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Wednesday 1 March 2017 02:09:49 AM
वॉशिंगटन। पाश्चात्य विश्व में अमरीका को ही इस्लाम का सबसे बड़ा दुश्मन बताते हुए इस्लामिक आतंकवादियों से यह कहा करने वाला कि ‘बहा दो अमरीकी ख़ून, ख़ुद उनकी सरज़मीं पर’ ब्लाइंड शेख़ के नाम से मशहूर मौलवी उमर अब्देल रहमान अमेरिका में जेल में उम्र कैद काटते हुए पिछले हफ्ते मर गया। मिस्त्र में जन्मा और अमेरिका में शरण पाया यह अंधा मौलवी न्यूयॉर्क में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर विध्वंसक हमले सहित अमेरिका में हुईं अनेक आतंकवादी वारदातों में उम्रकैद की सजा काट रहा था। मिस्र के राष्ट्रपति हुस्नी मुबारक की हत्या की साजिश में नाम आने पर और मिस्र के अमेरिकी विरोधी राजनीतिज्ञों को तबाह कर देने के नाम पर इस ब्लाइंड शेख ने अमेरिका में शरण ली थी, वह मिस्र का तो कुछ नहीं बिगाड़ पाया, अलबत्ता अमेरिका में ही अमेरीकियों का खून बहाने लग गया और जबतक उसकी पोल खुलती, तबतक वह अमेरिका में गंभीर आतंकवादी वारदातों को अंजाम दिला चुका था। अमेरिका की पुलिस ने उसे ससबूत पकड़ा और उम्र कैद के अंजाम तक पहुंचाया। अमेरिका के न्याय विभाग ने बताया है कि 19 फरवरी रविवार को यह 78 वर्षीय अंधा मौलवी अपनी स्वाभाविक मौत मरा है।
मिस्त्र के जन्मजात अंधे शेख अब्देल रहमान मौलवी ने शुरू से इस्लामिक शिक्षा ली और कट्टरपंथी धर्म प्रचारक बन गया। उसे न्यूयॉर्क में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के उत्तरी टावर पर वर्ष 1993 में विस्फोटक लदे ट्रक से हमले का मुख्य साजिशकर्ता माना गया था। उस हमले में छह लोग मारे गए थे और करीब 1000 से ज्यादा घायल हुए थे। अब्देल रहमान उत्तरी कोरोलिना के बुटनेर में फेडरल मेडिकल सेंटर में 2007 से बंद था। जेल के ब्यूरो ने बताया कि अब्देल रहमान लंबे समय से मधुमेह और ह्रदय रोग से पीड़ित था। न्यूयॉर्क और अन्य कई स्थानों पर बम धमाकों की साजिश रचने के आरोप में उसे 1995 में सजा सुनाई गई थी। उसपर मिस्त्र के राष्ट्रपति रहे हुस्नी मुबारक की हत्या का मास्टर माइंड होने का भी आरोप था। इस्लामिक चरमपंथियों में उसका इतना असर था कि उम्रक़ैद सुनाए जाने के बाद भी वे अब्देल रहमान को अपना नेता मानते थे।
अमेरिका आने से पहले मिस्री इमाम शेख उमर अब्देल रहमान मिस्त्र में अल-गामा अल-इस्लामिया आतंकवादी समूह का प्रमुख था। इस इस्लामी क्रांतिकारी जत्थे में अमेरिका में बसते जा रहे मुसलमानों में से कुछ इस्लामिक उग्रपंथियों को भी भर्ती किया गया था। इनमें से कुछ ने अफगानिस्तान से सोवियत फौजों को निकाल बाहर करने की लड़ाई भी लड़ी थी और इन का चयन एवं प्रशिक्षण ईरानी और उनके सहयोगी उग्रवादियों ने किया था। कहा जाता है कि इनमें से अनेक अब भी न्यूयॉर्क के ब्रुकलिन और न्यू जर्सी में जर्सी सिटी की मस्जिदों में नमाज़ अदा करते हैं, जहां यह निर्वासित मिस्री इमाम शेख उमर अब्देल रहमान अकसर ज़हरीली इस्लामिक तकरीरें किया करता था। यह नेत्रहीन महाशय अमेरीकी विरोधी मिस्र की सरकार को उखाड़ फेंकने का उपदेश भी दिया करता था मगर अमेरीकी सरज़मी पर ही अपने खास चरमपंथियों में पाश्चात्य विश्व में अमरीका को ही इस्लाम का सबसे बड़ा दुश्मन बताते हुए यह भी कहा करता था कि ‘बहा दो अमरीकी खून, खुद उनकी सरजमीं पर।’ इसकी ये हरकतें टेप की गईं, जिसके बाद पुलिस उसके पीछे पड़ गई और अमेरीकियों के खिलाफ साजिशों के पुख्ता सबूत मिलने पर उसे गिरफ्तार कर उसके खिलाफ संघीय अदालत में मुकद्मा चला, जिसमें उसे उम्रकैद हुई।
