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Wednesday 12 April 2017 04:16:48 AM
नई दिल्ली/ इस्लामाबाद। पाकिस्तान में वहां की सैन्य अदालत में भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को सुनाए गए मृत्युदंड के मामले में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने राज्यसभा में एक वक्तव्य में कहा है कि कुलभूषण जाधव पर पाकिस्तानी सैन्य अदालत के आरोप मनगढ़ंत हैं और हम इस सजा के संबंध में यही कह सकते हैं कि अगर सजा दी गई तो यह सोची-समझी हत्या होगी। संसद में सभी विपक्षी दलों ने भी एकजुटता का प्रदर्शन करते हुए फांसी की सजा सुनाए जाने के लिए पाकिस्तान की एक स्वर में भर्त्सना की है। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भी कहा है कि भारत सरकार कुलभूषण जाधव को न्याय दिलाने की हर संभव कोशिश करेगी। दूसरी तरफ भारत में पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासिद को तलबकर बता दिया गया है कि कुलभूषण जाधव को फांसी देने का मतलब पूर्वनियोजित हत्या है, जिसके कोई भी परिणाम हो सकते हैं। पाकिस्तानी सैन्य अदालत के फैसले के खिलाफ देशभर में गुस्सा है, पाकिस्तानी उच्चायोग के सामने अनेक संगठनों ने प्रदर्शन भी किया है और फांसी रद्द कर कुलभूषण जाधव को सकुशल भारत को सौंपने की मांग की है।
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि मैं दोहराती हूं कि मनगढ़ंत आरोपों के आधार पर भारतीय नागरिक कूलभूषण जाधव को दिए जाने वाले मृत्युदंड संबंधी रिपोर्टों के बारे में सदन की चिंताओं में शरीक हूं और भारत इसके खिलाफ आउट ऑफ वे कदम उठाने तक को तैयार है। उन्होंने कहा कि इस मामले में भी पाकिस्तान के दोहरे चरित्र का खुलासा हुआ है। उन्होंने संसद में बताया कि कुलभूषण जाधव तो ईरान में अपना व्यापार कर रहे थे और वहां से उनका अपहरण करके उन्हें पाकिस्तान ले जाया गया था। उन्होंने कहा कि वास्तविक परिस्थितियां अस्पष्ट हैं और उनके बारे में तभी जाना जा सकता है, जब भारतीय काउंसलर की उनतक पहुंच होने दी जाए। सुषमा स्वराज ने कहा कि पाकिस्तान में भारत के सभी तथ्यों को नज़रअंदाज कर फांसी की सजा सुना दी गई, जबकि भारत की तरफ से शुरू से कहा जा रहा है कि कुलभूषण जाधव के मामले में जांच की मांग का मसला अभी अधूरा है। सुषमा स्वराज ने संसद में कहा कि जब कुलभूषण जाधव के अपहरण की सूचना मिली थी, उसी समय से इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग लगातार पाकिस्तानी अधिकारियों से आग्रह करता रहा है कि उसे कुलभूषण जाधव तक पहुंचने दिया जाए, मगर पाकिस्तान ने ऐसा नहीं किया, कुलभूषण जाधव को अपना पक्ष रखने का कोई अवसर ही नहीं दिया गया।
सुषमा स्वराज ने कहा कि यद्यपि अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के अनुसार पहुंच प्रदान की जाती है और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में इस नियम का पालन किया जाता है, लेकिन पाकिस्तान की सरकार ने यह अनुमति नहीं दी, जिससे पता चल जाता है कि कुलभूषण जाधव के खिलाफ मामले में कितना दम है। उन्होंने कहा कि सदस्यों को याद होगा कि एक वरिष्ठ पाकिस्तानी नेता स्वयं इस मामले में पर्याप्त सबूतों के बारे में शक जाहिर कर चुके हैं। सुषमा स्वराज ने कहा कि इस वर्ष की शुरूआत में पाकिस्तान सरकार ने जांच प्रक्रिया के लिए सबूत हासिल करने और अन्य सामग्रियों के लिए हमारा सहयोग मांगा था। इस प्रक्रिया में उन्होंने वरिष्ठ भारतीय अधिकारी के खिलाफ हास्यास्पद आरोप लगाए थे, जिसका इस मामले से कोई संबंध नहीं था, इसके बाद उन्होंने कह दिया कि काउंसलर पहुंच प्रदान करने का अर्थ हमारी बात को स्वीकार करना है, इसके बावजूद बात आगे बढ़ने की उम्मीद में हमारा जवाब रचनात्मक था, हमने स्पष्ट किया था कि तथ्यों की पड़ताल और पाकिस्तान में कुलभूषण जाधव की उपस्थिति संबंधी परिस्थितियों को समझने के लिए कुलभूषण जाधव तक भारतीय काउंसलर की पहुंच एक आवश्यक शर्त होगी।
