स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Saturday 7 January 2017 12:35:19 AM
नई दिल्ली। भारत और कजाखस्तान ने दोनों देशों के बीच मौजूदा दोहरे कराधान निवारण संधि में संशोधन के लिए एक प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए हैं, जिस पर इससे पहले 9 दिसंबर 1996 को दस्तखत किए गए थे। आय पर लगने वाले करों के संदर्भ में दोहरे कराधान को टालने और वित्तीय अपवंचन की रोकथाम के उद्देश्य से इस पर हस्ताक्षर किए गए थे। प्रोटोकॉल की विशेष बातें-प्रोटोकॉल में कर संबंधी मसलों की जानकारी के कारगर आदान-प्रदान के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्य मानकों का उल्लेख है। इसके अलावा कर संबंधी उद्देश्यों से कजाखस्तान से प्राप्त होने वाली सूचनाओं को कजाखस्तान के सक्षम प्राधिकरण की अधिकृत अनुमति से अन्य विधि प्रवर्तन एजेंसियों से साझा किया जा सकता है।
प्रोटोकॉल में ‘लाभ की सीमा’ से जुड़ा अनुच्छेद है, ताकि डीटीएसी का दुरुपयोग रोका जा सके और इसके साथ ही कर अदायगी से बचने अथवा इसकी चोरी के विरुद्ध बनाए गए घरेलू कानून और संबंधित उपायों को लागू किए जाने की अनुमति दी जा सके। ट्रांसफर प्राइसिंग मामलों में आर्थिक दोहरे कराधान से राहत देने के उद्देश्य से भी इस प्रोटोकॉल में कुछ अन्य विशिष्ट प्रावधान किए गए हैं। यह करदाताओं के अनुकूल कदम है। प्रोटोकॉल में एक तय सीमा के साथ सर्विस संबंधी पीई यानी स्थायी प्रतिष्ठान के लिए भी प्रावधान हैं। इसमें इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि पीई के खाते में जाने वाले लाभ का निर्धारण संबंधित उद्यम के कुल लाभ के संविभाजन के आधार पर किया जाएगा। इसी तरह कर संबंधी उद्देश्यों से भारत से प्राप्त होने वाली सूचनाओं को भारत के सक्षम प्राधिकरण की अधिकृत अनुमति से अन्य विधि प्रवर्तन एजेंसियों से साझा किया जा सकता है।