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Tuesday 11 April 2017 05:27:28 AM
नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में इंडिया रैंकिंग 2017 रिपोर्ट जारी करते हुए कहा है कि उच्च शिक्षा संस्थानों के विज़िटर के रूपमें उन्होंने निरंतर अंतर्राष्ट्रीय रैटिंग प्रणाली में भाग लेने की आवश्यकता पर बल दिया है, जिसके बाद यह प्रसन्नता की बात है कि इन दो वर्ष में दो भारतीय संस्थान अंतर्राष्ट्रीय शीर्ष रैंकिंग के 200 संस्थानों में शामिल हुए। राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे संस्थान उच्च रैंकिंग के लिए सभी आवश्यक गुण रखते हैं। राष्ट्रपति ने शीर्ष रैंक वाले संस्थानों यानी सभी श्रेणी में शीर्ष 10 संस्थानों और इंजीनियरिंग, प्रबंधन, विश्वविद्यालय, कॉलेज तथा फार्मेसी में टॉप करने वाले विद्यार्थियों को पुस्कार प्रदान किए। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत में उच्चशिक्षा क्षेत्र में दो दशक में व्यापक विस्तार हुआ है, विश्वविद्यालयों, डिग्री कॉलेज, आईआईटी, एनआईटी की संख्या बढ़ी है, लेकिन हमें कुछ निश्चित चुनौतियों का भी समाधान निकालना होगा, जिनमें पहली चुनौती है कि गुणवत्ता सम्पन्न शिक्षकों की उपलब्धता में कमी को दूर करना और दूसरी है अपने ही देश में अपनी प्रतिभा को बनाए रखने की चुनौती।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि प्रतिभाशाली विद्यार्थी प्रतिवर्ष यह सोचकर विदेश जाते हैं कि वहां सुविधाएं, वातावरण और अवसर अधिक हैं, जबकि पुराने समय में स्थिति बिलकुल उलट थी, जब हमारे विश्वविद्यालय पूरी दुनिया के विद्यार्थियों और शिक्षकों को आकर्षित करते थे। उन्होंने कहा कि हमारे विद्यार्थियों और शिक्षकों को स्पर्धी बनना होगा, हमें प्रेरित करने वाले शिक्षकों की सेवा ली जानी चाहिए। प्रणब मुखर्जी ने कहा कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय की राष्ट्रीय रूपरेखा का यह दूसरा वर्ष है और हमें प्रौद्योगिकी विकास का पूरा लाभ उठाना चाहिए। उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी का उपयोग चुनौतियां भी पेश करता है, लेकिन इन चुनौतियों का सामना करना होगा और हमें आगे बढ़ना होगा। उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी के उपयोग से भारत के विद्यार्थी विदेशी विश्वविद्यालयों में कार्यरत अच्छे शिक्षकों तक पहुंच सकते हैं, देश के दूसरे हिस्सों के शिक्षकों और विद्यार्थियों के साथ संवाद उपयोगी सिद्ध होगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में अपना उचित स्थान बनाने के लिए हमें ज्ञान अर्थव्यवस्था बनानी होगी। निरंतर रूप से ज्ञान के विकसित होने और विचारों के आदान-प्रदान करने से विद्यार्थी और शिक्षक दोनों समृद्ध होते हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि हमारी उभरती युवा आबादी में गुणवत्ता सम्पन्न शिक्षा विचारणीय विषय है। उन्होंने कहा कि हमारी युवा आबादी काफी है, 25 वर्ष और उससे नीचे के आयु वर्ग में लगभग 600 मिलियन लोग हैं, जिससे हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि यह जन सांख्यकीय लाभ हमारे लिए बोझ न बन जाए, इसलिए आवश्यकता इस बात की है कि युवाओं को आवश्यक रूप से कुशल बनाकर उनकी रोज़गार क्षमता बढ़ानी चाहिए। राष्ट्रपति ने पुरस्कार विजेताओं और ख्याति सम्पन्न संस्थानों को उनकी उपलब्धि पर बधाई दी। इस अवसर पर केंद्रीय मानवसंसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, मानवसंसाधन विकास राज्यमंत्री डॉ महेंद्रनाथ पांडेय, राष्ट्रपति की सचिव ओमिता पॉल और मानवसंसाधन विकास मंत्रालय में उच्च शिक्षा सचिव केवल कुमार शर्मा उपस्थित थे।