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Sunday 8 January 2017 04:21:54 AM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक के समापन सत्र को संबोधित करते हुए कहा है कि हम धरती से जुड़े हुए कार्यकर्ता हैं, जिसके कारण हमारे पास ज़मीनी सच्चाई को परखने की ताकत है। उन्होंने कहा कि हम वो नहीं जो हवा के रुख में बह जाएं, हम वो हैं जो हवा का रुख भांप-समझकर उसे मोड़ना जानते हैं, हमारी चर्चा जन-मन का प्रतिबिम्ब है, जिस पर हम पिछले दो दिन से देश और भाजपा के बारे में विस्तृत चर्चा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पांच राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनावों का जो दृश्य उभरकर सामने आ रहा है, यह काफी हौसला बढ़ाने वाला है, यदि हवा का रुख हमारे लिए अनुकूल है तो हमें इसका फायदा उठाना चाहिए। उन्होंने बैठक के निष्कर्षों की ओर ध्यान देते हुए कहा कि जो शासन में बैठे हैं, उनके लिए भी यह मंथन, मार्गदर्शक का काम करता है, यह चिंतन, मनन और उसके सुझाव हमारे लिए काफी मायने रखते हैं। उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में यह मेरे लिए और मेरे जैसे तमाम भाजपा कार्यकर्ताओं के लिए पार्टी के दायित्व को निर्वहन करने का संबल हैं, विचारों का सम्पुट है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जब हम शासन में नहीं होते हैं, विपक्ष में रहते हैं तो दल की गतिविधियां चलाना अपेक्षाकृत सरल होता है, लेकिन जब हम शासन में होते हैं तो ऐसे समय में संगठन को गति देना काफी कठिन होता है। उन्होंने कहा कि संगठन के लोगों को हर वक्त तलवार की धार पर चलना होता है, संगठन में काम करने वालों पर दोहरा दवाब होता है, हमें यह कहते हुए गर्व की अनुभूति हो रही है कि भारतीय जनता पार्टी में वर्तमान में नीचे से ऊपर तक उत्तम तरीके से उत्तम संतुलन के साथ अच्छे तरीके से पार्टी की गतिविधियों को चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार में बैठे लोगों को इस बेहतर तालमेल की बदौलत चिंता की कोई जरूरत नहीं करनी पड़ती, इसका मूल कारण यह है कि शासन व्यवस्था और संगठन व्यवस्था के बीच जीवंत तालमेल और जीवंत अनुबंधन है।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि कालाधन एक समस्या है, जिसके विरुद्ध हम लड़ाई लड़ रहे हैं और हम इसको जीतेंगे भी, इसमें कोई दो राय नहीं हैं, लेकिन समाज की ऐसी शक्ति का दर्शन शायद ही किसी को देखने का सौभाग्य कभी प्राप्त होता है, जो इस बार भारतीय जनता पार्टी को मिला है-जनता का धन्यवाद। उन्होंने कहा कि राष्ट्र पर बाहरी शक्तियों के आक्रमण के वक्त लड़ने के लिए देश इकट्ठा हो जाए, यह सहज और स्वाभाविक है, लेकिन इस तरह के फैसले को जब देश की जनता-जनार्दन का इतना अभूतपूर्व समर्थन मिलता है तब बात ही कुछ और होती है-कुछ तो बात है ऐसी कि हस्ती मिटती नहीं हमारी। उन्होंने कहा कि जब भी हमारे अंदर बुराई आती है, हम खुद ही इससे लड़ने को खड़े हो जाते हैं, अस्पृश्यता, बाल-विवाह, अशिक्षा ऐसी सभी बुराइयों से लड़ने को हम खुद ही तो खड़े हुए। उन्होंने कहा कि यह घटनाक्रम भी उसी तारीख का हिस्सा है कि किस तरह अपने अंदर की बुराई से लड़ने के लिए हमने अपने अंदर सिंचित सच्चाई और अच्छाई की ऊर्जा का उपयोग किया और विजयश्री हासिल हुई।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि बेनामी संपत्ति की शुरुआत भी कहीं-न-कहीं कैश करेंसी से ही होती है, जब तक हम इसकी मूल धारा को रोकने की व्यवस्था नहीं करते, हम काले-धन को व्यवस्था से बाहर नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि भारत ने देश की 86 प्रतिशत चलन की मुद्रा को ख़त्म करके जो दिखाया है, यह निर्णय की सफलता नहीं, बल्कि देश के ग़रीब से ग़रीब व्यक्ति की समझदारी की सफलता है, हमने जितनी चलन की करेंसी अर्थव्यवस्था से ख़त्म की है वह विश्व के लगभग 60-70 प्रतिशत देशों की कुल करेंसी के बराबर है। प्रधानमंत्री ने कहा कि जब देश के गरीब-से-गरीब लोगों को लगता है कि यही रास्ता है जो शायद हमें बचाएगा, हमें सशक्त बनाने में सहायक होगा, तब हमारी जिम्मेवारी और बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि आखिर क्या कारण है कि छत्तीसगढ़ की 90 साल की एक बुजुर्ग महिला अपनी बकरी बेचकर गांव का पहला टॉयलेट बनवाती है और लोगों को खुले में शौच के लिए न जाने की प्रेरणा देती है, इसका मतलब यह है कि हमारी सारी योजनाएं जन-सामान्य से जुड़ी हुई है।