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Wednesday 25 January 2017 02:55:51 AM
लखनऊ। रंगभारती एवं उत्तर प्रदेश नागरिक परिषद के तत्वावधान में उद्यान भवन प्रेक्षागृह में उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक, राज्य के लोकायुक्त रहे न्यायमूर्ति एससी वर्मा, भारतीय प्रशासनिक सेवा के अवकाश प्राप्त प्रशासनिक अधिकारी बाबूराम, विभिन्न क्षेत्रों की जानी-मानी हस्तियां और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। कार्यक्रम में पुलिस और प्रशासनिक, साहित्य, शिक्षा एवं पत्रकारिता क्षेत्र के 9 जाने-माने विशिष्टजनों को उत्कृष्ट सेवाओं एवं विभिन्न विधाओं में विशिष्ट योगदान प्रदान करने के लिए स्मृति चिन्ह, अंग वस्त्र और पर्यावरण संरक्षण एवं हरित प्रगति के प्रतीक विभिन्न पौधे प्रदान कर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश राज्य की स्थापना, यहां की प्रशासनिक और राजनीतिक व्यवस्था, राज्य के विभिन्न पिछड़े क्षेत्रों के विकास की योजनाओं में उत्तर प्रदेश की दशा और दिशा एवं विकास के नाम पर राजनीतिक विकास पर अवकाश प्राप्त नौकरशाह बाबूराम का उनकी वृहद जानकारी और प्रशासनिक अनुभवों पर आधारित तथ्यात्मक प्रस्तुतिकरण उल्लेखनीय रहा। कार्यक्रम में उपस्थित महानुभावों ने बाबूराम को उत्तर प्रदेश के संदर्भ में काफी देर तक सुना, जिनकी राज्यपाल राम नाईक ने भी यह कहते हुए प्रशंसा की कि यह कार्यक्रम और बड़े एवं भव्यरूप में होना चाहिए था।
उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस समारोह बहुत सादगीभरा, किंतु ओजपूर्ण और ऐसे विशिष्टजनों से युक्त था, जिनका उत्तर प्रदेश के प्रत्येक संदर्भ में उल्लेखनीय, अनुकरणीय और विशिष्ट योगदान माना जाता है। काश! इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी होते, मुलायम सिंह यादव भी होते, जो देखते एवं मानते कि वास्तव में उत्तर प्रदेश के वास्तविक यश भारती तो यहां बैठे हैं, जिन्हें राज्यपाल के हाथों सम्मानित कराया गया, भले ही इस सम्मान में कोई फाईव स्टार संस्कृति वाला वैभव और यशभारती की तरह कोई भारी धनराशि या बड़ी रकम वाली पेंशन नहीं थी। कार्यक्रम में अतिथि और श्रोता भी वही थे, जो चिकित्सा क्षेत्र, सामाजिक, आर्थिक, प्रशासनिक, शैक्षणिक समृद्धि और गरिमा से समृद्धशाली थे, जिन्हें सुनने के लिए अनेक संस्थाएं और संस्थान भारी भरकम बजट के सेमिनार और व्याख्यान आयोजित किया करते हैं। इस कार्यक्रम में थोड़े ही सही मगर सुनने वाले और चिंतन मनन करने वाले लोग मौजूद थे। इस मायने में यह कार्यक्रम सफल रहा, किंतु राज्यपाल के मन से यह टीस निकली कि कार्यक्रम में अधिकतम भागीदारी होनी चाहिए थी, किंतु जैसा कि होता आ रहा है कि ऐसे कार्यक्रमों से सरोकार रखने वालों की संख्या घटती ही जा रही है। लोग जो आडंबरपूर्वक दिख रहा है, बस उसके पीछे भाग रहे हैं। अच्छा हुआ कि इस कार्यक्रम में कुछ ही वास्तविक मीडिया कर्मियों को छोड़कर बाकी मौरंग बजरी पट्टा ठेकेदार या बिकाऊ मीडिया नहीं आया था, नहीं तो वह राज्यपाल से कोई ब्रेकिंग ख़बर निकलवाने में अराजकता फैलाने के अलावा कुछ भी कवर नहीं करता, बल्कि एक गंभीर और अत्यंत उपयोगी कार्यक्रम की छीछालेदर ही करता।
