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Friday 14 April 2017 01:38:27 AM
नई दिल्ली। भारतरत्न बाबासाहेब डॉ भीमराव अंबेडकर भारतवर्ष में आज भीम आधार योजना के साथ सामाजिक और वित्तीय सशक्तिकरण के आधार बन गए हैं। इससे डॉ अंबेडकर भारतवासियों के घर-घर में पहुंच गए। भारत देश की आजादी के बाद से अब तक डॉ भीमराव अंबेडकर के योगदान के प्रतिस्वरूप जो पूर्ववर्ती भारत सरकारों ने किया, उसमें नरेंद्र मोदी सरकार ने सबको पीछे छोड़ दिया है। डॉ अंबेडकर के नाम पर राजनीतिक लाभ अर्जित करने वालों के मुंह बंद हो गए। नरेंद्र मोदी ने यह साबित किया है कि देश में चारों ओर बाबासाहेब डॉ भीमराव अंबेडकर के नाम और सम्मान की पताका फहरा दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज डॉ भीमराव अंबेडकर की 126वीं जयंती पर कई महत्वपूर्ण कार्यक्रमों की शुरुआत की, जो भारत में डिजिटल भुगतान क्रांति को आगे ले जाएंगे। इनमें व्यापारियों के लिए ‘भीम आधार’ मंच की शुरुआत, भीम के लिए कैश बैक व रेफरल बोनस योजना की शुरुआत और 75 टाउनशिप के लेस-कैश होने की घोषणा शामिल है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने वाली दो प्रमुख प्रोत्साहन योजनाओं-लकी ग्राहक योजना और डिजिधन व्यापार योजना के मेगा ड्रॉ के विजेताओं को भी सम्मानित किया। ये पहलें उस डिजिटल आंदोलन को प्रोत्साहित करेंगी, जिसपर देश आगे बढ़ा है और वित्तीय समावेशन के माध्यम से सभी का सामाजिक सशक्तिकरण करने के बाबासाहब के सपने को सुदृढ़ करेंगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भीम मोबाइल एप की व्यापारिक अंतरफलक 'भीम आधार' योजना लांच की, इससे आधार का उपयोग करते हुए डिजिटल भुगतानों का मार्ग प्रशस्त होगा, प्रत्येक भारतीय नागरिक अपने बॉयोमीट्रिक डेटा का उपयोग करके डिजिटल रूपसे भुगतान कर सकेंगे, जैसे व्यापारियों के किसी भी बायोमीट्रिक सक्षम उपकरण पर अपने अंगूठे का निशान देकर। वो उपकरण स्मार्टफोन भी हो सकता है, जिस पर कोई बायोमीट्रिक रीडर लगा हो। ऐसा कोई भी नागरिक जिसके पास स्मार्टफोन, इंटरनेट, डेबिट या क्रेडिट कार्ड नहीं है, वो भी भीम-आधार व्यवस्था के माध्यम से डिजिटल लेन-देन कर पाएगा, जिससे डॉ अंबेडकर का सभी के लिए सामाजिक और वित्तीय सशक्तिकरण का सपना साकार होता है। भारत में अब तक 27 प्रमुख बैंक 3 लाख व्यापारियों के साथ इस योजना का हिस्सा बन चुके हैं, ताकि वो भीम आधार के माध्यम से भुगतान स्वीकार करना शुरू कर सकें।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसके अलावा छह महीने की अवधि में 495 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ भीम के लिए कैशबैक और रेफरल बोनस की दो योजनाओं की शुरुआत भी की। उन्होंने यह इसलिए किया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जमीनी स्तर तक डिजिटल भुगतानों की संस्कृति पहुंचे। रेफरल बोनस योजना के अंतर्गत भीम का उपयोग करने वाला मौजूदा व्यक्ति और वो जिस नए उपयोगकर्ता को भीम इस्तेमाल करने का सुझाव देता है, दोनों को कैश बोनस मिलेगा जो सीधे उनके खातों में जमा हो जाएगा। वहीं कैशबैक योजना के तहत जो व्यापारी भीम का उपयोग करते हुए लेनदेन करते हैं, उन्हें हर लेनदेन पर कैशबैक मिलेगा। ये दोनों योजनाएं इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय से प्रशासित और भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम द्वारा लागू की जानी हैं। इस अवसर पर नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा है कि प्रधानमंत्री ने भीम-आधार एप का शुभारंभ कर और कैशबैक व रेफरल योजनाओं का शुभारंभ कर भारत में डिजिटल भुगतान क्रांति को बड़ा