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Friday 20 January 2017 03:00:14 AM
नई दिल्ली। कहानी लिखना एक साधना और एकाकी कला है, चाहे कितने आधुनिक साधन और संजाल आपके सामने बिछे हों, लिखना आपको अपनी कलम से ही है-सुप्रसिद्ध कथाकार ममता कालिया ने विश्व पुस्तक मेले में राजपाल एंड सन्ज़ के एक कार्यक्रम 'कालिया और कालिया' में अपने दिवंगत पति रवींद्र कालिया को याद करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि रवींद्र कालिया के जीवन संघर्ष ने उनकी रचनाधर्मिता को तीखी धार दी और उनका रचनाकर्म कभी नहीं रुका। ममता कालिया ने कहा कि कई-कई दिन कहानी दिल दिमाग में पड़ी करवटें बदलती रहती हैं, अंतत: जब कहानी लिख डालने का दबाव होता है, अपने को अपने ही बहुरंगी घर-संसार से निर्वासित कर लेना पड़ता है। ममता कालिया ने कहा कि प्रतिनिधि और प्रिय कहानियों की अनेक श्रृंखलाएँ विभिन्न प्रकाशकों द्वारा संचालित हैं किंतु राजपाल एंड सन्ज़ की श्रृंखला में अपनी किताब को देखना सचमुच सुखद और गौरवपूर्ण है, क्योंकि यह इस तरह की पहली श्रृंखला थी, जिसने व्यापक पाठकों तक पहुंच बनाई। राजपाल एंड सन्ज़ में सद्य प्रकाशित पुस्तकों 'मेरी प्रिय कहानियाँ-ममता कालिया' तथा 'मेरी प्रिय कहानियाँ-रवींद्र कालिया' का इस मौके पर लोकार्पण हुआ।
कार्यक्रम में युवा आलोचक एवं बनास जन के संपादक पल्लव ने ममता कालिया तथा रवींद्र कालिया के कहानी लेखन के महत्व का प्रतिपादन करते हुए उन्हें हिंदी कहानी के जरूरी हस्ताक्षर बताया। उन्होंने ममता की कहानी 'दल्ली' की चर्चा भी की। युवा कवि प्रांजल धर ने ममता कालिया से संवाद करते हुए उनकी रचना प्रक्रिया पर कुछ रोचक सवाल किये। उनके एक सवाल के जवाब में ममता कालिया ने रवींद्र कालिया की प्रसिद्ध कहानी 'नौ साल छोटी पत्नी' के लिखे जाने की कहानी सुनाई। एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने रवींद्र कालिया की कहानी 'सुंदरी' तथा अपनी कहानी 'लड़के' को अपनी अब तक की सबसे प्रिय कहानियाँ बताया। ममता कालिया ने कहा कि अभी उनकी सबसे अच्छी कहानी लिखी जानी है और वही सबसे प्रिय कहानी भी होगी। लोकार्पण में कथाकार शिवमूर्ति, सुषमा बेदी, प्रदीप सौरभ, हरियश राय, प्रेमपाल शर्मा, शरद सिंह, प्रभात रंजन, राजीव कुमार, उद्भावना के संपादक अजय कुमार, बड़ी संख्या में युवा लेखक, विद्यार्थी तथा पाठक उपस्थित थे। राजपाल एंड सन्ज़ की निदेशक मीरा जौहरी ने 'मेरी प्रिय कहानियाँ' श्रृंखला के बारे में जानकारी देते हुए आभार व्यक्त किया।