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Tuesday 7 March 2017 04:03:33 AM
नई दिल्ली। केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती ने कहा है कि गंगा बेसिन में आर्सेनिक की समस्या से करोड़ों लोग प्रभावित हो रहे हैं, इस समस्या के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए एक समग्र आंदोलन चलाए जाने की जरूरत है। आज नई दिल्ली में केंद्रीय भूमि जल बोर्ड की ओर से ‘गंगा बेसिन के भूजल में आर्सेनिक की समस्या एवं निराकरण’ विषय पर कार्यशाला में बोलते हुए उमा भारती ने कहा कि भूजल में आर्सेनिक की समस्या से निपटने के लिए कार्यशाला की रिपोर्ट पर उनका मंत्रालय एक व्यापक कार्ययोजना तैयार करेगा, जिसमें राज्य सरकारों एवं गैर सरकारी संगठनों का भी सहयोग लिया जाएगा।
उमा भारती ने विकास में जन भागीदारी के महत्व पर जोर डालते हुए कहा कि भूजल में आर्सेनिक एवं अन्य प्रदूषण से निपटने के लिए भी जनआंदोलन खड़ा करना पड़ेगा, इसी प्रकार जल के सदुपयोग को भी जन आंदोलन बनाए जाने की जरूरत है। उमा भारती ने कहा कि उन्होंने भी ऐसे कई गांव देखे हैं, जहां जल संरक्षण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य हुआ है। उमा भारती ने कहा कि ग्रामीण भारत की पीने के पानी की जरूरत पूरा करने में 85% के आसपास योगदान भूजल का है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार की योजनाओं में भूजल संसाधनों की स्थिरता एक बड़ा एजेंडा है, क्योंकि बदलती जीवनशैली और बढ़ती जनसंख्या के साथ पानी की मांग भी बढ़ रही है और भूजल संसाधनों का संरक्षण करने एवं उन्हें बचाने की अत्यंत जरूरत है।
उमा भारती ने कहा कि भूजल संसाधनों से संबंधित समस्याओं में से एक प्रमुख समस्या पानी की गुणवत्ता की है, भूजल में आर्सेनिक की मौजूदगी जहर के समान है और यह मानव स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बना हुआ है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय भूमि जल बोर्ड और जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय गंगा बेसिन में कृत्रिम पुर्नभरण और वर्षा जल संचयन को बढ़ावा देने के लिए प्रयास कर रहा है, जिससे भूजल की गुणवत्ता में सुधार लाने में मदद मिलेगी। उन्होंने विश्वविद्यालयों, आईआईटी और अनुसंधान संस्थानों में काम कर रहे भूजल विशेषज्ञों का आह्वान किया कि वे भी आर्सेनिक समस्या पर अपने महत्वपूर्ण सुझाव दें, ताकि मंत्रालय को इस समस्या के समाधान के लिए भविष्य की रणनीति बनाने में सहायता मिल सके।
कार्यशाला में केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण राज्यमंत्री संजीव बालियान ने भी विचार रखे और कहा कि भूजल में आर्सेनिक की समस्या से देश की 50 फीसदी जनता जूझ रही है। उन्होंने कहा कि इस समस्या से निपटने के लिए सभी विभागों को एक सामूहिक सोच बनानी पड़ेगी और मिलकर कार्य करना होगा। मंत्रालय के सचिव डॉ अमरजीत सिंह ने इस अवसर पर कहा कि गंगा नदी से ही सर्वाधिक जल मिल रहा है और यही नदी आर्सेनिक से ज्यादा प्रदूषित है, इस समस्या से निजात पाने के लिए राज्यों में टास्क फोर्स बनाकर कार्य किया जाएगा। कार्यशाला में देशभर के विभिन्न राज्यों एवं संस्थानों से आए 300 से ज्यादा प्रतिनिधियों ने भाग लिया। कार्यशाला के लिए 23 प्रपत्र चुने गए, जिनमें सात प्रपत्रों पर विशेषज्ञों एवं भूजल वैज्ञानिकों के बीच विस्तृत चर्चा हुई।