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि देश के अन्य राजनीतिक दलों के लिए गरीबी चुनाव में भुनाने का एक मुद्दा हो सकता है, लेकिन यह हमारे लिए गरीबों का उत्थान, उनकी सेवा का अवसर है, गरीब हमारे लिए मदद नहीं, सेवा का क्षेत्र है, हमारी विधि, वाणी, निर्णय और प्रक्रिया के केंद्र बिंदु में गरीब नहीं रहेगा तो हम अपने आप को कभी भी माफ़ नहीं कर पाएंगे। उन्होंने कहा कि हमारे देश में दो प्रकार की सामाजिक स्थिति है, एक तरफ वो वर्ग है, जिसके लिए लाइफ स्टाइल की अहमियत बहुत बड़ी है, दूसरी तरफ एक बहुत बड़ा तबका है, जो क्वालिटी ऑफ़ लाइफ के लिए जूझ रहा है। उन्होंने कहा कि हमारे सामने दो रास्ते हैं, हमने लाइफ स्टाइल नहीं, क्वालिटी ऑफ़ लाइफ में परिवर्तन लाने का रास्ता चुना है, हमारी पूरी सोच का दायरा समर्पण और कर्तव्य भाव से इसे पूरा करने का संकल्प होना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के लाखों कार्यकर्ता ऐसे हैं जिन्हें ‘भारत माता की जय' के सिवा कुछ और नहीं चाहिए। उन्होंने कहा कि वाराणसी में बूथ कार्यकर्ताओं के साथ नीचे बैठकर चपाती खाने का अनुभव मेरे लिए चिर-स्मरणीय रहेगा, यह मेरे जीवन का अभूतपूर्व क्षण था। उन्होंने कहा कि निर्णय तो पहले की सरकारें भी लिया करती थीं, लेकिन उसकी कभी मॉनिटरिंग सही से नहीं होती थी, फैसले फाइलों की धूल फांकते रहते थे, हमारी सरकार हर निर्णय का हर दिन हिसाब लेती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि क्या हमें इस बात के लिए पीड़ा नहीं होनी चाहिए थी कि आजादी के 70 साल बाद भी देश के 18000 गांव अंधेरे में जीवन यापन करने को मजबूर थे? उन्होंने कहा कि ग़रीब छात्रों को पढ़ाई के लिए सोलर लाइट देने की व्यवस्था की जा रही है, बेटी बचाओ-बेटी पढाओ योजना क्या है, यह सब ग़रीबों के उत्थान की ही योजनाएं हैं, सबसे ज्यादा अशिक्षा माइनॉरिटीज वर्ग में है, ग़रीब वर्ग में है, हम वहां की व्यवस्था बदलने के लिए प्रयास कर रहे हैं, ताकि उनके जीवन को सुधारा जा सके। उन्होंने कहा कि हम गरीबों के लिए सरकार की योजनाओं को चिह्नित करें और इसे लोगों तक ले जाएं, उन्हें इसकी जानकारी दें और इससे लाभ उठाने के लिए प्रेरित करें। उन्होंने कहा कि ग़रीबी से लड़ना है तो गरीब को ताकतवर बनाना होगा। गरीबी को परास्त करने की ताकत देश के गरीबों में ही है, जरूरत इस बात की है कि उन्हें अवसर दिए जाएं, यदि हमारी सारी योजनाओं के मूल में इस बात पर बल दिया जाए तो हम निश्चित रूप से देश से गरीबी को ख़त्म करने में सफल होंगे, इसमें कोई संशय नहीं है।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि मैं इस अवसर पर राजा रंतिदेव का जिक्र करना चाहूंगा, जिन्होंने कहा था कि न मुझे राज्य की कामना है, न ही मोक्ष अथवा ऐश्वर्य की, मुझे तो गरीबों के आंसू पोंछने की कामना है, हम उसी शासन व्यवस्था के लोग हैं। उन्होंने कहा कि इतिहास ऐसे मौका कभी नहीं देता, जैसा मौक़ा इस बार भारतीय जनता पार्टी को प्राप्त हुआ है। उन्होंने कहा कि देश बदलने को तैयार है, हम ही कहीं पीछे न रह जाएं। उन्होंने कहा कि डिजिटल इंडिया का नोटबंदी से कोई लेना-देना नहीं है, डिजिटल इंडिया की प्रक्रिया काफी समय से चल रही है, ई-गवर्नेंस का आज के समय में कितना महत्व है, यह समझने की जरूरत है, डिजिटाईजेशन अब हमारे सामाजिक जीवन की प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण अंग बन गया है, यदि भारतीय जनता पार्टी के 11 करोड़ कार्यकर्ता इस अभियान को अपना मानकर चल पड़ें तो हम इसके बल पर देश की इकॉनमी को बदल सकते हैं।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि सार्वजनिक राजनीतिक जीवन में पारदर्शिता आने वाली है, राजनीतिक दलों को चंदे के लिए पारदर्शी रास्ते अपनाने ही पड़ेंगे, हमें इस अभियान को आगे बढ़कर लीड करना चाहिए, हमें डरने की कोई जरूरत नहीं है, देश की करोड़ों-करोड़ जनता-जनार्दन का आशीर्वाद हमारे साथ है, हम देश की राजनीति में पारदर्शी व्यवस्था के पक्ष में हैं, हमें इस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम एक विशिष्ट जिम्मेदारी निभाने वाले दल हैं, मैं गरीबी में जन्मा, गरीबी में जिया, मैं गरीबी के दर्द को समझता हूं, देश में करोड़ों गरीब लोग मुसीबतें झेल रहे हैं, हमें उनकी भलाई की राह पर सतत आगे बढ़ते रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें आलोचनाओं का स्वागत करना चाहिए और आरोपों से घबराना नहीं चाहिए, हम सच्चाई और अच्छाई की राह पर चलें और देश के पुर्ननिर्माण में सहायक बनें। प्रधानमंत्री ने बैठक में पांच राज्यों में होने वाले चुनाव में लगे कार्यकर्ताओं को सफलता के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं दीं।