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Wednesday 8 March 2017 05:33:48 AM
नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज राष्ट्रपति भवन में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर नारी शक्ति पुरस्कार प्रदान किए। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि भारत में हम अपने दैनिक जीवन में अनेक तरीकों से अपनी महिलाओं को स्वीकार करते हैं और याद करते हैं, आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर हम समाज के प्रति महिलाओं के निःस्वार्थ उपहार के लिए उन्हें नमन करते हैं। राष्ट्रपति ने नारी शक्ति पुरस्कार प्राप्त करने वाली महिलाओं और संगठनों को बधाई दी और उनके सम्मान में कहा कि उन्होंने चुनौतियों को स्वीकार करके तथा उच्च आकांक्षाओं को पूरा करने का उत्कृष्ट कार्य किया है। राष्ट्रपति ने कहा कि प्रत्येक सफलता के पीछे संकल्प और दृढ़ता की कहानी होती है, प्रत्येक सफलता हजारों अन्य महिलाओं के प्रयासों का प्रतिनिधित्व करती है, इनका समान रूप से आदार किया जाना चाहिए।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि भारत के स्वतंत्र गणराज्य बनने से पहले अपने देश में महिलाओं के सशक्तिकरण पर विचार-विमर्श शुरू हो गया था, हमारे संविधान और नीति निर्देशक तत्वों में नीति और नियोजन के लिए सरकार को स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए गए हैं, महिलाएं अब केवल कल्याण लाभों को प्राप्त करने वाली नहीं, बल्कि समान अधिकार, समान सहभागी और देश की सामाजिक-आर्थिक, सांस्कृतिक तथा राजनीतिक प्रक्रियाओं में परिवर्तन की वाहक के रूप में मान्य हैं। उन्होंने कहा कि राजनीतिक क्षेत्र में महिलाओं का प्रयास सराहनीय रहा है, उन्होंने सामाजिक और आर्थिक असमानता को कम करने में प्रभावी रूप से योगदान दिया है और वे निःस्वार्थ भाव से विकास तथा राष्ट्र निर्माण के लक्ष्यों के लिए कार्य कर रही हैं। उन्होंने कहा कि स्थानीय स्वशासन के क्षेत्र में ग्रामीण भारत में एक मिलियन से अधिक निर्धारित 33 प्रतिशत से अधिक महिलाओं ने अधिकार प्राप्त किए हैं और प्रभावी रूप से अपने दायित्व को निभा रही हैं।
प्रणब मुखर्जी ने कहा कि रक्षा सेवाओं, पुलिस तथा सुरक्षा बलों, खेल, शिक्षा, अंतरिक्ष अनुसंधान और नवाचार जैसे चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में महिलाएं स्थापित हो चुकी हैं और दूसरी तरफ सामाजिक रूपसे कमजोर और शोषित लोगों के लिए भी काम कर रही हैं, समुदाय तक पहुंच रही हैं और स्वास्थ्य कार्यक्रमों में भागीदारी कर रही हैं। उन्होंने कहा कि अच्छे टीम कार्य और सफलता के लिए महिलाएं अपरिहार्य हैं, हमें यह स्वीकार करना होगा कि प्रायः महिलाओं के साथ भेदभाव किया जाता है, लेकिन वास्तविकता यह है कि महिलाएं ऐसी कठिनाइय़ों को पार कर जाती हैं और प्रेरित करती हैं। उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर यह दोहराना आवश्यक है कि प्रत्येक लड़की और महिला को यह आवश्स्त किया जाना चाहिए कि भारत सरकार उन्हें ऐसा सक्षम वातावरण उपलब्ध कराने के लिए संकल्पबद्ध है, जिसमें उन्हें बराबरी का अवसर मिले।
राष्ट्रपति ने कहा कि महिलाओं को आत्मविश्वास महसूस होना चाहिए, उन्हें यह विश्वास होना चाहिए कि जिस क्षेत्र को वह चुनती हैं, उन क्षेत्रों में वह उच्च आकांक्षाओं की पूर्ति कर सकती हैं, देश के अनेक हिस्सों में बाल लिंग अनुपात में गिरावट को देखते हुए प्रधानमंत्री का ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ अभियान लांच किया गया है, यह अभियान इस तरह बनाया गया है, ताकि देश के प्रत्येक हिस्से में लड़की प्राथमिक शिक्षा में नामांकन के लिए प्रेरित हो सके, इस कार्यक्रम के अंतर्गत 2015 तक देश के 100 जिलों को चुना गया और 2016 में इसमें 61 अतिरिक्त जिले जोड़े गए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार महिलाओं के प्रति बढ़ रही हिंसा को लेकर चिंतित हैं, यह अक्षमय बात है कि भारत में महिला उतनी सुरक्षित महसूस नहीं करती, जितनी सुरक्षा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आधुनिक भारत में लैंगिंक असमानता और भेदभाव के लिए कोई स्थान नहीं है, भारत का प्रमुख लक्ष्य समावेशी विकास है, इस बारे में स्कूलों और कॉलेजों में बच्चों को संवेदी बनाने से महिलाओं को उचित सम्मान मिलेगा। उन्होंने कहा कि यह कार्य हमारे ग्रामीण और शहरी आबादी के बीच उचित उपायों के जरिए और समेकित सरकारी कार्यक्रमों के माध्यम से पूरा किया जाना चाहिए।
प्रणब मुखर्जी ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि महिलाओं में अनेक कार्य करने की आपार क्षमता होती है, अपने परिवारों तथा घरों से लेकर खेतों, व्यवसायों और विभिन्न कार्यों में महिलाओं का संकल्प किसी से कम नहीं है। उन्होंने कहा कि गुरुदेव रबिंद्रनाथ टैगोर की कृति घरे बायरे में पढ़ी हुई पंक्ति मुझे याद आती है कि ‘हम महिलाएं घर के चिराग की केवल देवियां नहीं, बल्कि इसकी ज्योति और आत्मा हैं।’ महिलाओं को आदर देते समय यह पंक्तियां हमारे दिमाग में होनी चाहिएं, यह कठिन नहीं है, क्योंकि यह बुनियादी मूल्य हमारी महान विरासत का हिस्सा रहे हैं और हमारी चेतना में हैं। उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर हमें इन बुनियादी मूल्यों की रक्षा और प्रसार के प्रति अपने आपको समर्पित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि महिला और बाल विकास मंत्री मेनका संजय गांधी को इन पुरस्कारों के गठन के लिए मैं हृदय से धन्यवाद देता हूं, यह पुरस्कार महिलाओं के सशक्तिकरण और अपने देश की प्रगति के लिए व्यक्तियों, संस्थानों और संगठनों को छोटा-बड़ा योगदान करने के लिए प्रेरित करेंगे।