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Wednesday 13 February 2013 07:35:41 AM
नई दिल्ली। संशोधित खाद्य सुरक्षा बिल की बजट सत्र में प्रतीक्षा की जा रही है। उपभोक्ता मामलों, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री प्रोफेसर केवी थॉमस ने कहा है कि सरकार की कोशिश संसद के इसी बजट सत्र में संशोधित खाद्य सुरक्षा विधेयक को प्रस्तुत करने की है, ताकि इस पर विचार करके इसे पारित किया जा सके, जिससे जल्द से जल्द लोगों तक इसका लाभ पहुंचे। अधिकार आधारित तरीके से खाद्य सुरक्षा मुहैया कराने वाले इस विधेयक को संसद की स्थाई समिति की संस्तुतियों के प्रकाश में अंतिम रुप दिया जा रहा है।
खाद्य विधेयक को अंतिम रुप दिए जाने से पूर्व राज्यों के साथ अंतिम दौर के परामर्श में खाद्य मंत्री प्रोफेसर केवी थॉमस ने कहा कि इस ऐतिहासिक पथ प्रदर्शक पहल में राज्यों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है, उन्होंने लक्षित जन वितरण प्रणाली को सुदृढ़ करने के लिए उनसे आग्रह किया, साथ ही उन्होंने इस अधिनियम के सफलतापूर्वक कार्यांवयन के लिए सभी स्तरों पर समुचित भंडारण सुविधा की बात भी कही।
दिसंबर 2011 में लोक सभा में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक प्रस्तुत किया गया था और इसके बाद संसद की स्थाई समिति ने इस पर विचार किया। स्थाई समिति की संस्तुतियों के अनुसार विधेयक पर अंतिम परामर्श के लिए केंद्र ने राज्य के खाद्य मंत्रियों की बैठक बुलाई। खाद्य मंत्री ने कहा कि लक्षित जन वितरण प्रणाली लागू करने में राज्य और केंद्र शासित प्रदेश हमारे साझेदार हैं और खाद्य सुरक्षित कानून लागू करने में उनकी भूमिका काफी अधिक है। खाद्य सचिव ने कहा था कि स्थाई समिति ने बहुत सी संस्तुतियां दी हैं। इनमें से लक्षित जन वितरण प्रणाली, लाभार्थियों की पहचान, खाद्यान्न प्राप्त करने के अधिकारी और उसके लिए मूल्य का निर्धारण महत्वपूर्ण पहलू हैं, जिन पर ध्यानपूर्वक विचार करना होगा।
खाद्य मंत्री प्रोफेसर केवी थॉमस ने कहा कि विधेयक के परीक्षण के दौरान स्थाई समिति ने विभिन्न लोगों और संगठनों से विस्तृत चर्चा की, ताकि अलग-अलग मतों से परिचित हुआ जा सके। समिति ने विभिन्न प्रकार की राय जानने के लिए राज्यों का दौरा भी किया। समिति की संस्तुतियों में अधिनियम के क्रियांवयन के लिए इसे सरलीकृत करने पर बल दिया गया है। इसमें राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों की विभिन्न चिंताओं पर भी गौर किया गया है। कुल मिलाकर समिति का दृष्टिकोण व्यवहार्य, सरल और कार्यांवयन में आसान है, किंतु फिर भी कुछ ऐसे पहलू हैं, जिनपर अंतिम राय से पूर्व चर्चा करनी आवश्यक है।