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गोमती रिवरफ्रंट परियोजना में धन की बर्बादी

मुख्यमंत्री ने मंत्रियों के संग किया रिवरफ्रंट का निरीक्षण

परियोजना को नमामि गंगे से जोड़ने पर विचार किया ‌‌

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 27 March 2017 07:07:20 AM

cm yogi adityanath inspected of gomti riverfront project lko

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समाजवादी पार्टी सरकार के समय में शुरू हुई लखनऊ की बहुचर्चित गोमती रिवरफ्रंट विकास परियोजना में भ्रष्टाचार और सरकारी धन के भारी अपव्यय पर अपनी भृकुटी तान ली है। उन्होंने आज अपने मंत्रियों, मुख्यसचिव एवं परियोजना से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों के साथ स्‍थलीय निरीक्षण किया और उसकी प्रगति एवं उसमें धन की बर्बादी पर गहरा असंतोष व्यक्त किया। मुख्यमंत्री ने पाया कि दो वर्ष पूर्व शुरू की गई इस परियोजना पर अभी तक 60 फीसदी भी काम नहीं हुआ है, परियोजना को मई 2017 में पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, जबकि 1500 करोड़ रुपये की इस परियोजना के 1433 करोड़ रुपये कार्यदायी संस्था को दे दिए गए, जिसमे से करीब 1427 करोड़ रुपये खर्च भी हो चुके हैं, यही नहीं, परियोजना को पूरा करने के लिए अभी और लगभग 1500 करोड़ रुपये की मांग की जा रही है। उन्होंने इस परियोजना को ‘नमामी गंगे’ परियोजना से जोड़ने की संभावना पर विचार करने का निर्देश देते हुए कहा कि इससे राज्य सरकार पर अनावश्यक खर्च बढ़ने से रोका जा सकेगा।
गोमती रिवरफ्रंट परियोजना की प्रगति एवं उसकी उपादेयता पर मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसी परियोजनाओं का वास्तविक उद्देश्य नदी के पानी को स्वच्छ करना एवं नगर के उन गंदे नालों को बंद करना होना चाहिए था, जो गोमती नदी में गिरकर उसके जल को प्रदूषित कर रहे हैं। गोमती नदी को गंगा की सहायक नदी मानते हुए और परियोजना के संबंध में अधिकारियों की तैयारी पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए उन्होंने कहा कि परियोजना पर काम करने से पूर्व इसमें होने वाले व्यय एवं धनराशि प्राप्त करने के स्रोत पर अवश्य विचार किया जाना चाहिए था, इस बात पर गहन मंथन होना चाहिए था कि परियोजना पर कौन से जरूरी काम हैं जो पहले पूरे किए जाएं। उन्होंने कहा कि परियोजना को ‘नमामी गंगे’ परियोजना से जोड़कर गोमती नदी में गिरने वाले सभी गंदे पानी के नालों को बंद करने की दिशा में काम किया जाना चाहिए था, जिससे गोमती नदी की अविरलता बनाए रखने एवं पानी को शुद्ध करने में मदद मिलती, लेकिन ऐसा नहीं किया गया और करीब 1427 करोड़ रुपये खर्च भी कर दिए गए।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि रिवरफ्रंट परियोजना पूरी तरह से ठेकेदार पर ही छोड़ दी गई, जिससे उसने पहले परियोजना के अनोपयोगी मदों पर धनराशि खर्च करने का काम किया और गंदे नालों को टैप करने के लिए दोनों तरफ बनाए जा रहे इंटर सेप्टिक ड्रेन का काम अधूरा छोड़ दिया। उन्होंने निर्देशित किया कि पहले मई 2017 तक गंदे नालों को नदी में गिरने से रोकने के लिए निर्माणाधीन सेप्टिक ड्रेन का काम पूरा कराया जाए और इसके साथ ही दोनों तरफ बन रहे डाइफ्राम वॉल को कलाकोठी तक बढ़ाया जाए। मुख्यमंत्री ने मुख्यसचिव को निर्देशित किया कि इस परियोजना से संबंधित प्रमुख सचिव अपने स्तर पर एक सप्ताह के भीतर इसकी समीक्षा करते हुए इसमें होने वाले वास्तविक व्यय के संबंध में सरकार के सामने अपना अभिमत प्रस्तुत करें। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार अन्य विभागों के प्रमुख सचिव भी अपने-अपने विभागों से संबंधित विभिन्न संचालित परियोजनाओं की एक सप्ताह में समीक्षा करके अनावश्यक व्यय को तत्काल रोकने का काम करें, वे यह भी सुनिश्चित करें कि परियोजना को निर्धारित समय में गुणवत्ता के साथ पूरा किया जाए।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उनकी सरकार हरहाल में निर्माण परियोजनाओं में भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए दृढ़संकल्पित है, जनता की गाढ़ी कमाई को लूटने की इजाजत नहीं दी जा सकती। उन्होंने कहा कि परियोजनाओं की उपयोगिता पर भी उतना ही ध्यान दिया जाए। उन्होंने कहा कि लखनऊ नगर के किसी भी नाले को निर्धारित समय के बाद गोमती नदी में नहीं गिरने दिया जाए। उन्होंने आवश्यकतानुसार ‘नमामी गंगे’ परियोजना के तहत एसटीपी की क्षमता बढ़ाने एवं नई एसटीपी स्थापित करने के लिए आगणन प्रस्तुत करने के भी निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने इस बात पर गहरी नाराज़गी व्यक्त की कि लगभग 1400 करोड़ रुपये से अधिक व्यय करने के बाद भी गोमती नदी में गिरने वाले नालों को रोका नहीं जा सका है, कार्यदायी संस्थाओं ने फाउंटेन जैसे ग़ैरजरूरी कामों पर जनता की गाढ़ी कमाई को व्यय कर दिया और लखनऊ की जनता को इसका कोई लाभ भी नहीं मिल रहा है। उन्होंने कहा कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की सख्ती के बावजूद प्रदेश में गंदे नालों को नदियों में गिरने की दिशा में बहुत कम काम किया गया है।
ज्ञातव्य है कि गोमती रिवरफ्रंट परियोजना को पूरा करने के लिए अभी भरवारा स्थित एसटीपी की क्षमता बढ़ाने एवं इंटर सेप्टिक ड्रेनों को भरवारा तक ले जाने के लिए जल निगम को देने के लिए करीब 750 करोड़ रुपये आवश्यकता पड़ेगी, जबकि सिंचाई विभाग ने परियोजना को पूरा करने के लिए 900 करोड़ रुपये की अतिरिक्त धनराशि की जरूरत पर बल दिया है। स्‍थलीय निरीक्षण में मुख्यमंत्री के साथ उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा, राज्य सरकार के मंत्रीगण मंत्री सुरेश खन्ना, आशुतोष टंडन, रीता बहुगुणा जोशी, बृजेश पाठक, धर्मपाल सिंह, स्वाति सिंह, जनप्रतिनिधि, मुख्यसचिव राहुल भटनागर, प्रमुख सचिव सूचना नवनीत सहगल और संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।

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