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Saturday 25 March 2017 09:14:27 AM
नई दिल्ली। भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के अंतर्गत किसी भी व्यक्ति के लिए किसी भी तरह से नकद प्रोत्साहन का प्रावधान नहीं है, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना में बालिकाओं के महत्व को समझाने, पीसी एंड पीएनडीटी अधिनियम का सख्ती से पालन करवाने, सामाजिक व्यवस्था और ताने-बाने में व्याप्त पितृ सत्तात्मक सोच एवं समाज में कुछ लोगों की बेटी के प्रति नकारात्मक मानसिकता को बदलने की दिशा में उनका ध्यान में केंद्रित करता है। स्पष्ट किया गया है कि इसमें जीवन स्तर पर सतत महिला सशक्तिकरण पर ध्यान केंद्रित किया जाता है, यह कोई डीबीटी यानी प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजना नहीं है। मामले की गंभीरता और जनहित को ध्यान में रखते हुए यह पूरा मामला जांच करने के लिए सीबीआई के हवाले कर दिया गया है।
भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के संज्ञान में लाया गया है कि कुछ अनाधिकृत तत्व और व्यक्ति, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के अंतर्गत नकद प्रोत्साहन देने के नाम पर गैरकानूनी प्रारूपों का वितरण कर रहे हैं। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने उत्तर प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड, पंजाब और बिहार राज्यों की सरकारों के संबंधित प्राधिकरणों के समक्ष यह मामला उठाया है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने कहा है कि उसको दिल्ली से भी बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना योजना के नाम पर धोखाधड़ी की जानकारी प्राप्त हुई है। दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों विशेषतौर पर टीकरी, भट्टी खुर्द, दक्षिणपुरी एक्सटेंशन, संगम विहार, संजय कालोनी, सरिता विहार, आदर्श नगर और जेजे कालोनी से धोखाधड़ी की जानकारियां प्राप्त हुई है।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के नाम पर धोखाधड़ी एक गंभीर विषय है और यदि किसी के भी सामने ऐसी कोई घटना आती है तो वह तुंरत इसकी जानकारी निकट के पुलिस स्टेशन और संबंधित जिलाधिकारी को दे। इस संबंध में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भी कई बार चेतावनी जारी की जा चुकी है। मंत्रालय ने यह बात फिर दोहराई है कि इस प्रकार के प्रपत्रों का वितरण पूर्णरूप से गैरकानूनी है और बेटी बचाओ-बेटी बढ़ाओ योजना के साथ किसी भी प्रकार का नकद प्रोत्साहन संलग्न नहीं है। मंत्रालय की ओर से सलाह दी गई है कि इस संबंध में कोई भी ग़लत जानकारी साझा नहीं करे और किसी को भी इस तरह की धोखाधड़ी वाली योजनाओं से नहीं जुड़ना चाहिए और ऐसे किसी फर्जी प्रपत्र को महिला और बाल विकास मंत्रालय या अन्य किसी सरकारी विभाग को नहीं भेजा जाना चाहिए।