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि इस संपर्क के बाद यह अभूतपूर्व है कि पाकिस्तान में इस निर्णय की अचानक घोषणा की गई, जिसमें कुलभूषण जाधव को इस मामले में मृत्युदंड देने की सजा सुना दी गई, जबकि भारत खुद पूर्व के संपर्क में कह चुका है कि इस मामले में सबूत पर्याप्त नहीं हैं, मामले में उस समय और विसंगति पैदा हो गई जब मृत्युदंड की घोषणा के तीन घंटे बाद पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय से भारतीय उच्चायोग को एक आधिकारिक पत्र मिला, जिसमें कुलभूषण जाधव तक सशर्त काउंसलर पहुंच के पाकिस्तानी प्रस्ताव को दोहराया गया था। उन्होंने कहा कि इससे तथाकथित न्यायिक प्रक्रिया की असंगत प्रकृति स्पष्ट होती है, जिसके कारण निर्दोष अपह्रत भारतीय के खिलाफ बिना सुनवाई के फैसला सुना दिया गया। उन्होंने कहा कि इस मामले में भारत की स्थिति बिल्कुल स्पष्ट है, कुलभूषण जाधव के खिलाफ किसी गलत काम का कोई सबूत नहीं है, अगर कुछ है तो इसके पीछे वे उस षडयंत्र के शिकार हैं, जो भारत पर आरोप लगाने के लिए तैयार किया गया है, ताकि पाकिस्तान आतंकवाद को प्रोत्साहन और समर्थन देने की जगजाहिर गतिविधियों से अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान हटा सके।
सुषमा स्वराज ने कहा कि भारतीय विदेश सचिव इस मामले में पाकिस्तान के उच्चायुक्त को अपनी स्थिति बता चुके हैं और मैं भी स्पष्ट रूप से कह रही हूं कि भारत सरकार और भारत की जनता इस संभावना को बहुत गंभीरता से लेती है कि पाकिस्तान में एक निर्दोष भारतीय नागरिक को मृत्यु की सजा का सामना करना पड़ रहा है, जिसके लिए किसी भी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया और कानून, न्याय तथा अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के बुनियादी नियमों की घोर अवहेलना की गई है। उन्होंने कहा कि मैं पाकिस्तान सरकार को सावधान करती हूं कि वह अगर इस मामले में आगे बढ़ती है तो हमारे द्विपक्षीय संबंधों पर पड़ने वाले प्रभावों पर गौर कर ले। उन्होंने कहा कि मैं कुलभूषण जाधव के माता-पिता के संपर्क में हूं और हम इस कठिन परिस्थिति में उन्हें अपना पूरा समर्थन दे रहे हैं, सदन में एकजुटता प्रकट करने से इस घड़ी में उन्हें और साहस मिलेगा। बहरहाल संसद के भीतर और बाहर कुलभूषण का मामला बहुत गर्म है। पाकिस्तानी रक्षामंत्री ने कहा है कि कुलभूषण जाधव को साठ दिन के भीतर सजा के खिलाफ अपील का अधिकार है, जबकि उन्होंने भारत के पूर्वनियोजित हत्या के आरोप से इनकार किया है। पाकिस्तान के अनुसार इसका तकनीकी पक्ष यह है कि कुलभूषण जाधव को पाकिस्तानी सेनाध्यक्ष के सामने पुर्नविचार अपील दाखिल करने या सजा के खिलाफ पाकिस्तान की शीर्ष कोर्ट में जाने का अधिकार है।
कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान में सैन्य अदालत में फांसी की सजा सुनाए जाने पर पाकिस्तान में भी प्रतिक्रिया हो रही है। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष बिलावल भुट्टों ने कुलभूषण जाधव का मसला विवादित बताकर पाकिस्तान की सैन्य अदालत को ही कठघरे में खड़ा कर दिया है। उन्होंने कुलभूषण जाधव को फांसी दिए जाने का विरोध करते हुए कहा है कि उनकी पार्टी वैसे भी मृत्युदंड के खिलाफ है। पाकिस्तान के मीडिया में भी इसकी जबरदस्त चर्चा है। मीडिया ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को चेताया है कि वह इसके कूटनीतिक नतीजों का आंकलन करें, क्योंकि इस फैसले पर भारत की बेहद कठोर प्रतिक्रिया होगी। पाकिस्तान में इस घटनाक्रम पर यह भी अभिमत है कि पाकिस्तानी सेना ने पाकिस्तानी कानून के मुताबिक कड़ा दंड सुनाया है, मगर देखना होगा कि पाकिस्तान इसके नतीजों का सामना कर सकता है कि नहीं। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने मांगे जाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पहले तो यह कहा कि पाकिस्तानी सेना किसी भी धमकी का जवाब देने को तैयार है और फिर साथ में यह भी कह दिया कि वह पड़ोसी देशों के साथ मधुर संबंध चाहते हैं। कूटनीतिक मिशन के जानकार बताते हैं कि यह मामला वस्तुतः पाकिस्तान सरकार के गले की हड्डी बन गया है, जो पाकिस्तानी सेना और पाकिस्तानी सरकार को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में टिकने नहीं देगा।