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Sunday 12 March 2017 04:24:28 AM
नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने एक ऐतिहासिक निर्णय में देश में एकल मेडिकल प्रवेश परीक्षा शुरू करने के बाद अब स्नातक और स्नातकोत्तर स्तरों पर चिकित्सा पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए राज्यस्तर पर सामान्य परामर्श के लिए प्रावधान किया है। एमसीआई के प्रासंगिक नियमों में किए गए संशोधनों के अनुसार राज्य और संघ राज्य क्षेत्र के स्तर पर निर्दिष्ट प्राधिकरण राज्य में सभी मेडिकल शिक्षा संस्थानों के लिए सामान्य परामर्श करेगा, चाहे इसकी स्थापना केंद्र सरकार, राज्य सरकार, विश्वविद्यालय, मानद विश्वविद्यालय, ट्रस्ट, सोसाइटी, कंपनी, अल्पसंख्यक संस्थाएं या निगम ने की हो।
मेडिकल छात्रों को एक ही राज्य में नामांकन के लिए कई एजेंसियों के पास आवेदन नहीं करना पड़ेगा। एनईईटी यूजी 2016 के सीबीएसई द्वारा संचालित किए जाने के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों और अन्य हितधारकों के परामर्श से राज्यों को 9 अगस्त 2016 को एक परामर्श जारी किया था कि वे 2016-17 के सत्र के लिए एमबीबीएस पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए संयुक्त परामर्श आयोजित करने को वरीयता दे सकते हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के दृष्टांत पर यूजीसी ने 15 सितंबर 2016 के पत्र के माध्यम से सभी मानद विश्वविद्यालयों को निर्देश दिया था कि वे या तो राज्य सरकारों और केंद्र सरकार द्वारा या एनआईआईटी में प्राप्त अंकों के आधार पर अपनी एजेंसियों के माध्यम से आयोजित समान पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए सामान्य परामर्श के भी हिस्सा होंगे।
स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में नामांकन हेतु 2017-18 सत्र के लिए राज्य स्तर पर आम परामर्श के लिए परामर्शदात्री 5 दिसंबर 2016 को दोहराई गई थी, क्योंकि परामर्श को किसी नियम के तहत शामिल नहीं किया गया था और पूरी प्रवेश प्रक्रिया एक प्रशासनिक तंत्र के रूप में विकसित हुई थी, लेकिन अब स्नातक चिकित्सा शिक्षा विनियमन 1997 और स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा विनियमन 2000 में संशोधन संबंधी सूचनाओं के साथ सामान्य परामर्श के लिए कानूनी प्रावधानों को सक्षम बना दिया गया है। इस कदम से नामांकन की प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी और निजी कॉलेजों के लगाए गए कैपिटेशन शुल्क के प्रचलन को रोकने में भी मदद मिलेगी।