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Saturday 1 April 2017 12:37:57 AM
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने गोमती नदी के तट पर गोविंदबल्लभ पंत उपवन में उत्तराखंड महापरिषद के उत्तराखंड महोत्सव 2017 का उद्घाटन किया। राज्यपाल ने महोत्सव में पर्वतारोही पद्मश्री चंद्रप्रभा ऐतवाल को अंगवस्त्र और स्मृतिचिन्ह देकर उत्तराखंड गौरव सम्मान प्रदान किया। महोत्सव में संगीत विशेषज्ञ हेम सिंह और अन्य विभूतियों को भी सम्मानित किया गया। उत्तराखंड महापरिषद के अध्यक्ष मोहन सिंह बिष्ट ने राज्यपाल को भी अंगवस्त्र और प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया। महोत्सव में हरीशचंद्र पंत महासचिव उत्तराखंड महापरिषद और पदाधिकारी एवं लखनऊ में रहने वाले उत्तराखंड के मूल निवासी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
राज्यपाल ने इस अवसर पर कहा कि पर्वतीय क्षेत्र का गौरवशाली इतिहास है, जिसकी संस्कृति की अपनी विशेषता है, यह अनेकता में एकता है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड को देवभूमि, स्वर्गभूमि, वीरभूमि आदि नामों से भी संबोधित किया जाता है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंडवासी लखनऊ में उत्तराखंड महोत्सव का आयोजन करके अपनी मातृभूमि को याद करते हैं। राम नाईक ने उल्लेख किया कि भगवान राम ने भी कहा था कि मातृभूमि स्वर्ग से भी बड़ी होती है, वे वनवास प्रवास पर भी अपनी जन्मभूमि अयोध्या की माटी साथ ले गए थे। राज्यपाल ने कहा कि लखनऊ में रहकर भी अपनी मातृभूमि उत्तराखंड से जुड़ाव बड़ी प्रसन्नता की बात है।
राम नाईक ने बताया कि जब देश में उत्तराखंड राज्य अस्तित्व में आया तब वे भारत की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री थे, तत्समय उत्तराखंड, छत्तीसगढ़ एवं झारखंड राज्य भी बने। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड ने सुमित्रानंदन पंत जैसा महान कवि, लोकगायक, सुंदरलाल बहुगुणा जैसे महान पर्यावरणविद्, बछेंद्री पाल जैसी बहादुर एवरेस्ट विजेता, प्रचंड राजनेता, सेनाध्यक्ष, सेना के प्रथम परमवीर चक्र विजेता सोमनाथ जैसी अनेक विभूतियां दी हैं, जिन्हें आज भी सम्मान से स्मरण किया जाता है। राज्यपाल ने कहा कि उत्तराखंड महापरिषद ने उत्तराखंड के साथ-साथ अन्य प्रदेशों के भी कलाकारों को आमंत्रित करके सांस्कृतिक आदान प्रदान का सराहनीय कार्य किया है। राज्यपाल ने चुटकी भरे अंदाज में कहा कि और भी अच्छा होता यदि दक्षिण भारत के प्रदेशों महाराष्ट्र, गुजरात और केरल के भी कलाकारों को आमंत्रित किया जाता।
उत्तराखंड महापरिषद ने महोत्सव में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, जम्मू कश्मीर, हरियाणा, नागालैंड, मणिपुर, छत्तीसगढ़ के भी कलाकारों को आमंत्रित किया था। महोत्सव में मिस्र से भी कलाकार पधारे हैं। महोत्सव में सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने खूब प्रशंसा अर्जित की। राज्यपाल ने कहा कि देश में विभिन्न भाषाओं और कलाओं को देखकर भारत की संस्कृति की महानता एवं उसकी महत्ता समझ में आती है। उन्होंने कहा कि हर क्षेत्र की अपनी पहचान और विशेषता होती है, भारत विविधताओं का देश है, जहां अनेक मौसम, विभिन्न वेशभूषाएं तथा खान-पान देखने को मिलता है। उन्होंने कहा कि दिल्ली देश की राजनैतिक राजधानी, मुंबई आर्थिक राजधानी, बनारस आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक राजधानी, लखनऊ कला की राजधानी है तो उत्तराखंड तपोभूमि और देवभूमि है। महोत्सव में उत्तराखंड महापरिषद के अध्यक्ष मोहन सिंह बिष्ट ने स्वागत उद्बोधन दिया, प्रमुख लोगों ने अपने विचार रखे।