स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Wednesday 13 February 2013 09:26:17 AM
नई दिल्ली। राष्ट्रपति भवन में राज्यपालों के सम्मेलन में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के इस कथन से असहज स्थिति पैदा हो गई कि हमारी अर्थव्यवस्था में गत दो वर्षों के दौरान अधिक गिरावट आई है। ध्यान रहे कि उन दो वर्षों में प्रणव मुखर्जी देश के वित्त मंत्री हुआ करते थे, जोकि आज देश के राष्ट्रपति हैं। प्रधानमंत्री के कथन की सीधी आंच प्रणव मुखर्जी तक पहुंची। उन्होंने अपना कथन जारी रखते हुए हालांकि यह भी कहा कि जिन कारकों की वजह से अर्थव्यवस्था में गिरावट आई है, उनमें देश के बाहरी और आंतरिक दोनों कारण शामिल हैं। वित्त मंत्री ने कुछ विस्तार से इन कारणों का समाधान किया है, यह आवश्यक है कि अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए हम हर संभव प्रयास करेंगे, सरकार ने निवेश और विकास को पटरी पर लाने के लिए हाल के महीनों में संयुक्त और गंभीर प्रयास किए हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार के स्तर पर निवेश प्रस्तावों से संबंधित स्वीकृति प्रक्रिया को सरल और कारगर बनाने, पर्यावरण और वन की दृष्टि से स्वीकृति के प्रति विशेष ध्यान देने के साथ-साथ ढांचागत अवरोधकों को दूर करने के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि निवेश का वातावरण राज्य सरकारों की कार्यप्रणाली के कारण भी प्रभावित होता है। कानून-व्यवस्था की स्थिति तथा भूमि अधिग्रहण से संबंधित आसान और कठिन प्रक्रिया तथा विद्युत कनेक्शन जैसे कारकों का निवेश के वातावरण पर काफी प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि चालू वर्ष के दौरान नीतिगत उपायों की घोषणा से एक आशा जगी है जो अक्तूबर-दिसंबर के तिमाही के दौरान व्यापार प्रत्याशा सूचकांक और खरीद प्रबंधक सूचकांक में बढ़ोतरी के साथ-साथ पूंजी बाजार में आए उछाल से परिलक्षित होती है। कॉरपोरेट क्षेत्र के आंतरिक संग्रहण में भी धीरे-धीरे सुधार आया है जो कि निवेश को बढ़ाने के लिए आवश्यक है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मौजूदा समय में उच्च स्तर का वित्तीय घाटा हमारे लिए परेशानी का एक विशेष कारण है। हमारी सरकार ने वृहत रूप से केलकर समिति की सिफारिशों को स्वीकार किया है, जिसकी नियुक्ति वित्तीय समावेशन के लिए एक रूप-रेखा तैयार करने के लिए की गई थी। हम चालू वर्ष में वित्तीय घाटा को जीडीपी के 5.3 प्रतिशत तक सीमित रखने को इच्छुक हैं और इसे अगले वर्ष 4.8 प्रतिशत तक लाने का लक्ष्य है। हमने रेलवे, सड़क, हवाई अड्डा, पत्तन, सिंचाई तथा जलापूर्ति के क्षेत्र में ढांचागत सुविधाओं की कमी को दूर करने के लिए कदम उठाए हैं, जो एक दशक के दौरान हमारे तीव्र आर्थिक विकास के कारण दबाव में थे। इन उपायों में निवेश पर मंत्रिमंडलीय समिति का गठन शामिल है, जिसका उद्देश्य वृहत परियोजनाओं के अनुमोदन और उनकी स्वीकृति के संबंध में जल्द निर्णय करना है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2012 में जम्मू एवं कश्मीर, पूर्वोत्तर क्षेत्रों सहित नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्रों की आंतरिक सुरक्षा स्थिति में सुधार देखने को मिला है।
सम्मेलन में जम्मू एवं कश्मीर तथा पूर्वोत्तर राज्यों के राज्यपालों ने सुरक्षा के मुद्दे पर सुरक्षा एजेंसियों की तरफ से अधिक संगत कार्रवाई करने के प्रति कुछ सुझाव दिए। इसी प्रकार अरूणाचल प्रदेश के राज्यपाल जनरल जेजे सिंह ने भी सीमा सड़क, पोर्टर ट्रैक तथा झूलने वाले पुलों के संबंध में अपने सुझाव दिए। सीमावर्ती गांव में रहने वाले लोगों की जीवन शैली में सुधार, उनके साथ-साथ अन्य राज्यपालों ने भी सीमा सड़क संगठन के सुदृढ़ीकरण और सीमावर्ती क्षेत्रों में ढांचागत सुविधाओं में सुधार लाने के संबंध में अपने सुझाव दिए। असम के राज्यपाल और पूर्वोत्तर राज्यों के अन्य राज्यपालों ने भारत और बंगलादेश सीमा पर बाड़ लगाने की गति में तेजी लाने का सुझाव दिया। इन सुझावों पर प्रधानमंत्री ने रक्षा मंत्री एके एंटोनी और गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे से कहा कि वे सुरक्षा से संबंधित सुझावों पर गौर करेंगे और यह देखेंगे कि इन पर किस तरह की कार्रवाई संभव हो सकती है। उन्होंने आतंकवाद को रोकने के लिए तंत्र और प्रणालियों में सुधार लाने के कई उपायों का जिक्र किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत जैसी धर्मनिरपेक्ष राजव्यवस्था में सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने की जरूरत को कम नहीं किया जा सकता, इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए केंद्र और राज्यों को एक बेहतर रणनीति अपनानी होगी। बाहरी मोर्चे पर, हम पड़ोसियों के साथ अच्छे संबंध और शांतिपूर्ण अस्तित्व के लिए कार्य करने को प्रतिबद्ध हैं, हालांकि देश पर किसी भी तरह के खतरे से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए हम अपने संकल्प पर अडिग हैं। पिछले महीने एलओसी पर जो घटना हुई, वह सभ्य अंतर्राष्ट्रीय व्यवहार के खिलाफ है और वह हमें कतई स्वीकार नहीं है, हमें यह भी समझना होगा कि हमारे पड़ोस में अस्थिरता और अनिश्चितता बढ़ी है। सुरक्षा चुनौतियों के पूरे प्रकरण से निपटने के लिए अत्याधुनिक तकनीक और आधुनिक मंच के प्रावधान के जरिए सशस्त्र बल और पुलिस बल दोनों की क्षमताओं को लगातार बढ़ाया जा रहा है। सीमावर्ती क्षेत्रों में गतिशीलता और संपर्क बढ़ाने के लिए हम ढांचागत विकास कार्यक्रम भी चला रहे हैं।
उन्होंने कहा है कि नक्सलवाद की समस्या से निपटने के लिए हमारी दो आयामी रणनीति है। इनमे नक्सलवाद से प्रभावित इलाकों में जिनमें से कई जनजातीय आबादी हैं, विकास और प्रशासन कार्य करने के प्रयास किए गए हैं। अंतरराज्य समन्वय की ज़रूरत पर आंध्र प्रदेश के राज्यपाल ईएसएल नरसिम्हन के सुझाव से प्रधानमंत्री पूरी तरह से सहमत हुए। वहां 82 चयनित और पिछड़े जिलों में से अधिकतर नक्सलावाद से प्रभावित हैं। उन्होंने कहा कि सरकार के प्रयासों के कारण 2012 में नक्सली हिंसा में पिछले वर्ष के मुकाबले कमी आई है, हालांकि असम के ऊपरी और निचले क्षेत्रों में माओवादी गतिविधियों का बढ़ना चिंताजनक है। उन्होंने दिल्ली के जघन्य सामूहिक दुष्कर्म मामले के उल्लेख पर कहा कि सरकार ने विशेष सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं की सुरक्षा बढ़ाने के लिए अनेक प्रशासनिक कदम उठाए हैं। देश में महिलाओं के दर्जे में वास्तविक और प्रभावी बदलाव तभी आ सकता है, जब हमारे सामाजिक मूल्यों में बदलाव होगा, इसपर सभी को मिलकर काम करने की ज़रूरत है।
मनमोहन सिंह ने कहा कि संविधान के तहत राज्यपालों को अधिसूचित क्षेत्रों के प्रशासन के लिए विशेष जिम्मेदारी दी गई है, इन इलाकों में विकास में तेज़ी लाने में उनकी सीधी और महत्वपूर्ण भूमिका है, इन संवैधानिक व्यवस्थाओं ने विशेषकर पूर्वोत्तर से संबंधित सभी जनजातीय लोगों की दीर्घकालिक मांगों और महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने में उन्होंने काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। छठी अनुसूची में शामिल क्षेत्रों में निधि और कार्यों के अधिक अधिकार के साथ चुनावों की नियमित प्रक्रिया से जनजातीय परिषदों को मज़बूती मिली है। पांचवी अनुसूची में शामिल क्षेत्रों में पंचायत अधिनियम ने लोगों के लिए स्थानीय प्रशासन और सामुदायिक संसाधनों में हिस्सेदारी के लिए अधिक व्यवस्था सुनिश्चित की है। उन्होंने राज्यपालों से पीईएसए और वन अधिकार के प्रावधानों के प्रभावी कार्यांवयन पर पूरा ध्यान देने को कहा।
मध्य प्रदेश के राज्यपाल राम नरेश यादव ने आग्रह किया था पांचवी अनुसूची में शामिल क्षेत्रों की संवैधानिक अनिवार्यता को पूरा करने के लिए राज्यपाल के कार्यालय को उपयुक्त रूप से लैस होना चाहिए। उन्होंने जनजातीय सलाहकार परिषद के गठन का मुद्दा भी उठाया है कि इन मुद्दों पर विचार किया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री ने जागरुकता के तौर पर कई और विषयों को सम्मेलन में उठाया। राजस्थान की राज्यपाल मार्गेट अल्वा और नगालैंड के राज्यपाल निखिल कुमार ने प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजना लागू करने में सतर्कता बरतने की सलाह दी है।