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Monday 16 January 2017 02:31:23 AM
नई दिल्ली। सरकारी कार्यक्रमों के तहत लाभ प्राप्त करने के लिए परिवारों के वर्गीकरण के उद्देश्य से भारत सरकार ने सामाजिक, आर्थिक और जाति जनगणना मुहिम शुरू की थी, जो पूरी हो चुकी है। भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय ने अपने कार्यक्रमों के अंतर्गत लाभार्थियों की पहचान करने और लाभार्थियों की प्राथमिकता सूची तैयार करने के लिए एसईसीसी आंकड़ों का उपयोग करने का निर्णय लिया है।
गौरतलब है कि सामाजिक, आर्थिक और जाति जनगणना के आंकड़ों का उपयोग कर राज्यों के लिए अनुसंधान आवंटन के प्रमुख मानदंड का अध्ययन करने तथा विभिन्न कार्यक्रमों के तहत लाभार्थियों की पहचान और प्राथमिकता देने के वास्ते वित्त सचिव रहे सुमित बोस की अध्यक्षता में एक सामाजिक आर्थिक और जाति जनगणना 2011 के विशेषज्ञ समूह का गठन किया गया था, समूह के सदस्यों में शुरू में एएस और अब एसआरडी अमरजीत सिन्हा, इंदिरा गांधी विकास अनुसंधान संस्थान मुंबई के निदेशक डॉ महेंद्र देव, विश्व बैंक में अर्थशास्त्री डॉरिंकू मुरगई, जेएनयू नई दिल्ली में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ हिमांशु, सचिव ईए (आरडी) मनोरंजन कुमार शामिल थे।
ग्रामीण विकास मंत्रालय के साथ अंतरिम चर्चा के दौरान विशेषज्ञ समूह को लाभार्थियों के चयन के साथ ही प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के लिए राज्यों के लिए संसाधन आवंटन के मानदंड का खाका तैयार करने को कहा गया था। मंत्रालय ने विशेषज्ञ समूह के अंतरिम परामर्श को स्वीकार कर लिया है और इसी के अनुसार प्रधानमंत्री आवास योजना तथा दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत परिवारों को कवर करने के लिए एसईसीसी आंकड़ों पर आधारित अंतर राज्यीय आवंटन के उचित दिशा निर्देश जारी किए गए हैं।
विशेषज्ञ समूह ने निष्कर्ष निकाला है कि एसईसीसी आंकड़ों के इस्तेमाल और उसके टीआईएन नंबर से सरकार अपनी पहलों को अधिक प्रभावी बना सकती है, जिससे बेहतर परिणाम मिलेंगे। विशेषज्ञ समूह के अध्यक्ष ने अपनी रिपोर्ट ग्रामीण विकास, पंचायती राज, पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को सौंप दी है। नरेंद्र सिंह तोमर ने सिफारिशों और उद्देश्यों के लिए विशेषज्ञ समूह के अध्यक्ष और सदस्यों की सराहना की।