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Wednesday 12 April 2017 01:18:51 AM
लखनऊ। कांग्रेस नेता और भारत सरकार में राज्यमंत्री रहे डॉ अखिलेश दास गुप्ता आज नहीं रहे। लखनऊ में दिल का दौरा पड़ने पर उनका निधन हो गया। वे 56 वर्ष के थे। वे लखनऊ और दिल्ली के जाने-माने व्यावसायिक शिक्षण संस्थान बीबीडी के चेयरमैन थे। लखनऊ के मेयर एवं भारत सरकार में कांग्रेस गठबंधन सरकार में राज्यमंत्री रहे डॉ अखिलेश दास का इसी 31 मार्च को लखनऊ और दिल्ली में विभिन्न सामाजिक संगठनों एवं कांग्रेसजनों ने 56वाँ जन्मदिन मनाया था। डॉ अखिलेश दास बैडमिंटन के बेहतरीन खिलाड़ी रहे हैं, उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे अपने राजनेता पिता बाबू बनारसी दास के नाम पर लखनऊ में बैडमिंटन अकादमी की स्थापना भी की। वे भारतीय ओलंपिक संघ के उपाध्यक्ष होने के साथ-साथ अनेक संस्थाओं और संस्थानों से भी जुड़े थे। डॉ अखिलेश दास के आकस्मिक निधन से लखनऊ और दिल्ली में उनके शिक्षण संस्थानों, खेल संघों एवं लखनऊ में शोक छाया हुआ है।
डॉ अखिलेश दास के निधन पर शोक व्यक्त करने के लिए उनके आवास पर नेताओं, राजनेताओं और समाज के सभी वर्गों के लोगों का तांता लगा है। डॉ अखिलेश दास का निधन एक सदमा है और वे इस समय अपने राजनीतिक अस्तित्व की रक्षा के लिए काफी संघर्ष में थे। उन्होंने अपने जीवन में राजनीतिक सफलताएं हासिल करने के लिए कई राजनीतिक प्रयोग भी किए और सफलताएं अर्जित कीं। डॉ अखिलेश दास को उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि का राजनीतिक क्षेत्र में आगे बढ़ने में भारी लाभ मिला। राजनेता पिता और स्वतंत्रता सेनानी बाबू बनारसी दास के सफल राजनीतिक उत्तराधिकारी कहलाएं। उनके सभी राजनीतिक दलों एवं नेताओं और व्यावसायिक घरानों से अच्छे संबंध रहे। बीबीडी शिक्षण संस्थान से उन्हें काफी ख्याति मिली, जो उनका मुख्य व्यवसाय था। उन्होंने मूलरूप से कांग्रेस की राजनीति की और कांग्रेस के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष सीताराम केसरी ने उन्हें पहलीबार राज्यसभा में जाने का अवसर दिया। डॉ अखिलेश दास की राजनीतिक सफलताओं का यहीं से बड़ा अध्याय शुरू हुआ। वे दो बार लखनऊ के मेयर रहे और दो बार राज्यसभा सदस्य।
डॉ अखिलेश दास को लखनऊ के मेयर, राज्यसभा सदस्य, उनके शिक्षण संस्थान बीबीडी और उनकी खेल गतिविधियों ने एक नामचीन राजनीतिक ताकत के रूप में स्थापित किया। वे उद्योगों पर संसद की स्थायी समिति के अध्यक्ष रहे। वे उत्तर प्रदेश की वैश्य समाज की राजनीति के स्टार रहे हैं, तथापि उनका विवादों से संबंध रहा। वे कांग्रेस अध्यक्ष और भारत के प्रधानमंत्री रहे राजीव गांधी और एक समय कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के अत्यंत करीब रहे हैं, मगर वह समय भी आया जब उन्होंने सोनिया गांधी और राहुल गांधी का विश्वास खो दिया और उन्होंने उनपर पलटकर गंभीर आरोप लगाते हुए कांग्रेस छोड़ दी। डॉ अखिलेश दास बसपा अध्यक्ष मायावती की शरण में गए और मायावती ने उन्हें बसपा की ओर से राज्यसभा में भेजा। वे बहुजन समाज पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव बनाए गए, मगर डॉ अखिलेश दास की मायावती से भी ज्यादा नहीं बनी। मायावती ने उन्हें राज्यसभा का दोबारा टिकट नहीं दिया और वे मायावती पर राज्यसभा में भेजने के लिए दो सौ करोड़ रुपए मांगने का आरोप लगाते हुए बसपा से भी अलग हो गए। डॉ अखिलेश दास तब से राजनीति में सक्रिय होने के लिए छटपटा रहे थे।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के समय डॉ अखिलेश दास फिर से कांग्रेस में लौटे और दिल्ली में कांग्रेस महासचिव गुलाम नबी आज़ाद की मौजूदगी में कांग्रेस में शामिल होकर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस-सपा गठबंधन के प्रत्याशियों का चुनाव प्रचार किया। उनके दुर्भाग्य से उत्तर प्रदेश में सपा-कांग्रेस का सफाया हो गया और उन्हें शांत होकर बैठना पड़ा। यह माना जाता है कि अपने शिक्षण संस्थान को मजबूत करने के लिए और उसका विस्तार करने के लिए उन्हें यूपी की सरकारों से काफी सपोर्ट मिला। उन्होंने रियल स्टेट में भी हाथ आजमाया और नामचीन बिल्डरों के साथ आवासीय और व्यावसायिक योजनाएं विकसित कीं। डॉ अखिलेश दास गुप्ता को एक प्रमुख शिक्षाविद्, प्रोफेसर, भारतीय राजनीतिज्ञ और परोपकारवादी कहा जाने लगा था। डॉ अखिलेश दास बैडमिंटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष थे, बैडमिंटन एशिया परिसंघ के उपाध्यक्ष, बैडमिंटन वर्ल्ड फेडरेशन की कार्यकारी परिषद के सदस्य और भारतीय ओलंपिक संघ के उपाध्यक्ष थे। अखिलेश दास गुप्ता ने कोल्विन ताल्लुकेदार कॉलेज लखनऊ में पढ़ाई की, लोक प्रशासन में डिप्लोमा किया, एलएलबी, एमबीए और पीएचडी की। उन्होंने 1977 से 1983 तक उत्तर प्रदेश से बैडमिंटन का प्रतिनिधित्व किया और विभिन्न अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन टूर्नामेंट खेले।
डॉ अखिलेश दास के परिवार से मिली जानकारी के अनुसार आज सुबह उनके आवास पर ही अचानक दिल का दौरा पड़ा और उनका निधन हो गया। उन्हें लम्बे समय से शुगर थी। अखिलेश दास के निधन से उनके परिवार में शोक व्याप्त है। उनके समर्थकों का घर के बाहर हुजूम लगा हुआ है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, कांग्रेस महासचिव गुलाम नबी आज़ाद, समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव, सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव, बसपा अध्यक्ष मायावती, कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी, कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजबब्बर, सपा नेता नरेश अग्रवाल, कांग्रेस नेता अचल मेहरोत्रा, सुशील दुबे, विभिन्न खेल संघों, शिक्षण संस्थानों, विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने गहरा शोक व्यक्त करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है।