राज्यपाल राम नाईक ने इस मौके पर कहा कि उत्तर प्रदेश का राजनैतिक और सांस्कृतिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण स्थान रहा है, सन् 1857 का पहला स्वतंत्रता संग्राम उत्तर प्रदेश से प्रारंभ हुआ था। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश ने देश को अब तक 9 प्रधानमंत्री दिए हैं, आबादी की दृष्टि से यह सबसे बड़ा प्रदेश है, यह प्रदेश भगवान राम, गौतमबुद्ध और अनेक सूफी संतों की जन्म एवं कर्म स्थली रहा है। सांस्कृतिक दृष्टि से उत्तर प्रदेश का अपना विशेष महत्व है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश ने देश को राजनैतिक दिशा देने का काम किया है। राम नाईक ने कहा कि 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती होती है, 24 जनवरी 1950 को उत्तर प्रदेश की स्थापना की अधिसूचना जारी हुई, इसलिए यह तिथि उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस के रूप में जानी जाती है। उन्होंने कहा कि 25 जनवरी को मतदाता दिवस होता है और 26 जनवरी को पूरा देश गणतंत्र दिवस मनाता है, इस दृष्टि से यह सारी तिथियां अपने आप में बड़ी महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि यह बड़ी खुशी की बात है कि रंगभारती के संस्थापक और पत्रकार श्याम कुमार उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस का आयोजन करते हैं, जिसके माध्यम से कुछ सुनने और सुनाने का मौका मिलता है। उन्होंने उल्लेख किया कि श्याम कुमार अपने निजी संसाधनों से ही यह कार्यक्रम आयोजित करते आ रहे हैं, जिसमें सरकार का कोई योगदान नहीं होता है, जो बहुत बड़ी बात है।
राम नाईक ने कहा कि 1 मई को महाराष्ट्र दिवस मनाया जाता है और मुंबई में रहने वाले उत्तर भारतीय 29 साल से मुंबई में उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस मनाते हैं, ओडिशा के लोग लखनऊ में रहकर ओडिशा दिवस मनाते हैं, इसलिए लोग जब दूसरे प्रदेश में होते हैं और अपना प्रदेश दिवस मनाते हैं तो उनका मानना है कि उत्तर प्रदेश में भी हर नागरिक यूपी का स्थापना दिवस मनाए और इसका सरकारी आयोजन भी होना चाहिए। उन्होंने विश्वासपूर्वक कहा कि अगले साल से राज्य सरकार उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस का भव्य कार्यक्रम आयोजित करेगी। राम नाईक ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री को भव्यरूप से यूपी स्थापना दिवस मनाने का सुझाव दिया था, किंतु उन्होंने इस सुझाव पर ध्यान नहीं दिया। राज्यपाल ने इस बात पर भी प्रसन्नता व्यक्त की कि जिन्हें इस अवसर पर सम्मानित किया गया है, उनका देश-प्रदेश में विशिष्ट स्थान और उत्तर प्रदेश के विकास में बड़ा योगदान है।
राम नाईक ने कहा कि 25 जनवरी मतदाता दिवस के रूप में मनाया जाता है, 18 वर्ष पूर्ण होने पर नागरिक मतदाता सूची में अपना नाम अंकित करा सकता है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश में 12.74 करोड़ मतदाता थे, जिसमें केवल 59.52 प्रतिशत लोगों ने मतदान किया तथा वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रदेश में 13.88 करोड़ मतदाताओं में केवल 58.27 प्रतिशत लोगों ने मतदान किया, जिसका मतलब यह है कि करीब 40 प्रतिशत मतदाताओं ने मतदान नहीं किया। निर्वाचन आयोग की नई मतदाता सूची के अनुसार उत्तर प्रदेश में 2017 के विधानसभा चुनाव में 14.13 करोड़ मतदाता हैं, जिनमें 24.53 लाख नए मतदाता पहली बार अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। उन्होंने आग्रह किया कि मतदान के अधिकार के साथ मतदान करके अपने दायित्व का निर्वहन करें तथा संकल्प लें कि प्रदेश में शत-प्रतिशत मतदान हो। कार्यक्रम में न्यायमूर्ति सुधीर चंद्र वर्मा ने युवाओं से अपील की कि वे उत्तर प्रदेश के सर्वांगीण विकास के लिए कार्य करें। उन्होंने स्पष्टरूप से कहा कि विकास के लिए जनसंख्या पर नियंत्रण रखना बहुत जरूरी है।