प्रोत्साहन प्रदान किया है। भारत में डिजिटल भुगतानों को जन आंदोलन बनाने के लिए नीति आयोग के नेतृत्व में चलाई गई दो शुरुआती प्रोत्साहन योजनाएं-लकी ग्राहक योजना औॅर डिजिधन व्यापार योजना, 100 दिनों के कठिन परिश्रम वाले सूचना, शिक्षा और जनसंपर्क अभियान के बाद समाप्त हो गईं। इस योजना के अंतर्गत 16 लाख विजेताओं ने 258 करोड़ रुपये की पुरस्कार राशि जीती, जिसमें जीवन के अलग-अलग क्षेत्रों से संबंधित और देश के विभिन्न कोनों से ताल्लुक रखने वाले उपभोक्ता और व्यापारी शामिल थे। मेगा ड्रॉ के विजेताओं को प्रधानमंत्री ने नागपुर में एक समारोह में सम्मानित किया। मेगा ड्रॉ के विजेता ही देश में डिजिटल भुगतान क्रांति के प्रसार के प्रमाण हैं।
भारत में डिजिटल भुगतान के तरीकों के उपयोग में बढ़ोतरी सक्षम करने के मामले में देश के 100 शहरों में नीति आयोग के नेतृत्व में आयोजित डिजिधन मेलों के 100 दिनों का काफी प्रभाव पड़ा है। देश के 27 राज्यों और 7 केंद्र शासित प्रदेशों के 100 ग्रामीण और शहरी नगरों में कम से कम 15,000 संस्थान कैशलेस हो चुके हैं। शहरों, छोटे शहरों और गांवों से 15 लाख से अधिक लोगों की भागीदारी के बीच इन मेलों ने लाखों लोगों को नए बैंक खाते खोलने और नए आधार कार्ड बनाने में सक्षम किया। दिसंबर 2016 में लांच होने के बाद सिर्फ चार महीनों में 1.9 करोड़ डाउनलोड दर्ज करके भीम एप ने पहले ही एक नया विश्व रिकार्ड बना दिया है। इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत ने कई उपयोगकर्ता-अनुकूल डिजिटल भुगतान तरीकों के माध्यम से होने वाले लेनदेनों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई है। नवंबर 2016 तक सभी डिजिटल लेनदेनों की संख्या 2,80,000 थी, जिनका मूल्य 101 करोड़ रुपये के बराबर था, लेकिन इस साल मार्च तक सिर्फ चार महीनों में विभिन्न डिजिटल भुगतान विधियों का उपयोग करके हुए भुगतानों की मात्रा 23 गुना बढ़कर 63,80,000 डिजिटल लेनदेन की हो गई, जिनका मूल्य 2425 करोड़ रुपये है। आधार से होने वाले भुगतान भी नवंबर 2016 में 2.5 करोड़ रुपये तक थे, जो मार्च 2017 में बढ़कर 5 करोड़ तक हो गए हैं। इसी अवधि में तत्काल भुगतान सेवा लेनदेन भी 3.6 करोड़ से बढ़कर 6.7 करोड़ रुपये के हो गए हैं।
मौजूदा वित्तवर्ष के दौरान 2500 करोड़ डिजिटल लेनदेन के लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रधानमंत्री ने भारत में लगभग 75 टाउनशिप को 'लेस-कैश टाउनशिप' यानी 'कम नकदी उपयोग वाले नगर' घोषित किया। एक लेस-कैश टाउनशिप वो है, जहां भुगतान स्वीकृति का बुनियादी ढांचा पूरी तरह तैयार हो चुका है और नगर के सभी परिवारों को प्रशिक्षण कार्यक्रमों में शामिल किया जा चुका है। इस लांच में चुनी गई टाउनशिप को प्राइस वॉटरहाउस कूपर्स के द्वारा स्वतंत्र तृतीय पक्ष मूल्यांकन के अधीन किया गया है और इस सूची में केवल उन टाउनशिप को शामिल किया गया है, जिनमें समीक्षा अवधि के दौरान कुल लेन-देन के 80 प्रतिशत से अधिक भुगतान डिजिटल माध्यमों से किए गए। ये टाउनशिप प्रतिदिन 1.5 लाख से अधिक डिजिटल लेनदेन उत्पन्न कर सकते हैं और इसके एक साल में लगभग 5.5 करोड़ डिजिटल लेनदेन हो सकते हैं। शीर्ष अर्थशास्त्रियों के द्वारा भारत के डिजिटल कौशल को स्वीकार किया गया है। राऊल पाल कहते हैं कि भारत वास्तविक समय में लेनदेन कर पाने की क्षमता प्रदान करता है, जैसे उधार, बैंक और मोबाइल खाता जिनमें आमतौर पर कई दिनों का समय लग सकता है अब तत्काल लेनदेन होता है। बिटकॉइंस के पास जितना लेनदेन कभी भी रहा है, उससे अरब लेनदेन ज्यादा यह क्रांतिकारी डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर जल्द ही करने में सक्षम होगा।