चरमपंथी इमाम अब्देल रहमान के खिलाफ अमेरीकी संघीय अभियोग पत्र के अनुसार इसका एक पाकिस्तानी सहयोगी था, जिसका नाम यूसुफ था और उसने भी अमेरीकी अधिकारियों की आंखों में धूल झोंककर झूंठी जानकारी देकर अमेरिका में शरण ली थी। यूसुफ बम धमाके कराकर पाकिस्तान भागने में सफल रहा था। इन इस्लामिक चरमपंथियों ने बम विस्फोटों के लिए यहीं के बैंक में खाता खोलकर तब उसमें मध्य पूर्व और पश्चिमी यूरोप के बैंकों के माध्यम से करीब 1,00,000 डॉलर से भी कहीं ज्यादा धन जुटाया था, जिसमें अधिकांश हिस्सा ईरान से आया था। आरोप है कि मिस्री अंधे इमाम और पाकिस्तानी यूसुफ ने आमतौर पर उपलब्ध सस्ते रसायनों और उर्वरकों के सहारे विस्फोट किए थे। न्यूयॉर्क नगर के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में 26 फरवरी 1993 को दोपहर बाद विस्फोट हुआ था, जिसमें छह लोग मारे गए थे और करीब 1,000 घायल हुए थे। इनका लक्ष्य और भी अधिक अमेरीकियों की जान लेना था। यह 110 मंजिला इमारत थी, जिसकी एक भी मंजिल उड़ गई होती तो मृतकों की संख्या 20,000 से ऊपर पहुंच गई होती। पांच हफ्तों में ही संघीय जांच ब्यूरो ने पांच संदिग्ध लोगों को गिरफ्तार किया। जून के उत्तरार्ध में आठ और लोग गिरफ्तार किए गए। चार जुलाई या इसके आसपास ही न्यूयॉर्क नगर की फेडरल बिल्डिंग, संयुक्त राष्ट्र संघ के कार्यालय और लिंकन एवं हॉलैंड सुरंगों में विस्फोट किया जाना था। न्यूयॉर्क से रिपब्लिकन सीनेटर ऐल्फांस डी एमैटो और उस समय संयुक्त राष्ट्र महासचिव बुतरस बुतरस घाली समेत अनेक लोगों की हत्या करने की योजना भी बनी थी।
संघीय जांच ब्यूरो के मुखबिर ने इस अंधे इमाम शेख रहमान के षड़यंत्र में शामिल होने की बातचीत टेप कर ली थी, जिसमें इसने बम विस्फोट की योजना की सफलता के लिए अपनी दुआएं दी थीं। अंधे शेख और 21 अन्य लोगों को गिरफ्तार कर उनपर मुकद्मा चलाया गया। सीआईए के तत्कालीन निदेशक आरजेम्स वूल्सी ने अमेरीकी प्रशासन को इस अंधे इमाम से सावधान किया था कि अमरीका आज अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद का प्रमुख लक्ष्य बन गया है, यहां और मध्य पूर्व के गुप्तचर एवं सुरक्षा अधिकारियों को इस बात में जरा भी संदेह नहीं है कि आतंकवाद को कौन देश सबसे ज्यादा बढ़ावा और समर्थन दे रहे हैं और यह देश हैं पाकिस्तान और ईरान। उनका मानना था कि तेहरान को षड्यंत्रों की जानकारी है, क्योंकि शेख रहमान सूडान और मिस्र में ईरान समर्थित अपने चेलों से लगातार संपर्क में है, लेकिन अमेरीकी प्रशासन ने इस अंधे शेख को समझने में बड़ी चूक की। आतंकवाद विरोधी विशेषज्ञों की छानबीन से यह बात सामने आई कि इस अंधे शेख का मुस्लिम चरमपंथियों का बड़ा नेटवर्क था। इसने ईरान से सभी प्रकार का समर्थन हासिल किया। अमेरिका में इस्लामी प्रभुत्व और अमरीका को पंगु बना देना इसके जिहाद का मुख्य उद्देश्य रहा है। कहते हैं कि दुनिया के साम्यवाद में मस्क्वा का जो स्थान था, वही स्थान जिहाद और क्रांतिकारी अंतरराष्ट्रीय धर्मवाद के लिए तेहरान का है। गुप्तचर सूत्रों के अनुसार शेखर रहमान को उसके गिरफ्तार होने के पहले ईरान से राजनयिक प्रतिनिधिमंडल के लोगों के सूटकेस के मार्फत भारी रकम मिला करती थी।
इस्लामिक आतंकवादी अमेरिका में कमजोर आव्रजन कानूनों की आड़ में किस आसानी से काम कर जाते हैं, यह अंधा शेख इमाम उसका ज्वलंत उदाहरण है। वर्ष 1991 में भी आतंकवाद प्रतिकार के विशेषज्ञों ने गुलाम हुसैन शिराजी नामक जिस व्यक्ति को पकड़ा था, वह भी ईरान का खतरनाक साजिशकर्ता और शीर्षस्थ भेदिया निकला था और आव्रजन सेवा की लचर व्यवस्था का लाभ उठाकर अमरीका में स्थायी निवास का वीज़ा हासिल किए बैठा था। शिराजी ऐसी कई अमरीकी कंपनियों से जुड़ा था, जिनके मालिक ईरानी भेदिए ही थे। ऐसे में आश्चर्य नहीं कि अमरीका एकदम से आतंकवादियों का अखाड़ा बन चुका है। न्यू जर्सी के न्यूर्याक स्थित क्षेत्रीय शरण कार्यालय पर आव्रजन एवं देशीयकरण सेवा की रपट है कि हर वर्ष कोई पांच लाख विदेशी यात्री वीज़ा समाप्ति के बाद एकदम से विलुप्त ही हो जाते हैं। अमेरीका में इस्लामिक आतंकवाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रंप की चिंता का कारण यूं ही नहीं है। जॉर्ज बुश हों, बिल क्लिंटन हों या बराक ओबामा हों इनमें से किसी ने भी इसे गंभीरता से नहीं लिया, लेकिन डोनाल्ड ट्रंप सतर्क हैं। उन्होंने इस्लामिक चरमपंथियों पर अपनी नीति स्पष्ट कर दी है, जिसमें अब अमेरिका में किसी अंधे इमाम को शरण नहीं मिलनी है। अमेरीका में सुधार एवं नियंत्रण कानून के तहत स्थायी प्रवास के लिए आवेदन में कड़ी शर्तें जुड़ गई हैं।