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Wednesday 22 March 2017 06:21:33 AM
नई दिल्ली। सीआईआई के उत्तरी क्षेत्र की वार्षिक बैठक दिल्ली के होटल ललित में हुई, जिसमें मेक इन इंडिया मेक इन नॉर्थ पर निवेशकों के परिप्रेक्ष्य में बिल्डिंग ए कॉम्पिटिटिव नॉर्थ विषय पर केंद्रित पूर्ण सत्र हुआ। मेक इन इंडिया सत्र उत्तरी राज्यों के योगदान पर केंद्रित रहा। सत्र में कहा गया कि मजबूत कृषि और उद्यम आधार, कुशल श्रमशक्ति, व्यवसाय करने में आसानी के साथ ही आबादी के 31 प्रतिशत हिस्से वाले उत्तर भारत में एक बड़ा घरेलू बाजार है, जो मेक इन इंडिया की अंतर्निहित ताकत है, इसलिए उत्तरी राज्यों को मेक इन इंडिया कार्यक्रम का लाभ उठाना चाहिए।सीआईआई उत्तरी क्षेत्र के उपाध्यक्ष सुमंत सिन्हा ने अपने शुरुआती वक्तव्य में कहा कि क्षेत्रीय जीडीपी में विनिर्माण का योगदान लगभग 15 प्रतिशत है, इस क्षेत्र की क्षमता को ध्यान में रखते हुए और इसे एक उच्च विकास स्तर पर ले जाने के लिए अधिक निवेश हासिल करना और मेक इन नार्थ पर ध्यान केंद्रित करना ज़रूरी है, यह न केवल रोज़गार पैदा करेगा, बल्कि बदले में खपत और मांग को भी बढ़ावा देगा। उन्होंने कहा कि यह मजबूत आर्थिक वृद्धि लाने में उत्प्रेरक के रूप में कार्य करेगा।
बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप के प्रिंसिपल अभिषेक गोपालका ने मेक इन इंडिया सत्र में प्रतिस्पर्धात्मकता पर शानदार प्रस्तुति दी। उन्होंने कहा कि इनपुट कारकों, आर्थिक प्रोत्साहनों और स्थिरता के संदर्भ में समग्र रूप से मूल्यांकन करने की जरूरत है। सोमनी सीरामिक्स लिमिटेड के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक श्रीकांत सोमानी ने कहा कि उन्होंने अपने कारोबार को पूर्ववर्ती संयुक्त पंजाब में स्थानांतरित करने का फैसला किया है, क्योंकि उस समय के नेतृत्व ने निवेश को प्राप्त करने की इच्छा व्यक्त की थी। उन्होंने कहा कि उद्योग समाज में परिवर्तन लाता है और समृद्धि भी लाता है। उन्होंने कहा कि समय की आवश्यकता है कि सरकार आशय और नीति के कार्यान्वयन के बीच विशाल अंतराल को भरे। एनआईआईटी लिमिटेड के उपाध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक विजय के ने कहा कि मेक इन इंडिया को आगे बढ़ाने में मेक इन उत्तर के कौशल और आईटी-सक्षम बुनियादी ढांचे, जीडीपी का साठ प्रतिशत सेवा क्षेत्र से आना तथा इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण बेहद अहम है। उन्होंने कहा कि उत्तर में लोगों के पास अच्छा कौशल है, लेकिन अब क्षेत्र को सॉफ्ट स्किल्स और संचार में सुधार की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सरकारों को नए कारोबार को आमंत्रित करने और व्यापार को आसान बनाने की जरूरत है, ताकि राज्य निवेशकों को आकर्षित करें और राज्यों में निवेश बढ़े।
जैक्सन इंजीनियर्स लिमिटेड के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक समीर गुप्ता ने विश्व स्तर के औद्योगिक बुनियादी ढांचे के अनुरूप और अनुकूल नीति बनाने की आवश्यकता पर बल दिया। समीर गुप्ता ने कहा कि केंद्र और उत्तरी राज्यों में राजनीतिक स्थिरता दिखाई दे रही है, इसलिए वह अगले पांच-सात साल में वहां विशेष रूप से विकास होने का अनुमान है, जिससे निवेश बढ़ेगा। कौशल विकास में निवेश करने के लिए उन्होंने उद्योगों से अपील की तथा साथ ही यह भी कहा कि प्रतिस्पर्धा उत्तर को और अधिक बेहतर भविष्य की ओर लेकर जाएगी। ईशर पोलारिस प्राइवेट लिमिटेड के चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर पंकज दुबे ने बताया कि कैसे पोलारिस जैसी वैश्विक दिग्गज श्रृंखला में प्रतिस्पर्धा को बनाने और बनाए रखने के प्रयास हो रहे हैं। अपने अनुभवों को साझा करते हुए उन्होंने बताया कि कैसे एक उत्तरदायी अधिकारी या सरकार किसी कंपनी की निवेश योजनाओं में निर्णायक कारक हो सकती है। उन्होंने उद्योग और राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम करने का आह्वान किया, ताकि सुनिश्चित हो सके कि व्यवसायी न केवल बचत करें, बल्कि आगे भी बढ़ें।
पलाश राय चौधरी ने उन्नत मैन्युफैक्चरिंग के लिए एक पूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि नीति और प्रभावी कार्यान्वयन, बुनियादी ढांचे और प्रतिभा उपलब्धता समान रूप से महत्वपूर्ण हैं। कॉरपोरेट, भारत के शीर्ष प्रतिष्ठानों के अलावा दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और चंडीगढ़ के केंद्र शासित प्रदेशों के केंद्र और उत्तरी राज्यों के वरिष्ठ सरकारी पदाधिकारियों ने सत्र में भाग लिया। सत्र मेंसाढ़े चार सौ से अधिक प्रतिनिधि उपस्थित थे।