझे दो दीनदयाल दे दो, मैं भारत को बदल दूंगा।’ राज्यपाल ने कहा कि पंडित दीनदयाल ने अंत्योदय में जो अपने विचार व्यक्त किए हैं, उससे प्रेरणा प्राप्त करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि उनके शब्द हमारे लिए मार्गदर्शक हैं और उनके दिखाए रास्ते पर चलने की आवश्यकता है।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने इस कहा कि अंत्योदय को चरितार्थ करने की दृष्टि से भारत सरकार पंडित दीनदयाल उपाध्याय के शताब्दी वर्ष का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि दीनदयाल उपाध्याय संपूर्ण वाङ्मय हर क्षेत्र में काम करने वालों के लिए गीता से कम उपयोगी नहीं है, पंडित दीनदयाल का जीवन स्व के लिए नहीं, बल्कि देश के लिए समर्पित था, वे युगदृष्टा थे और उन्होंने एकात्म मानववाद और अंत्योदय के माध्यम से नई दृष्टि दी। उन्होंने कहा कि पंडित दीनदयाल का मानना था कि अंतिम पायदान में खडे़ व्यक्ति के विकास से ही देश का विकास होगा। उन्होंने कहा कि देश के विकास का संकल्प लें, यही पंडित दीनदयाल के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
वरिष्ठ स्तम्भकार एवं विधान परिषद सदस्य हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि पंडित दीनदयाल केवल एक व्यक्ति का नाम नहीं है, बल्कि एक विचार है, प्रमाणिक चिंतक के रूप में उनका नाम लिया जाता है। उन्होंने प्राचीन दृष्टि और समग्र विचार को पुर्नजीवित करने का कार्य किया। उन्होंने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय तत्वदृष्टा थे, जिन्होंने आर्थिक लोकतंत्र का विचार रखा। उन्होंने कहा कि पंडित दीनदयाल ने देश के सामने शाश्वत विचार रखे। समारोह में संपादक महेशचंद्र शर्मा ने कार्यक्रम की प्रस्तावना प्रस्तुत की तथा महापौर लखनऊ डॉ दिनेश शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

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