हामिद हुसैन
Wednesday 13 February 2013 08:21:15 AM
नई दिल्ली। भारतीय तटरक्षक ने इस 1 फरवरी को शानदार 36वीं वर्षगांठ मनाई। अपनी स्थापना के बाद से यह सेवा एक बहुआयामी और एक उत्साहपूर्ण बल के रूप में उभरी है, जो बहु-भूमिका वाले पोतों और विमानों की तैनाती कर हर समय भारत के समुद्री क्षेत्रों की चौकसी करता है। भारतीय नौ-सेना के दो फ्रिगेट और सीमा शुल्क विभाग के 5 नावों की मामूली सूची से शुरूआत कर आज इस सेवा बल के पास 77 पोत और 56 विमान हैं। पिछले वर्ष एक प्रदूषण नियंत्रण पोत, 6 गश्ती पोत, 4 वायु कुशन पोत, 2 इंटरसेप्टर नौकाएं शामिल की गई हैं। इसके अतिरिक्त इस साल क्षेत्रीय मुख्यालय (एनई) की स्थापना तथा 8 सीजी स्टेशन का सक्रियण, सक्रियण/3 सीजी स्टेशनों की शुरूआत की योजना है।
भारतीय तटरक्षक आज तीव्र विस्तार की राह पर है। इसमें आधुनिक स्तर के पोत, नौकाओं और विमान का निर्माण विभिन्न शिपयार्ड, सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम में किया जा रहा है और भविष्य में तटरक्षक अकादमी की स्थापना की जाएगी। तटरक्षक के संगठनात्मक ढांचे में 5 क्षेत्रीय मुख्यालय, 12 जिला मुख्यालय, 42 स्टेशन तथा सभी भारतीय तटों पर 15 एयर यूनिट कार्य कर रहे हैं। श्रम शक्ति की दृष्टि से इस सेवा ने सामान्य ड्यूटी में महिला अधिकारियों के लिए अल्प सेवा नियुक्ति की शुरूआत, मेधावी अधीनस्थ अधिकारियों को विभागीय पदोन्नति और विशेष नियुक्ति अभियान चलाकर अपने श्रम शक्ति में विस्तार किया है।
वृहत विशेष आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) और तट रक्षा पर सतत निगरानी के लिए औसतन 20 पोत और 8-10 विमान तैनात किए गए हैं। भारतीय तटरक्षक ने तटीय निगरानी नेटवर्क (सीएसएन) की भी स्थापना की है जिसमें तटीय निगरानी रडार नेटवर्क और 46 सुदूर स्थलों पर इलेक्ट्रो ऑप्टीक सेंसर शामिल हैं। इन सेंसरों में 36 मुख्य क्षेत्र में, 6 लक्ष्यद्वीप समूह और 4 अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह में लगाए गए हैं। तट के आस-पास के गांवों में नियमित समुदाय संपर्क कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य मछली पकड़ने वाले समुदायों को मौजूदा सुरक्षा स्थितियों के बारे में जागरूक करने के साथ-साथ खुफिया जानकारी जुटाने के लिए उन्हें सतर्क रखना है। पिछले वर्षों के दौरान भारतीय तट रक्षक ने 20 तटीय सुरक्षा अभ्यास और 21 तटीय सुरक्षा अभियान चलाया है।
भारतीय तटरक्षक हर समय भारतीय खोज और बचाव क्षेत्रों में समुद्री जांच और बचाव कार्य करता है। इस कठिन परिस्थिति में साहस दिखाते हुए पिछले वर्ष तटरक्षरक ने 204 लोगों की जान बचाई है। इस अवधि के दौरान भारतीय तटरक्षक ने कुल 30 चिकित्सा बचाव किए। भारतीय तटरक्षक ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान स्थापित की है। सहयोग समझौता-ज्ञापन के तहत संस्थागत यात्राएं नियमित की जाती हैं। 12वीं भारत-जापान तटरक्षक उच्च स्तरीय बैठक जापान के टोक्यो में जनवरी 2013 में की गई। अक्तूबर 2012 में नई दिल्ली में 8वां एशियाई तटरक्षक प्रमुखों का सम्मेलन किया गया। यह सम्मेलन पहली बार भारत में आयोजित किया गया। इसके अतिरिक्त, भारत-पाकिस्तान संयुक्त कार्य समूह बैठक का आयोजन पहली बार नई दिल्ली में जुलाई, 2012 में किया गया।
भारतीय तटरक्षक लगातार अपना विस्तार कर रहा है, जिससे इसकी क्षमता में और विकास हो रहा है। सक्षम और पेशेवर अधिकारी आधुनिक पोतों और विमानों का संचालन कर रहे हैं, जो देश सेवा और समुद्री सुरक्षा में कार्य कर अपने को गौरवांवित महसूस करते हैं। वर्ष 2013 के लिए भारतीय तटरक्षक का शीर्षक है 'समुद्री सुरक्षा पर केंद्रित लक्ष्य'। यह शीर्षक इस सेवा की प्रतिबद्धता और संकल्प को प्रदर्शित करता है जो इसके आदर्श वाक्य 'वयम् रक्षाम:' में प्रतिबिंबित है, जिसका अर्थ है 'हम रक्षा करते है'।