अवकाश प्राप्त नौकरशाह बाबूराम ने उत्तर प्रदेश पर गहरा मंथन पेश किया और कहा कि जो क्षेत्र पिछड़े थे वे आज भी पिछड़े हैं, जबकि राजनीति तेजी से बढ़ रही है और नौकरशाह से उनके टाईप बाबू तक एसी का सुख भोग रहे है। उन्होंने कई गंभीर विचार रखे। बाबूराम ने उत्तर प्रदेश की अनेक विशिष्टताओं एवं उसके अंतर्राष्ट्रीय महत्व की चर्चा करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश की अखंडता बहुत आवश्यक है और इसके विभाजन के बजाए इसके पिछड़े क्षेत्रों के विकास पर और उनके लिए आवंटित निधियों के सही उपयोग पर ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड और ज्यादा विकास के लिए बना था, लेकिन उसके पिछड़े क्षेत्र प्रगति नहीं कर पाए, वहां के लोग रोज़गार के लिए मैदानी इलाकों में चले गए, विधायकों की संख्या बढ़ गई और इसी प्रकार प्रशासनिक अधिकारियों की भी संख्या कई गुना हो गई। बाबूराम ने उत्तर प्रदेश की स्थापना की वर्षगांठ मनाए जाने के लिए श्याम कुमार की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे आयोजनों से प्रदेशवासियों के मन में अपने प्रदेश के प्रति गौरव और एकता की भावना जागृत होती है। इस कार्यक्रम में शिया धर्मगुरू कल्बे सादिक को भी आना था और कार्यक्रम की अध्यक्षता करनी थी, लेकिन वे नहीं आए। कार्यक्रम में जितने भी लोग मौजूद थे, उन्होंने इस कार्यक्रम की दिल खोलकर सराहना की।
राज्यपाल ने प्रशासनिक दक्षता के लिए अवकाश प्राप्त आईएएस अधिकारी एसके त्रिपाठी को डॉ जनार्दन दत्त शुक्ल रंगभारती सम्मान, विधि के क्षेत्र में न्यायमूर्ति अशोक कुमार श्रीवास्तव को न्यायमूर्ति कमलाकांत वर्मा रंगभारती सम्मान, पत्रकारिता के क्षेत्र में राजनाथ सिंह सूर्य को डॉ धर्मवीर भारती रंगभारती सम्मान, चिकित्सा के क्षेत्र में निदेशक एसजीपीजीआई प्रोफेसर राकेश कपूर को धन्वंतरि रंगभारती सम्मान, पुलिस प्रशासन के क्षेत्र में सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी रंजन द्विवेदी को विश्वनाथ लहरी रंगभारती सम्मान, समाज सेवा के क्षेत्र में अवकाश प्राप्त प्रशासनिक अधिकारी एसएन शुक्ल को धर्मकिशोर रंगभारती सम्मान, नारी सशक्तिकरण के क्षेत्र में अंजली सिंह को अनारकली देवी रंगभारती सम्मान, खेल के क्षेत्र में हॉकी के पूर्व ओलंपियन रवींद्रपाल सिंह को ध्यानचंद्र रंगभारती सम्मान तथा शिक्षा के क्षेत्र में लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एसपी सिंह को डॉ संपूर्णानंद रंगभारती सम्मान से सम्मानित किया। रंगभारती एवं उत्तर प्रदेश नागरिक परिषद के अध्यक्ष श्याम कुमार ने स्वागत उद्बोधन दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के विभाजन की बात करना गलत है और वह लंबे समय से यह प्रयास कर रहे हैं कि उत्तर प्रदेश सरकार उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस मनाए, किंतु राज्य सरकार ने उनके इस अनुरोध पर कभी ध्यान नहीं दिया। उन्होंने राज्यपाल राम नाईक के इस कार्यक्रम में पधारने के लिए धन्यवाद दिया। अनीता सहगल ने समारोह का संचालन किया।