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Friday 20 January 2017 03:07:04 AM
नई दिल्ली। 'रवि को अपनी यादों का पिटारा जान से प्यारा था। होता भी क्यों न! कितने तो शहरों में तंबू लगाए और उखाड़े, कितने लोगों की सोहबत मिली, एक से एक नायाब और नापाम तजुर्बे हुए पर दाद देनी पड़ेगी उनकी सादगी की कि कभी जीवन-जगत के ऊपर से विश्वास नहीं टूटा, बीहड़ से बीहड़ वक्त और व्यक्तित्व में उन्हें रोशनी की एक किरण दिखी।' सुप्रसिद्ध कथाकार ममता कालिया ने विश्व पुस्तक मेले में साहित्य भंडार के पुस्तक लोकार्पण कार्यक्रम में अपने दिवंगत पति रवींद्र कालिया को याद करते हुए आगे कहा कि रवि के लेखन की सबसे बड़ी खासियत यही है कि उसमें तेवर हैं पर तल्खी नहीं, तरंग हैं पर तिलमिलाहट नहीं। इस अवसर पर साहित्य भंडार में सद्य प्रकाशित पुस्तक 'सफर में हमसफ़र- रवींद्र कालिया और ममता कालिया' का लोकार्पण हुआ।
युवा आलोचक राजीव कुमार ने रवींद्र कालिया के साथ हुई अंतिम भेंट का संस्मरण सुनाया। उन्होंने कहा कि रवींद्र कालिया बड़े लेखक और बड़े संपादक होने के साथ बहुत बड़े मनुष्य भी थे। आयोजन में वरिष्ठ कथाकार हरियश राय ने ममता कालिया और रवींद्र कालिया के संस्मरण लेखन को हिंदी साहित्य के संसार में अविस्मरणीय सृजन बताया। उन्होंने कहा कि पाठक ग़ालिब छुटी शराब की तरह 'सफर में हमसफ़र' को भी खूब पसंद करेंगे। आयोजन में बनास जन के संपादक पल्लव, युवा कवि प्रांजल धर, फिल्म विशेषज्ञ मिहिर पंड्या, युवा आलोचक गणपत तेली सहित बड़ी संख्या में लेखक, विद्यार्थी तथा पाठक उपस्थित थे। साहित्य भंडार के प्रबंध निदेशक विभोर अग्रवाल ने अपने प्रकाशन संस्थान से कालिया परिवार के आत्मीय संबंधों का उल्लेख करते हुए आभार व्यक्त किया।