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Tuesday 7 February 2017 04:43:01 AM
वॉशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, सात मुस्लिम देशों के नागरिकों की अमेरिका यात्रा प्रतिबंधित करने के अपने आदेश पर अमेरिकी संघीय कोर्ट के रोक लगाए जाने के बावजूद अपनी प्रतिबंध नीति पर कायम हैं और उन्होंने अमेरिका के नागरिकों से कहा है कि अगर अमेरिका में आतंकवादी हमले हुए तो संघीय कोर्ट के संबंधित न्यायधीशों को जिम्मेदार माना जाएगा। डोनाल्ड ट्रंप इस मामले में जजों के हस्तक्षेप से बेहद क्षुब्द हैं और उन्होंने कहा है कि अमेरिका में खतरनाक लोग आते जा रहे हैं और यदि कुछ होता है तो उसका दोष सन फ्रांसिस्को की संघीय अपीलीय अदालत को दिया जाए, जिसने यात्रा प्रतिबंध पर रोक लगाई है। डोनाल्ड ट्रंप ऐसे अमेरिकी राष्ट्रपति हैं, जिन्होंने पदभार ग्रहण करते ही अमेरिका के सुरक्षात्मक पक्ष को मज़बूत अभेद्य बनाने के लिए कड़े कदम उठाए हैं, जिनमें संबंधित मुस्लिम देशों के नागरिकों के अमेरिका आने का प्रतिबंध एक महत्वपूर्ण प्रारंभिक कदम माना जाता है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को हत्यारा कहे जाने पर भी क्षोभ व्यक्त किया है, उन्हें पुतिन की आलोचना बर्दाश्त नहीं है। डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि अमेरिका में भी हत्यारे कम नहीं हैं, अमेरिकी ग़लतियों के कारण दुनियाभर में कई लोगों ने जान गंवाई हैं, उनका इशारा इराक की ओर था। उल्लेखनीय है कि डोनाल्ड ट्रंप इराक में युद्ध के खिलाफ रहे हैं। उन्होंने व्लादिमीर पुतिन को हत्यारा कहे जाने पर कहा कि यह भी देखिए कि हमने क्या किया है, हमने कई ग़लतियां की हैं, क्या आपको लगता है कि हमारा देश निर्दोष है? डोनाल्ड ट्रंप एक साक्षात्कार में अमेरिकी सरकार के कामों से व्लादिमीर पुतिन के कार्यों की तुलना करते हुए पूछे गए सवाल का उत्तर दे रहे थे, जिसमें व्लादिमीर पुतिन को हत्यारा पुकारा गया था। अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव में व्लादिमीर पुतिन की दिलचस्पी डोनाल्ड ट्रंप में रही है। डोनाल्ड ट्रंप प्रतिबंध के अपने फैसले पर कायम हैं, जिसमें उनकी सबसे बड़ी चिंता अमेरिका की सुरक्षा है, जिसे पूरी दुनिया धरती पर सबसे सुरक्षित और भरोसेमंद स्थान मानती है, जिसके कारण दुनिया के लोग अमेरिका आना चाहते हैं, लेकिन इस्लामिक आतंकवाद से अमेरिका को बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है।
सन फ्रांसिस्को की संघीय अपीलीय अदालत, यात्रा प्रतिबंध पर लगी अदालती रोक हटाने की डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की याचिका पर सुनवाई कर रही है। कोर्ट ने ट्रंप प्रशासन और अन्य संबंधित पक्षों से अपने-अपने दावे प्रस्तुत करने को कहा है। उधर डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी गृहमंत्रालय से कहा है कि वह अदालती रोक के बाद अमेरिका में दाखिल होने वाले लोगों की अत्यंत सावधानीपूर्वक जांच करे। डोनाल्ड जे ट्रंप ने सात मुस्लिम देशों ईरान, इराक, सीरिया, यमन, सूडान, लीबिया और सोमालिया के नागरिकों के अमेरिका में प्रवेश पर कुछ समय के लिए प्रतिबंध लगाया था और पाकिस्तान एवं अफगानिस्तान को निगरानी सूची में रखा था। कुवैत ने भी अमेरिका का अनुसरण किया है और पांच देशों के नागरिकों के अपने यहां प्रवेश पर पाबंदी लगा दी है, जिनमें पाकिस्तान और अफगानिस्तान भी शामिल हैं। इस प्रतिबंध पर मिलीजुली प्रतिक्रिया हो रही है। गूगल, ऐप्पल, ट्वीटर, माइक्रोसॉफ्ट, इंटेल, फेसबुक, ईबे, नेटफिलिक्स, उबर ने सन फ्रांसिस्को की नवी सर्किट की संघीय अपीलीय अदालत में ट्रंप प्रशासन के फैसले के खिलाफ हलफनामा दाखिल कर इसे कारोबार के खिलाफ बताया है। अमेरिकी टेक कंपनियों का कहना है कि उनके स्टाफ में कई विदेशीमूल के लोग कार्यरत हैं, इसलिए ट्रंप प्रशासन का प्रतिबंध आदेश कारोबारी प्रतिस्पर्धा के खिलाफ है। कंपनियों का कहना है कि अप्रवासियों का अमेरिकी अर्थव्यवस्था बढ़ाने में बड़ा योगदान है।
डोनाल्ड जे ट्रंपसन की अमेरिका फर्स्ट की पहल का हर अमेरिकी नागरिक ने स्वागत किया है और इसके बावजूद कि डोनाल्ड ट्रंप अपने निजी जीवन में कुछ विवादास्पद माने जाते हैं। अमेरिकी जनता ने उनकी आंतरिक बुराइयों पर कोई ध्यान नहीं दिया है और हिलेरी क्लिंटन की चुनाव जीतने के लिए मुस्लिम परस्त राजनीति अपनाने के कारण एवं डोनाल्ड ट्रंप की स्पष्टवादिता जैसे गुणों से प्रभावित होकर उन्हें अमेरिका का राष्ट्रपति चुना है। डोनाल्ड ट्रंप के आदेश की आस्ट्रेलिया, ब्रिटेन जैसे कई गैर मुस्लिम देशों ने आलोचना जरूर की है, लेकिन उन देशों की जनता भी मानती है कि डोनाल्ड ट्रंप अच्छा कर रहे हैं, क्योंकि अमेरिका ने वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर इस्लामिक आतंकवादी हमले का दंश झेला है और डोनाल्ड ट्रंप किसी भी रूप में ऐसी किसी भी घटना की पुनरावृत्ति नहीं देखना चाहते, क्योंकि मुस्लिम आतंकवाद उन देशों में भी फैल चुका है, जिसकी वे कल्पना भी नहीं करते थे और ऐसा उन देशों की इस्लामिक आतंकवाद की अनदेखी करने और अपने यहां खतरनाक लोगों को प्रवेश देने के कारण हुआ। डोनाल्ड ट्रंप अपने फैसले पर कायम हैं और वे और भी सख्त कदम उठाने से पीछे हटने वाले नहीं हैं।