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Wednesday 4 January 2017 05:28:45 AM
नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी सरकार के नोटबंदी के ऐतिहासिक फैसले को लागू करने और जनता में उसकी स्वीकारोक्ति की परीक्षा की घड़ी ने दस्तक दे दी है। भारत निर्वाचन आयोग ने देश के पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर विधानसभा के चुनावों की तारीखों की घोषणा कर दी है। विधानसभा चुनाव चार फरवरी से शुरू होंगे और ग्यारह मार्च को इनके परिणाम आ जाएंगे। उत्तरप्रदेश में सात चरणों में चुनाव होंगे। मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी ने एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि गोवा और पंजाब में 4 फरवरी को वोटिंग होगी, उत्तराखंड में 15 फरवरी को चुनाव होंगे, इसके बाद मणिपुर में चुनाव होंगे। मणिपुर में वोटिंग दो चरणों में होगी। यहां पहले चरण के लिए वोटिंग 4 मार्च और दूसरे चरण के लिए 8 मार्च को वोटिंग हो होगी। सभी राज्यों के वोटों की गिनती 11 मार्च को एक साथ की जाएगी। इसी के साथ सभी राज्यों में आचार संहिता लागू हो गई है।
मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम ज़ैदी ने बताया कि उत्तर प्रदेश में 403 विधानसभा सीटों के लिए सात चरणों में चुनाव कराया जाएगा। उत्तर प्रदेश में पहले चरण में 15 जिलों की 73 विधानसभा सीटों पर वोट डाले जाएंगे। पहले चरण में 11 फरवरी को पोल होगा, जबकि दूसरे चरण में 11 जिलों की 67 सीटों के लिए 15 फरवरी को वोट डाले जाएंगे। उत्तर प्रदेश में तीसरे चरण में 69 सीटों पर 19 फरवरी को चुनाव होगा। चौथे चरण में 53 सीटों पर 23 फरवरी को चुनाव होगा। पांचवे चरण में 52 सीटों के लिए 27 फरवरी को वोट डाले जाएंगे। छठे चरण में 49 सीटों पर 4 मार्च को चुनाव होगा और सातवें चरण में 40 सीटों पर 8 मार्च को वोट डाले जाएंगे। यानी उत्तर प्रदेश में ग्यारह फरवरी को चुनाव शुरू होंगे और आठ मार्च को समाप्त हो जाएंगे।
भारतीय निर्वाचन आयोग की विधानसभा चुनावों की तारीखों की घोषणा के अनुसार चार फरवरी से आठ मार्च के बीच उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा में विधानसभा चुनाव होंगे। चुनाव के नतीजे 11 मार्च को आएंगे। चार फरवरी को पंजाब और गोवा में एक चरण में मतदान होगा। उत्तराखंड में 15 फरवरी को एक चरण में मतदान होगा। मणिपुर में दो चरणों में चार मार्च और आठ मार्च को मतदान होगा। उत्तर प्रदेश में 11 फरवरी से आठ मार्च के बीच सात चरणों में मतदान होगा। माना जाता है कि इन राज्यों में नोटबंदी, भ्रष्टाचार, विकास, बेरोज़गारी, नशाखोरी, किसानों की बदहाली, जातीय समीकरण, धार्मिक ध्रुवीकरण, पर्यावरण, सामुदायिक पहचान, भाषायी पहचान और पूर्वोत्तर में बंद व हड़ताल अहम मुद्दे होंगे।